पांचवे दिन कथा में सुनाया गया गोवर्धन पूजा का प्रसंग
जुरहरा, भरतपुर रेखचन्द्र भारद्वाज: जुरहरा कस्बे के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर पर चल रही भागवत सप्ताह कथा के तहत गुरुवार को कथा वाचक दीदी राजकिशोरी शास्त्री जुरहरा के द्वारा उपस्थित श्रद्धालुओं को गोवर्धन पर्वत की पूजा के प्रसंग की कथा का वर्णन विस्तार किया गया।
कथा में गोवर्धन पर्वत को कृत्रिम झांकी के माध्यम से दर्शाते हुए भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपनी एक उंगली पर ग्वाल वालों की सहायता से गोवर्धन पर्वत को उठा कर ग्वाल-बालों की रक्षा किए जाने की कथा का वर्णन किया गया। वहीं भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाए गए। अपने प्रवचनों में कथावाचक राजकिशोरी शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर धर्म और सत्य की पुन: स्थापना के लिए द्वापर युग में अवतार लिया था।
उन्होंने बाल्य अवस्था में ही कालीया नाग का मर्दन करके यमुना जी को पवित्र किया, पूतना एवं बकासुर आदि मायावी शक्तियों का अंत किया था वहीं बृज भूमि में आतंक के पर्याय बन चुके अपने मामा कंस का वध करके अपने माता-पिता देवकी-वसुदेव और नाना महाराज उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया था। कथावाचक ने बताया कि गोवर्धन पूजा में प्रकृति की पूजा का उल्लेख किया गया है और हमें भी भगवान श्री कृष्ण की तरह प्रकृति से प्रेम करते हुए प्रकृति के संवर्धन में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए।
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी कन्हैया पाराशर ने बताया कि मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह का आयोजन कस्बे वासियों के सहयोग से कराया जा रहा है। 6 फरवरी से आरंभ हुई श्रीमद् भागवत सप्ताह का समापन 13 फरवरी को भंडारा प्रसादी के साथ किया जाएगा।