पीएम मोदी ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भाग लेने जा रहे भारतीय दल से की बात
नई दिल्ली : प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भाग लेने जा रहे भारतीय दल के साथ बातचीत की . इस बातचीत में एथलीटों के साथ उनके कोच भी शामिल थे . अपने संबोधन में उन्होंने खिलाड़ियों से कहा कि “क्यों पड़े हो चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में”- बस इसी एटीट्यूड के साथ जाना है और खेलना है। आप लोगों को क्या करना है, कैसे खेलना है, इसके आप एक्सपर्ट हैं।
प्रधान मंत्री ने कहा कि आज 20 जुलाई है। खेल की दुनिया के लिए भी ये बहुत महत्वपूर्ण दिवस है। आज ‘इंटरनेशनल चेस डे’ है। 28 जुलाई को जिस दिन बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम शुरु होंगे उसी दिन तमिलनाडु के महाबलीपुरम में चेस ओलंपियाड की शुरुआत होगी। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहां के प्रधानमंत्री वहां के खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाते हों- चाहे वे मेडल जीतें या ना जीतें।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में पिछले कुछ वर्षों में खेलों का बजट 3 गुना ज़्यादा किया गया है. पीएम ने कहा कि ” मैं बस यही कहूंगा कि जी भर के खेलिएगा, जमकर खेलिएगा, पूरी ताकत से खेलिएगा और बिना किसी टेंशन के खेलिएगा . जो 65 से ज्यादा एथलीट पहली बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं, मुझे विश्वास है कि वो भी अपनी जबरदस्त छाप छोड़ेंगे। आप लोगों को क्या करना है, कैसे खेलना है, इसके आप एक्सपर्ट हैं ”
राष्ट्रमंडल खेल 2022 में शामिल भारतीय दल के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
मैं पहले उनसे बात करने से पहले जरूर एक दो शब्द कहूंगा उसके बाद उनसे बात करूंगा।
साथियों,
मेरे लिए खुशी की बात है कि आप सबसे मिलने का मौका मिला। वैसे रूबरू मिलता तो मुझे और खुशी होती, लेकिन आपमें से बहुत से लोग विदेशों में अभी अपनी कोचिंग की व्यस्थता में हैं। दूसरी ओर मैं भी पार्लियामेंट का सत्र चल रहा है तो वहां भी कुछ व्यस्थता है।
साथियों,
आज 20 जुलाई है। खेल की दुनिया के लिए भी ये बड़ा महत्वपूर्ण दिवस है। आप लोगों में से कुछ लोगों को जरूर पता होगा कि आज इंटरनेशनल चेस डे है। ये भी बहुत दिलचस्प है कि 28 जुलाई को जिस दिन बर्मिंघम में commonwealth game शुरू होंगे उसी दिन तमिलनाडु के महाबलिपुरम में चेस ऑलमपियाड की शुरूआत होगी। यानि आने वाले 10-15 दिन भारत के खिलाड़ियों के पास अपना दन खम दिखाने का, दुनिया पर छा जाने के एक बहुत बड़ा सुनहरा अवसर है। मैं देश के प्रत्येक खिलाड़ी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
साथियों,
आपमें से अनेक athlete पहले भी स्पोर्टस की बड़ी प्रतियोगिताओं में देश को गौरव के क्षण दे चुके हैं। इस बार भी आप सभी खिलाड़ी आपके कौचेस उत्साह से, जोश से भरे हुए हैं। जिनके पास पहले commonwealth में खेलने का अनुभव है। उनके लिए खुद को दोबारा आजमाने का मौका है। जो 65 से ज्यादा athlete पहली बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं, मुझे विश्वास है कि वो भी अपने जबरदस्त छाप छोड़ेंगे। आप लोगों को क्या करना है, कैसे खेलना है इसके आप एक्सपर्ट हैं। मैं बस यही कहुंगा कि जी भर के खिलिएगा, जमकर खेलिएगा, पूरी ताकत से खेलिएगा और बिना किसी टेंशन से खिलिएगा। और आप लोगों ने वो पुराना डॉयलोग सुना होगा। कोई नहीं है टक्कर में, कहां पड़े हो चक्कर में, बस इसी attitude को लेकर आपको वहां जाना है, खेलना है, बाकि मैं अब अपनी तरफ से ज्यादा ज्ञान परोसना नहीं चाहता हूं। आईए बातचीत की शुरूआत करते हैं। सबसे पहले किससे बात करना है मुझे?
