-पटवारियों पर खसरा गिरदावरी में गैर मुमकिन यानी जमीनों की प्रकृति बदल कर दाखिल खारिज करने का आरोप
-करनाल के 34 तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों पर 9774 रजिस्ट्री बिना एनओसी के करने के आरोप
-दोनों मामले में डिविजनल कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी
-पटवारियों एवं तहसीलदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश
सुभाष चौधरी
गुरुग्राम : उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का हंटर हरियाणा के 119 पटवारियों एवं 34 तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों पर चला है. इस कार्रवाई के बहाने श्री चौटाला ने मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को सख्त संदेश देने की कोशिश की जो सरकारी खजाने को भी चूना लगाते हैं साथ ही आम लोगों की जेबों पर भी डाका डालते हैं. हरियाणा रेवेन्यू एवं डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की ओर से संबंधित जिला उपायुक्तों को भेजे गए पत्र में उक्त पटवारियों एवं तहसीलदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। पटवारियों पर खसरा गिरदावरी में गैर मुमकिन यानी जमीनों की प्रकृति बदल कर दाखिल खारिज करने जबकि करनाल के 34 तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों पर 9774 रजिस्ट्री बिना एनओसी के करने के आरोप हैं।दोनों ही मामले में संबंधित डिविजनल कमिश्नर ने गहन छानबीन के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी जिसके आधार पर इनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
उल्लेखनीय है कि गुरुग्राम डिवीजन के 3 जिले गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में गैर मुमकिन जमीन की प्रकृति बदल कर दाखिल खारिज करने का मामला बड़े पैमाने पर सामने आया था. इसको लेकर हरियाणा सरकार की जबरदस्त किरकिरी हुई थी. पिछले वर्ष भी रेवेन्यू डिपार्टमेंट के मंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पटवारियों के खिलाफ और तहसीलदारों के खिलाफ कार्रवाई की थी. जिस पर काफी हाय तौबा मचा था. तब यह कहा जा रहा था कि तहसीलदारों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर नहीं दिया गया. दूसरी तरफ तहसीलदार एसोसिएशन की ओर से इस मामले को पुरजोर तरीके से उठाया गया था कि वह अधिकारी हैं और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।
अब इस मामले की जांच की जिम्मेदारी डिविजनल कमिश्नर गुरुग्राम को दी गई थी. उन्होंने गत 7 दिसंबर 2021 को अपनी fact-finding रिपोर्ट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट को सौंप दी थी. उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रदेश सरकार इस मामले को सख्ती से लेगी और इसमें दोषी पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. लगभग 2 माह बाद अंततः हरियाणा सरकार ने 119 पटवारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया. इनमें से गुरुग्राम से 76 पटवारी हैं जबकि रेवाड़ी से 16 पटवारियों के नाम और महेंद्रगढ़ जिले से 27 पटवारियों के नाम इस सूची में शामिल हैं ।
रेवेन्यू एवं डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग हरियाणा के फाइनेंशियल कमिश्नर एवं एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की ओर से संबंधित जिला उपायुक्तों को भेजे गए पत्र में यह साफ किया गया है कि सभी 119 पटवारी, नियम के विरुद्ध काम करते हुए पाए गए हैं। इनके खिलाफ की गई जांच में तत्कालीन डिविजनल कमिश्नर गुरुग्राम ने आरोपों को सही पाया है. फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के आधार पर इनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई।
दूसरी तरफ करनाल डिविजन के 34 तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के घेरे में आ गए हैं. उन सभी पर कुल 9774 रजिस्ट्री बिना एनओसी के करने के आरोप हैं. इस मामले का खुलासा होने पर रेवेन्यू डिपार्टमेंट के मंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने करनाल के डिविजनल कमिश्नर को इसकी जांच करने का आदेश दिया था. करनाल डिविजनल कमिश्नर ने 20 जनवरी 2022 को अपनी fact-finding रिपोर्ट सरकार को भेज दी. उन्होंने भी अपनी रिपोर्ट में इन सभी 34 तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों के खिलाफ लगे आरोप को सही बताया है. उनकी रिपोर्ट के आधार पर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, रेवेन्यू ने संबंधित जिला उपायुक्त को सभी तहसीलदारों को शो कॉज नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. सभी आरोपी 34 तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों को अगले 15 दिनों के अंदर अपना जवाब दाखिल करना होगा. इसके बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकेगी।
