आई टी मंत्री ने राज्यसभा में बताया : सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए और सख्त कानून लाने पर विचार

Font Size

सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली :  केंद्र सरकार एक बार फिर सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानून बनाने पर विचार कर रही है. इस बात के संकेत आज केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में दिये . यह मामला विपक्ष के कई सांसदों द्वारा उठाया गया. त्रिपुरा की महिला सांसद ने मंत्री से सोशल मीडिया पर पिछले वर्षों में की गई कार्रवाई के बारे में जानना चाहा जबकि कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा में उपनेता आनंद शर्मा ने व्हाट्सएप पर अंकुश लगाने से संबंधित सवाल पूछा।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगर पूरा सदन सहमत हो तो सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अंकुश लगाने के लिए और भी सख्त कानून लाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसद एक तरफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सख्ती बरतने की मांग करते हैं तो दूसरी तरफ फ्रीडम ऑफ स्पीच को लेकर सरकार पर निरर्थक आरोप लगाते हैं. ऐसे में डिजिटल एवं सोशल मीडिया को अकाउंटेबल बनाने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाया जा सकता।

उन्होंने कहा कि अगर सदन सहमत हो तो सरकार इस मामले में और सख्त कानून लाने पर विचार कर सकती है। दरअसल सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान त्रिपुरा से सीपीआईएम की महिला सांसद झारना दास वैद्या ने जानना चाहा कि कितने सोशल मीडिया के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई की गई है. इस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन्हें 2021 में लागू किए गए सभी प्रावधानों की जानकारी दी और उसके तहत सोशल मीडिया एवं ओटीटी प्लेटफॉर्म के द्वारा मंथली कंप्लायंस रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर डाले जाने की जानकारी दी . इसके अलावा उन्होंने बताया कि उपरोक्त गाइडलाइन के अनुसार सभी संबंधित कंपनियों में नोडल ऑफिसर, ग्रीवेंस  ऑफिसर जैसे पद सृजित किए गए हैं और यह सभी भारतीय अधिकारी तैनात किए गए हैं।

महिला सांसद ने यह भी जानना चाहा कि टि्वटर और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है और वह अपनी कंप्लायंस रिपोर्ट सरकार को भेजते हैं या नहीं.  इस पर केंद्रीय मंत्री का कहना था कि कंप्लायंस रिपोर्ट सरकार को हमेशा भेजने की आवश्यकता नहीं है बल्कि उन्हें उनकी अपनी खुद की वेबसाइट पर डालने के लिए कहा गया है. जिससे की आम आदमी भी उस रिपोर्ट को देख सकता है. उसकी जानकारी प्राप्त कर सकता है।

इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी केंद्रीय मंत्री से पिछले दिनों महाराष्ट्र में मुस्लिम महिलाओं के अभद्र फोटो डालने, उसका दुरुपयोग करने के संबंध में की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी. केंद्रीय मंत्री नहीं साफ कर दिया कि इंडिया कंप्यूटर रिस्पांस द्वारा हाई लेवल कमिटी गठित की गई और इस मामले में तत्काल गंभीरता से और गहराई से जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।

केरल से सांसद अब्दुल बहाव ने भी सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को लेकर सवाल पूछा. केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि सरकार सख्त नियम बनाने को तैयार है. हालांकि इसके लिए 2021 में डिजिटल एवं सोशल मीडिया गाइडलाइन लागू की गई है और उसके अनुरूप सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एवं ओटीटी प्लेटफॉर्म से उसका अनुपालन करने को कहा गया है. उसके अनुरूप कार्रवाई भी की जा रही है।

राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा ने भी सरकार से खासकर व्हाट्सएप पर फैलाए जाने वाले अनर्गल संदेशों को लेकर सवाल पूछा . उन्होंने कहा कि क्या सरकार 2021 में सोशल मीडिया  गाइडलाइन के प्रावधानों के अनुपालन संबंधित कभी जांच करती है या इसे पालन कराने के लिए किस प्रकार की व्यवस्था है . उन्होंने  अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उक्त गाइडलाइन का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है. इस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इसको समय-समय पर जांचा जाता है और इस पर सरकार की कड़ी नजर है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जहां तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को और जवाबदेह बनाने की बात है तो अगर पूरा सदन सहमत हो तो सरकार और भी सख्त रुख अख्तियार करने को तैयार है.

उन्होंने कहा कि इस मद में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष अगर इस मामले पर एक हो तो सोशल मीडिया को और भी सही तरीके से रेगुलेट करने के लिए आवश्यक प्रावधान बनाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से अक्सर सरकार पर फ्रीडम ऑफ स्पीच का उल्लंघन करने का आरोप लगाया जाता है जो कि सही नहीं है. हमें इससे बचने की जरूरत है क्योंकि यह सम्वेदनशील मुद्दा है.

You cannot copy content of this page