प्रस्तुतकर्ता : अविनाश साबले महाराष्ट्र से हैं athletics के हैं।
पीएम : अविनाश नमस्कार।
अविनाश साबले : जय हिन्द सर मैं अविनाश साबले, मैं एक commonwealth games में athletics में 3000 मीटर इवेंट में इंडिया को रिप्रजेंट कर रहा हूं।
पीएम : अविनाश मुझे बताया गया कि आप फौज में हैं और आपने तो सियाचिन में भी पोस्टिंग कर चुके हैं। महाराष्ट्र से आना और हिमालय में ड्यूटी देना, पहले तो मुझे इस विषय में बताइये अपने अनुभव।
अविनाश साबले : जी सर, मैं महराष्ट्र का बीर जिले से हूं। और मैं 2012 में मतलब भारतीय फौज join किया। और उसके बाद सर में आर्मी की जो डयूटी होती है, नार्मल डयूटी में चार साल मतलब मैं नार्मल डयूटी किया और उसमें मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। जो चार साल का मैं नार्मल डयूटी करते रहा तो जो 9 महीने की जो बहुत मजबूत ट्रेनिंग होती है, बहुत hard होती है। तो उस ट्रेनिंग ने मुझे बहुत मजबूत बना दिया और उस ट्रेनिंग से मैं किसी भी फील्ड में अभी जाऊंगा तो मुझे लगता है कि मैं बहुत अच्छा करुंगा और उसी ट्रेनिंग से मैं चार साल के बाद जब में आर्मी ने मुझे athletics में जाने का मौका मिला तो मैं बहुत आभारी रहा और मैं जो आर्मी की discipline है और जहां मैं इतना कठिन जगह पर रहा तो मुझे काफी फायदा हो रहा है।
पीएम : अच्छा अविनाश मैंने सुना है कि सेना join करने के बाद ही आपने स्टीपलचेज को चुना है। सियाचिन और स्टीपलचेज का भी कोई संबंध है क्या?
अविनाश साबले : हां जी सर। जो हमें ट्रेनिंग्स में मतलब वहां पर भी ऐसी ट्रेनिंग होती है जैसे आपको ये स्टीपलचेज जैसी इवेंट भी एक obstacle का गेम है। जैसे इसमें हमें huddles को उसके ऊपर jump करना है फिर water jump को jump करना है। इसी तरह आर्मी की जो ट्रेनिंग होती है उसमें भी हमें बहुत सारे obstacle के बीच में से जाना पड़ता है। जैसे crawling करना पड़ता है या 9 fit ditch होता है उसको jump करना पड़ता है। तो मतलब एैसे बहुत सारे obstacles होते हैं जो ट्रेनिंग में और यहां तो मुझे बहुत आसान लग रहा है। मैंने आर्मी ट्रेनिंग के बाद मुझे स्टीपल जैसे इवेंट में मतलब बहुत ज्यादा आसान लग रहा है।
पीएम : अच्छा अविनाश ये मुझे बताइये कि आप पहले बहुत वजन ज्यादा था और आपने बहुत कम समय में अपना weight lose किया और आज भी मैं देख रहा हूं। बहुत दुबले पतले दिख रहे हो, मैंने देखा था कि हमारे एक साथी नीरज चौपड़ा ने भी बहुत कम समय में अपना weight कम किया था और मैं समझता हूं कि आप अपना अनुभव अगर कुछ बताएं कि आपने कैसे किया है ताकि शायद खेल-कूद की जगह और लोगों को भी काम आए।
अविनाश साबले : सर मैं आर्मी में एक सोल्जर की तरह जब डयूटी करता था तो मेरा weight काफी ज्यादा था। तो मैं जब सोचा कि मैं स्पोर्टस में जाना चाहिए तो मेरे साथ मेरी यूनिट भी और आर्मी ने मुझे बहुत motivate किया कि स्पोर्टस में जाना। तो मैंने सोचा कि अभी running करने के लिए तो मेरा weight बहुत ज्यादा था। तो मेरा कम से कम 74kg weight था। तो मैं अभी ये कैसे होगा ?लेकिन उन्होंने मुझे बहुत support किया और ट्रेनिंग के लिए एक अलग से एक्स्ट्रा टाइम मिलता था मुझे आर्मी में। तो मैं ये weight कम करने के लिए मुझे 3-4 महीने का टाइम लगा।
पीएम : कितना weight lose किया ?
