कांग्रेस शासनकाल में हुआ बीएस एन एल /एमटीएन एल का बेडा गर्क ? केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का लोकसभा में खुलासा !

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली :  लोक सभा में गुरुवार को बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सरकारी कंपनियों की बदहाली के सवाल पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कांग्रेस पार्टी को यूपीए शासनकाल में की गई बद इन्तजामी के लिए आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया.  उन्होंने कहा कि 2004 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को लाभकारी कंपनी के रूप में यूपीए सरकार को सौंपा था जिसे यूपीए शासनकाल में जानबूझकर बर्बाद कर दिया गया.  उन्होंने दावा किया कि आज दोनों कंपनियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के कारण दोबारा पुनर्जीवित हो गई है और लंबे समय बाद पहली बार लाभ में आ गई है.  उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासनकाल में 2010 के दौरान वार्षिक लाइसेंस के लिए रीइंबर्समेंट का वायदा किया गया था लेकिन यह नहीं किया गया उल्टे एमटीएनएल से ऑक्शन प्राइस के रूप में 11000 करोड रुपए भुगतान करने के लिए बाध्य कर दिया गया . वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने तीन तीन बार इसकी  एक्सपेंशन के लिए टेंडरिंग प्रोसेस को जानबूझकर डिले किया और पोस्टपोंड किया जिसके कारण बीएसएनल की हालत बदतर हुई.  उन्होंने कहा कि 2005 में बीएसएनल की मार्केट शेयर 19% थी जबकि तत्कालीन सरकार के  असहयोगात्मक रवैया के कारण यह केवल 7.96  प्रतिशत रह गया. 

 

 उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अक्टूबर 2019 में इसको पुनर्जीवित करने के लिए 69000 करोड रुपए दिए.  वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों का पैसा भी दिया.  सभी प्रकार के उच्च ब्याज दर वाले कर्ज से भी इस कंपनी को मुक्ति दिलाई गई.  अब बीएसएनल को 4G तकनीक दे दी गई है जल्द ही इसे 5G भी दिया जाएगा. वित्त मंत्री के तीखे  तेवर पर कांग्रेस पार्टी के सांसद हंगामा करने लगे.  वित्त मंत्री ने उन्हें बीएसएनएल और एमटीएनएल के मुद्दे पर पिछला रिकॉर्ड खंगालने और इसका जवाब देने की विपक्ष को चुनौती दी.  नोकझोंक काफी बढ़ गई और अंततः कांग्रेस पार्टी के सांसद लोकसभा से वाकआउट  कर गए.

 

 इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें  यह कहते हुए ललकारा कि  जब प्रधानमंत्री पर अनाप-शनाप आरोप लगाते हैं तो उन्हें भी उनके तर्क और आंकड़े को सुनने की सहनशीलता दिखानी चाहिए. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस पार्टी को वास्तविकता का सामना करने का नैतिक बल नहीं है. 

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