बताया जाता है कि जिन 34 तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं उनमें से कई डिस्ट्रिक्ट रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर तैनात हैं तो कई नायब तहसीलदार से तहसीलदार बन चुके हैं. कुछ तहसीलदार और नायब तहसीलदार रिटायर भी हो चुके हैं. उन पर 3 अप्रैल 2017 से 13 अगस्त 2021 के बीच 9774 रजिस्ट्री बिना एनओसी की करने के आरोप हैं और ये आरोप डिविजनल कमिश्नर द्वारा की गई जांच में तथ्यात्मक पाए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि जमीनों की रजिस्ट्री में नियमों का उल्लंघन करना और उसका नोमेनक्लेच्योर बदलने का गोरखधंधा गुरुग्राम सहित हरियाणा के सभी प्रमुख जिले में दशकों से बड़े पैमाने पर चलता रहा है। यह जालसाजी का खेल पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, प्रॉपर्टी डीलर, राजनेता, विधायक और पार्षद के बीच व्याप्त अनैतिक गठबंधन के संरक्षण में चलता रहा है। कई बार यहां उपजाऊ जमीन को प्लॉट दिखाकर रजिस्ट्री कराने का मामला उजागर हो चुका है लेकिन सरकार या तत्कालीन मंत्री इसे नजरअंदाज करते रहे. इससे रेवेन्यू डिपार्टमेंट में तैनात पटवारी और तहसीलदार मजे लेते रहे जबकि प्रॉपर्टी डीलर और अवैध कॉलोनी काटने वाले कालोनाइजर चांदी कूटते रहे।
इस प्रकार की गतिविधियों पर प्रदेश सरकार अक्सर प्रतिबन्ध लगाने की बयानबाजी करती रही है, लेकिन यह गोरखधंधा चलता रहा. खासकर कोरोना महामारी के दौरान पटवारी और तहसीलदार, नायब तहसीलदारों ने नियमों की धज्जियां जमकर उड़ाई।
भला हो प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और राजस्व विभाग के मंत्री दुष्यंत चौटाला का जिन्होंने इस मामले पर पहली बार सख्त रुख अख्तियार किया और कार्रवाई करने की घोषणा की। उन्होंने गुरुग्राम के डिविजनल कमिश्नर को पटवारियों की गोरखधंधे और करनाल डिविजनल कमिश्नर को वहां के तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों की कारगुजारीयों की जांच करने का जिम्मा दिया। दोनों ही डिविजनल कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी जिसके आधार पर अब अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की गई है। प्रदेश की जनता इस बात को लेकर आशंकित थी कि पहले की भांति इस बार भी संभवतः इस पूरे मामले पर लीपापोती कर दी जाएगी लेकिन दोनों डिविजनल कमिश्नर की ओर से fact-finding रिपोर्ट भेजने के बाद सरकार के पास कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
गुरुग्राम हो रेवाड़ी या फिर महेंद्रगढ़ या करनाल या प्रदेश के अन्य जिले, तहसील और पटवार घर में होने वाले धंधे पर सवाल अक्सर उठता रहा है. पूरे हरियाणा में इस बात की चर्चा जोरों पर होती रही है. भ्रष्टाचार के दलदल में पूरी तरह फंसे जिले में रेवेन्यू विभाग ने प्रदेश सरकार की छवि पर जबरदस्त बट्टा लगाया है। चाहे सरकार किसी पार्टी की आ जाए तहसील में रजिस्ट्रीयों का व्यापार बदस्तूर जारी रहता है।
पटवारी, तहसीलदार, प्रॉपर्टी डीलर और नेता मिलकर जनता के खून पसीने की कमाई पर डाका डालते रहे हैं . साथ ही सरकार के खजाने को भी चूना लगाते रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर जिला योजनाकार विभाग के अधिकारी पीला पंजा चलाते दिखते हैं. कई बार नगर निगम गुरुग्राम की ओर से सीलिंग भी की जाती है. लेकिन अगले 24 से 48 घंटे में सील टूट भी जाती है . पीले पंजे भी अपने गैरेज में खड़े हो जाते हैं जबकि अवैध बनने वाले मकान और अवैध कालोनियां काटने का काम लगातार जारी रहता है।
इस मामले में गुरुग्राम जिला, हरियाणा में सबसे अव्वल है . यहां अधिकारी कोई भी आ जाए उनकी नजर हमेशा अवैध कटने वाली कालोनियों पर रहती है जहां से उनकी काली कमाई का नियमित जरिया शुरू होता है। अब तक की कार्रवाई से ऐसा लगता है कि अब इन पटवारियों एवं तहसीलदारों के पाप का घड़ा फूट चुका है। हालांकि देखना यह है कि इन्हें केवल निलंबित कर छोड़ दिया जाता है या फिर इनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जाता है .