अविनाश साबले : सर अभी 53kg weight रहता है, सर मेरा 53 kg. और मेरा तब 74 मतलब 20 kg.
पीएम : ओह बहुत कम किया। अच्छा अविनाश मुझे खेल की सबसे अच्छी बात और ये जरूर मेरे मन को छूती है कि इसमें पीछे की हार-जीत का ज्यादा baggage नहीं होता है। हर बार competition नया होता है, fresh होता है और आपने बताया कि आप पूरी तरह तैयार हैं। सभी देशवासियों की शुभकामनाएं आपके साथ है। आप जमकर खेलिएगा। आइए अब किससे बात करते हैं?
प्रस्तुतकर्ता : सर अचिन्ता शेअुली वेस्ट बंगाल से हैं, ये weight lifting करते हैं।
पीएम : अचिन्ता जी नमस्ते।
अचिन्ता शेअुली : नमस्ते सर, सर मैं वेस्ट बंगाल से हूं। मैं अभी बारहवी कर रहा हूं सर।
पीएम : थोड़ा अपने विषय में बताइये जरा।
अचिन्ता शेअुली : 73 केटेगरी में खेलता हूं सर।
पीएम : अच्छा अचिन्ता लोग कहते हैं कि आप बहुत शांत स्वभाव के हैं। एक दम से कूल जिसको कहते हैं। और आपका खेल तो है जिसमें पॉवर लगता है, शक्ति का खेल है। तो ये शक्ति और शांति ये दोनों को कैसे आपने मेल बिठा दिया है।
अचिन्ता शेअुली : सर कुछ कुछ योग करते हैं हम जो सर तो उससे दिमाग शांत हो जाता है और ट्रेनिंग के टाइम उसको बाहर निकाल देते हैं। जोश के साथ सर एकदम।
पीएम : अच्छा अचिन्ता रेग्यूलर योगा करते हो?
अचिन्ता शेअुली : हांजी सर कभी कभी मिस होता है लेकिन करता हूं सर।
पीएम- अच्छा, अच्छा आपके परिवार में कौन- कौन है?
अचिन्ता शेअुली : मम्मी हैं और मेरा बड़ा भईया है सर।
पीएम : और परिवार से भी मदद मिलती है?
अचिन्ता शेअुली : हां सर परिवार से मेरा फैमिली से फूल सपोर्ट रहता है। कि करो अच्छे से करो। डेली बात होता है हमेशा सपोर्ट ही रहा है सर।
पीएम – देखिए मां को चिंता रहती होगी कि कहीं कोई चोट पहुंचा ना दे क्योंकि weight lifting में हमेशा injury बड़ी चिंता रहती है। तो
अचिन्ता शेअुली : जी सर मैं जब बात करता हूं मा से तो उन लोग कि अच्छे से खेलो।
पीएम : देखिए मैं चाहता हूं कि आपको बहुत प्रगति हो बहुत लाभ मिले आपको और काफी प्रगति करें आप। अच्छा आपने कैसे खुद को injury से कैसे बचाया? इसकी कोई विशेष तैयारी की है क्या?
अचिन्ता शेअुली : नहीं सर, injury तो आता रहता है लेकिन उसके लिए सर हम उसके ऊपर थोड़ा ध्यान देते हैं क्या मैंने गलती किया है, इसलिए injury आया। उसको मैंने फिर ठीक किया। फिर धीरे-धीरे फिर injury भी चलता गया नहीं आया सर।
पीएम : अच्छा अचिन्ता मुझे बताया कि आप तो सिनेमा देखने के बड़े शौकिन हैं, फिल्में देखा करते हैं तो ट्रेनिंग के कारण तो समय नहीं मिलता होगा आपको।
अचिन्ता शेअुली : हां सर। टाइम तो नहीं मिलता है लेकिन कभी-कभी जब फ्री होते हैं तो थोड़ा देख लेता हूं सर।
पीएम : इसका मतलब वहां से मैडल लेकर के आओगे उसके बाद यही काम रहेगा फिल्म देखने का?
अचिन्ता शेअुली : नहीं – नहीं सर।
पीएम : चलिये मेरी तरफ से आपको शुभकामना और मैं आपके परिवार को भी उनकी सराहना करना चाहुंगा। विशेषकर के आपकी माताजी और आपके भाई को प्रणाम करता हूं। कि जिन्होंने आपकी तैयारी में कोई कमी नहीं आने दी। मेरा मानना है कि जब कोई खिलाड़ी बनता है। तो खिलाड़ी के साथ ही पूरे परिवार को तपस्या करनी पड़ती है। आप commonwealth में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन कीजिए, आपकी माताजी के साथ ही देश के लोगों का आर्शीवाद आपके साथ है। अचिन्ता बहुत-बहुत शुभकामनाए आपको।
अचिन्ता शेअुली : धन्यवाद सर, धन्यवाद सर।
प्रस्तुतकर्ता : सर अब ट्रीसा जॉली केरला से हैं, बैडमिंटन खेलती हैं।
ट्रीसा जॉली : Good Morning Sir, I am Treesa Jolly. Sir I am playing for the 2020 commonwealth games, badminton, Sir.
पीएम : अच्छा ट्रीसा आप कन्नूर जिले से हैं। वहां की तो खेती और फुटबाल दोनों बहुत प्रसिद्ध हैं। आपको बेडमिंटन के लिए किसने प्रेरित किया?
ट्रीसा जॉली :Sir, my father motivated me to play the sport as volleyball and football is most popular in my hometown. But badminton is more convenient to play in that age. At the age of 5.
पीएम : अच्छा ट्रीसा मुझे बताया गया है कि आप और गायत्री गोपीचंद दोनों अच्छी दोस्त भी हैं, डब्लस पार्टनर भी हैं। आनी दोस्ती और on field partner के बारे में जरा बताइये?
ट्रीसा जॉली : Sir, it is good bond with Gayatri, like when we are playing it’s create a good combination when we are playing on court and it’s very important I feel it’s very important to keep good bond without partners.
पीएम : अच्छा ट्रीसा आपने और गायत्री ने लौटने के बाद celebrate करने का कैसा प्लान बनाया है?
ट्रीसा जॉली : सर उधर जाके मैडल आए तो we will celebrate. सर पता नहीं अभी कैसे how we celebrate?
पीएम – पीवी सिंधू ने तय किया था कि वो आकर के आईस्क्रीम खाएगी। अच्छा आपसे शानदार शुरूआत की है, अभी तो पूरा career आपके सामने है, अभी तो आपकी जीत की शुरूआत है और आप हर मैच में अपना शत प्रतिशत दीजिए। हर मैच को पूरी गंभीरता से लीजिए। मैच के बाद परिणाम कुछ भी हो। देखिए आपका लगना यानि बिल्कुल आपको लगना चाहिए कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। चलिए आप सबको बहुत – बहुत शुभकामनाएं। आपके पूरे सभी टॉली को बहुत – बहुत शुभकामनाएं मेरी।
ट्रीसा जॉली : Thank You Sir.
प्रस्तुतकर्ता : सर अब मिस सलीमा टेटे झारखंड से हॉकी की प्लेयर हैं सर।
पीएम : सलीमा जी नमस्ते।
सलीमा टेटे : Good Morning Sir,
पीएम : हां सलीमा जी कैसी हैं आप?
सलीमा टेटे : ठीक हैं सर, आप लोग कैसे हैं।
पीएम : तो अभी कहां हैं कोचिंग के लिए कहीं और हैं, बाहर हैं आप?
सलीमा टेटे : हांजी सर अभी इंग्लेंड में हम लोग, हमारी पूरी टीम।
पीएम : अच्छा सलीमा मैं कहीं आपके बारे मैं पढ रहा था कि आप और आपके पिता ने हॉकी के लिए बहुत संघर्ष किया है। तब से लेकर के अब तक की यात्रा के बारे में अगर आप कुछ बताओगी तो देश के खिलाड़ियों को भी जरूरी inspiration मिलेगा।
सलीमा टेटे : हांजी सर बिल्कुल, जैसे मैं गांव से हूं तो जैसे मेरे पापा भी खेलते थे पहले। जब वो उनका स्थपन अभी तो बहुत टाइम होने पापा छोड़ दिए। तो मैं उनके साथ कहीं भी पापा जाते थे खेलने के लिए तो मैं उनके साथ साईकिल में जाती थी, खेलने उसके साथ। बस मैं बैठ के देखती थी कि मतलब कैसे गैम होता है। मैं पापा से सिखना चाहती थी कि मैं कैसे सिखूं कि मुझे भी हॉकी खेलना है। जैसे यसवंत लकड़ा जैसे झारखंड से भी तो उनको मैं देखती थी कि प्लेयर कैसे ये है। तो मुझे वैसे बनना है। तो मैं पापा के साथ साईकिल में जाती थी फिर बैठ के देखती थी कि कैसे गैम होता है। तो बाद में धीरे-धीरे मुझे समझ आने लगा कि बहुत कुछ दे सकता है अपनी लाइफ को। तो मैंने पापा से सीखा है कि मतलब स्ट्रग्ल करने से हमें बहुत कुछ मिलता है। तो मुझे अपनी फैमिली से उनसे बहुत अच्छा लगता है मुझे कि उनसे मैंने इतना अच्छा नॉलेज सीखा है।
पीएम : अच्छा सलीमा टोक्यो ऑलंपिक में आपके खेल ने सभी को प्रभावित किया था और आपका वो अनुभव मैं समझता हूं अगर आप साझा करती हो टोक्यो वाला अनुभव तो भी मैं समझता हूं सबको अच्छा लगेगा।
सलीमा टेटे : हांजी सर बिल्कुल, जैसे हम टोक्यो ऑलंपिक जाने से पहले आपसे भी बात किए थे। फिर अभी कॉमनवेल्थ आने से पहले भी हम already हैं। पर आप सबसे पहले आपने हमें बहुत अच्छा motivate किया जैसे टोक्यो ऑलंपिक्स में भी हम जाने से पहले आपने हमसे सबसे बात की थी तो हमें बहुत अच्छा लगा फिर हमें बहुत ज्यादा motivate हुआ। तो बस यही है कि हम टोक्यो ऑलंपिक्स में हम यही सोचके गये थे कि हमें कुछ करना है इस बार। तो हम इस टूर्नामेंट में भी हम यही सोच के आए हैं कि हमें करना है। जैसे टोक्यो ऑलंपिक्स में हमें जैसे कोविड भी था तो हमें बहुत difficult हुआ था जैसे बहुत ज्यादा हमें आर्गेनाइज किया हुआ था जैसे पहले वहां बहुत अच्छा हमारे लिए आर्गेनाइज किया हुआ था कि हम टोक्यो में जाके बहुत कुछ सिख के आएं फिर अपने दम पर बहुत कुछ करके आएं। बस आप लोग हमें ऐसे ही सपोर्ट कीजिए ताकि हम और आगे तक जाएं। जैसे टोक्यो आलंपिक हमारी एक बहुत अच्छा पहचान थी जैसे हमने बहुत अच्छा खेली हमारी टीम। तो हमें इसको continue रखना है सर।
पीएम : सलीमा आप छोटी सी ही उमर में कई बड़े अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुकी हैं। और मुझे पक्का विश्वास है कि ये अनुभव आपको आगे भी बहुत ही मदद करेगा। आप बहुत आगे बढ़ेंगी। मैं आपके माध्यम से महिला और पुरूष दोनों ही हॉकी टीम को अपनी ओर से और देश की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप सभी बिना किसी तनाव के, मस्ती से खेलिए। सभी लोग सर्वश्रेष्ठ जब प्रदर्शन करेंगे। तो पदक हर हाल में आना ही आना है। आप सभी को बहुत – बहुत शुभकामनाएं।
सलीमा टेटे : Thank You Sir.
प्रस्तुतकर्ता : सर शर्मीला हैं हरियाणा से, ये पारा athletics में शॉटपुट की खिलाड़ी हैं सर।
शर्मीला : नमस्ते सर।
पीएम : नमस्ते शर्मीला जी। शर्मीला जी आप हरियाणा से हैं तो खेलकूद में तो हरियाणा होता ही होता है। अच्छा आपने 34 साल की उम्र में खेलों में करियर शुरू की। और आपने दो साल में ही गोल्ड मैडल भी जीतकर दिखा दिया। जरा मैं जरूर जानना चाहुंगा कि चमत्कार कैसे हुआ? आपकी प्रेरणा क्या है?
शर्मीला : सर मैं हरियाणा से जिला महेंद्रगढ से रिवाड़ी में मैं रहती हूं। और सर मेरी जिंदगी में बहुत बड़े तूफान आए हैं। लेकिन मेरा बचपन से शोक था खेलने का लेकिन मुझे मोका नहीं मिला। फैमिली मेरी गरीब थी मेरे पापा, मा ब्लाइंड थी, तीन बहनें एक भाई है हमारा बहुत ज्यादा गरीब सर। फिर मेरी छोटी उमर में शादी कर दी गई। लेकिन आगे हसबैंड कुछ अच्छे नहीं मिले, बहुत अत्याचार किए। मेरी दो बेटियां हैं सर वो भी स्पोर्टस में हैं। लेकिन तीनों मां बेटियों पर हमपर बहुत अत्याचार हुआ तब मेरे मां बाप मुझे मेरे माइके में ले आए। छह साल मैं माइके में रही हूं सर। लेकिन मेरे मन में बचपन से ही कुछ करने का था। लेकिन कोई रास्ता नहीं मिला सर मुझे। तो सेकंड मैरिज के बाद मुझे देखा स्पोर्ट्स में, हमारे रिलेटिव टेकचंद भाई जो हैं flag bearer रहे हैं। उन्होंने मेरे को बहुत सपोर्ट किया और उन्होंने डेली आठ घंटे सुबह-शाम चार-चार घंटे बहुत मेहनत करवाई मेरे से और उनकी ही वजह से आज मैं ये नेशनल में ये एक साल दो साल में मैं गोल्ड मेडल ले चुकी हूं सर।
पीएम : शर्मिला जी, आपके जीवन की अनेक बातें ऐसी हैं जिसको सुनकर के कोई भी ये सोचेगा कि वे अब आगे जाना ही छोड़ दो दुनिया में लेकिन आपने कभी हिम्मत हारी नहीं। शर्मिला जी, आप वाकई हर देशवासी के लिए एक रोल मॉडल हैं और आपकी दो बेटियां भी हैं। जैसा आपने कहा, अब उनको भी जरा खेलकूद की समझ आ रही है। देविका भी रूचि लेती होगी और वो भी आपसे खेल में पूछताछ करती रहती होगी, उनकी रुचि क्या है उन बच्चों की?
शर्मिला : सर बड़ी बेटी जैवलिन में है अंडर 14 में अब खेलेंगी। लेकिन बहुत अच्छी बनेगी वो खिलाड़ी। अब भी शायद यूटोपिया हरियाणे में जब गेम होंगे, उस दिन पता चलेगा। सर छोटी बेटी टेबल टेनिस में है। मेरी इच्छा है कि मैं अपनी बेटियों को भी खेल में ला के उनका भी जीवन अच्छे तरीके से बनाऊँ क्योंकि जो पहले झेले हैं, ये बच्चों पर ना आए।
पीएम : अच्छा शर्मिला जी, आपके जो कोच हैं, टेकचंद जी, वो भी पैरालंपियन रहे हैं। उनसे भी आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा?
शर्मिला : हां सर! उन्होंने ही मुझे प्रेरित किया है और प्रैक्टिस करवाई है चार-चार घंटे की। जब मैं स्टेडियम में नहीं जाती तो वो घर पकड़-पकड़ के ले जाते थे। मैं थक जाती थी फिर उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया कि हार मत मानना, जितनी भी मेहनत करेगी उतना फल तेरे आगे आएगा, मेहनत पर ध्यान दो।
पीएम : शर्मिला जी, आपने जिस उम्र में खेलने की सोची, उसमें बहुत से लोगों के लिए खेल शुरू करना मुश्किल होता है। आपने साबित कर दिया कि अगर जीतने का जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। हर चुनौती आपके लिए हौसले के आगे हर जाती है। आपका समर्पण पूरे देश को प्रेरित करता है। मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और आपकी बेटियों को ले जाने का आपका जो सपना है, वो अवश्य पूरा होगा जिस लगन से आप काम कर रही हैं, आपकी बेटियों का जीवन भी वैसा ही उज्जवल बनेगा। मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं और बच्चों को आशीर्वाद है!
प्रस्तुतकर्ता : हैवलोक से श्री डेविड बेखम, ये अंडमान एंड निकोबार से हैं। सायक्लिंग करते हैं।
डेविड : नमस्ते सर!
पीएम : नमस्ते डेविड! कैसे हो?
डेविड : ठीक हूं सर!
पीएम : डेविड आपका नाम तो एक बहुत बड़े फुटबॉल खिलाड़ी के नाम पर है। लेकिन आप सायक्लिंग करते रहते हैं। लोग भी आपको फुटबॉल खेलने की राय देते होंगे? कभी आपको लगा कि professionally भी फुटबॉल खेलना चाहिए या फिर सायक्लिंग ही आपकी पहली choice रही है?
डेविड : professionally खेलने का शौक था फुटबॉल में। लेकिन हम लोग का वहां पर फुटबॉल का उतना स्कोप नहीं था अंडमान एंड निकोबार में। इसलिए फुटबॉल का वो बढ़ नहीं पाया उधर पर।
पीएम : अच्छा डेविड जी, मुझे बताया गया कि आपकी टीम में और एक साथी का नाम भी मशहूर फुटबॉल प्लेयर के नाम पर ही है। फ्री टाइम में आप दोनों फुटबॉल खेलते हैं या नहीं?
डेविड : फुटबॉल नहीं खेलते हैं क्योंकि हम लोग का मतलब ट्रेनिंग में ही फोकस करते हैं हम लोग अपना ट्रैक सायक्लिंग में। बस उसी में हम लोग पूरा टाइम अपना ट्रेनिंग में हम लोग चलाते हैं।
पीएम : अच्छा डेविड जी, आपने अपने जीवन में बहुत से कष्ट सहे हैं पर साइकिल से हाथ कभी नहीं छूटा और इसके लिए बहुत अधिक मोटिवेशन की जरूरत है। ये मोटिवेशन और ये अपने आप को मोटिवेट रखना, ये अपने आप में एक अजूबा है, आप कैसे करते हैं ये?
डेविड : मेरा घर का लोग बहुत मोटिवेट करता है मेरे को कि आपको आगे जाना है और आ कर मेडल जीत कर आना है यहां पर और ये बहुत बड़ी बात होगा कि मैं बाहर जाकर के अपना मेडल लाएगा।
पीएम : अच्छा डेविड जी, आपने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता था। खेलो इंडिया गेम्स से आपको कैसे मदद मिली? ये जीतने के आपके संकल्प को कितना और मजबूत किया?
डेविड : सर वो मेरा पहला जर्नी था कि मैं अपना नेशनल रेकॉर्ड तोड़ा था दो बार और मैं बहुत खुशी की बात है कि मैं मन की बात में आपने मेरे बारे में बहुत बोला था और मैं बहुत खुश था उस टाइम कि आपने मन की बात में मेरा मोटिवेट किया और एक मैं अंडमान निकोबार का एक खिलाड़ी हूं कि मैं वहां से निकल के यहां नेशनल टीम में पहुंचा हूं और ये बहुत खुशी की बात है कि मेरा अंडमान टीम भी बहुत प्राउड फील करता है कि मैं अपने इंडिया टीम में यहां इंटरनेशनल टीम में यहां तक आया।
पीएम : देखिए डेविड, आपने अंडमान निकोबार को याद किया और मैं जरूर कहूंगा कि आप देश के सबसे खूबसूरत क्षेत्र से आते हैं। आप एक-डेढ़ साल के रहे होंगे, जब निकोबार में आई सुनामी ने आपके पिताजी को आपसे छीन लिया था। एक दशक बाद, आपने अपनी माताजी को भी खो दिया। मुझे याद है 2018 में मैं कार निकोबार गया था तो मुझे सुनामी मेमोरियल जाने का और जिन्हें हमने खो दिया, उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला था। मैं आपके परिवार को प्रणाम करता हूं कि इतनी विशमताओं में भी उन्होंने आपको प्रोत्साहित किया। आपके साथ हर देशवासी का आशीर्वाद है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं!
डेविड : थैंक्यू सर!
साथियों,
अच्छा होता जैसा मैंने पहले कहा कि मैं आप सभी से रूबरू मिलकर, सबसे बात कर पाता। लेकिन जैसा मैंने कहा आप में से अनेक दुनिया के अलग अलग देशों में ट्रेनिंग ले रहे हैं और मैं भी parliament में, parliament का सत्र चलने के कारण काफी व्यस्त हूं और इसके कारण इस बार मिला संभव नहीं हुआ। लेकिन, मैं आपको ये जरूर वायदा करता हूं कि जब आप लौटेंगे तो हम ज़रूर मिलकर आपकी विजय का उत्सव मनाएंगे। नीरज चोपड़ा पर तो देश की विशेष नजर रहने वाली है।
साथियों,
आज का ये समय भारतीय खेलों के इतिहास का एक तरह से सबसे महत्वपूर्ण कालखंड है। आज आप जैसे खिलाड़ियों का हौसला भी बुलंद है, ट्रेनिंग भी बेहतर हो रही है और खेल के प्रति देश में माहौल भी जबरदस्त है। आप सभी नए शिखर चढ़ रहे हैं, नए शिखर गढ़ रहे हैं। आप में से अनेक साथी लगातार अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में सराहनीय प्रदर्शन कर रहे हैं। ये अभूतपूर्व आत्मविश्वास आप सभी के भीतर आज पूरा देश अनुभव कर रहा है। और साथियों, इस बार हमारी कॉमनवेल्थ की जो टीम है, ये अपने आप में कई मायनों में बहुत खास है। हमारे पास अनुभव और साथ-साथ नई ऊर्जा, दोनों का अद्भुत संगम है। इस टीम में 14 साल की अनहत हैं, 16 साल की संजना सुशील जोशी हैं, शेफाली, और बेबी सहाना, ये 17-18 साल के बच्चे, ये हमारा देश का नाम रोशन करने के लिए जा रहे हैं। आप सिर्फ खेलों में नहीं बल्कि वैश्विक मंच पर न्यू इंडिया का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। आप जैसे युवा खिलाड़ी ये साबित कर रहे हैं कि भारत का कोना-कोना खेल प्रतिभाओं से भरा है।
साथियों,
आपको प्रेरणा के लिए, प्रोत्साहन के लिए बाहर देखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। अपनी टीम के भीतर ही जब आप मनप्रीत जैसे अपने साथियों को देखेंगे तो जज्बा कई गुणा बढ़ जाएगा। पैरों में फ्रैक्चर के कारण उनको रनर के बजाय, शॉटपुट में अपनी नई भूमिका को अपनाना पड़ा और उन्होंने इसी खेल में नेशनल रिकार्ड बना दिया है। किसी भी चुनौती के सामने पस्त ना होना, निरंतर गतिमान रहना, अपने लक्ष्य के लिए समर्पित रहने का नाम ही खिलाड़ी होता है। इसलिए जो पहली बार बड़े अंतरराष्ट्रीय मैदान पर उतर रहे हैं, उनसे मैं कहूंगा कि मैदान बदला है, माहौल भी बदला होगा, लेकिन आपका मिजाज़ नहीं बदला है, आपकी जिद नहीं बदली है। लक्ष्य वही है कि तिरंगे को लहराता देखना है, राष्ट्रगान की धुन को बजते सुनना है। इसलिए दबाव नहीं लेना है, अच्छे और दमदार खेल से प्रभाव छोड़ कर के आना है। आप ऐसे समय में कॉमनवेल्थ खेलों में जा रहे हैं, जब देश आज़ादी के 75 वर्ष मना रहा है। इस अवसर पर आप श्रेष्ठ प्रदर्शन का तोहफा देश को देंगे, इस लक्ष्य के साथ जब मैदान में उतरेंगे, तो सामने कौन है, इस बात से फर्क नहीं पड़ेगा।
साथियों,
आप सभी ने श्रेष्ठ ट्रेनिंग की है, दुनिया की बेहतरीन सुविधाओं के साथ ट्रेनिंग की है। ये समय उस ट्रेनिंग को और अपनी संकल्पशक्ति का समावेश करने का है। आपने अभी तक क्या हासिल किया, वो निश्चित तौर पर प्रेरणादायी है। लेकिन अब आपको नए सिरे से, नए कीर्तिमानों की तरफ देखना है। आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कीजिए, यही कोटि-कोटि देशवासियों की आपसे अपेक्षा है, देशवासियों की तरफ से आपको शुभकामनाएं भी हैं, देशवासियों की तरफ से आपको आशीर्वाद भी है। और मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं! बहुत बहुत धन्यवाद और जब विजय हो करके आएंगे तो मेरे यहां आने का निमंत्रण अभी से दे देता हूं आपको, शुभकामनाएं! धन्यवाद !