युवा पीढ़ी को आजादी में हरियाणा के संघर्षो की दास्तान से रूबरू करवा रही है डिजिटल प्रदर्शनी

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– डिजिटल प्रदर्शनी को देखने के लिए कन्या महाविद्यालय पहुँच रहे जिलावासी

गुरुग्राम,22 अक्तूबर। सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा की ओर से लगाई गई डिजिटल प्रदर्शनी जिला की युवा पीढ़ी को देश की आजादी में हरियाणा के संघर्षों की दास्तान से रूबरू करवा रही है। सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा के संयुक्त निदेशक (एनसीआर) रणबीर सिंह सांगवान ने जिला के युवाओं से आह्वान किया कि वे इस प्रदर्शनी का अवलोकन जरूर करें ताकि आजादी के सार्थक मूल्यों की समझ के साथ देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें।

स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा का योगदान व प्रदेश के गठन से लेकर मौजूदा समय तक कि विकास यात्रा की थीम पर आधारित डिजिटल प्रदर्शनी का शुक्रवार को दूसरे दिन जिला के विभिन्न क्षेत्रों से आये छात्र -छात्राओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के अनेक लोगों ने अवलोकन किया।

डिजिटल प्रदर्शनी में विभिन्न डिस्प्ले के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रांति से लेकर देश की आजादी प्राप्ति तक हरियाणा वासियों द्वारा दिए गए अतुलनीय योगदान को प्रमुखता से दर्शाया गया है।

डिजीटल प्रदर्शनी में 5वीं और 60वीं रेजिमेंट द्वारा 10 मई 1857 को अम्बाला में किए गए सशस्त्र विद्रोह के समय तत्कालीन उपायुक्त द्वारा पंजाब के मुख्य आयुक्त सर जॉन लॉरेन्स को भेजे गए टेलीग्राम की प्रति को दर्शाया गया है। वहीं भिवानी जिला के गांव रोहनात स्थित उस कुवें व बरगद के पेड़ को भी दिखाया गया है जहां 1857 की आजादी की पहली क्रांति में भाग लेने वाले अनेक क्रांतिकारियों व उनके बच्चों को जलियांवाला बाग की तरह मौत के घाट उतारा गया था।

प्रदर्शनी में हांसी व हिसार में हुए यूरोपियन्स हत्याकांड के उपरांत दिनांक 02 जून 1857 को कैप्टन एच. आर.जेम्स, उस समय के कार्यवाहक सचिव, मुख्य आयुक्त,पंजाब सरकार ने जो पत्र तत्कालीन सचिव, भारत सरकार विदेश विभाग को लिखा था, वह भी प्रदर्शनी में दर्शाया गया है जिसमें उन्होंने उपरोक्त हत्याकांड की विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। इसके साथ ही अभिलेखागार विभाग द्वारा उस समय की दुर्लभ तस्वीरों जैसे आजाद हिंद फौज का झंडा, बैज व मोहर तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हस्ताक्षर की प्रति को भी दर्शाया गया है।

प्रदर्शनी में हिसार शहर के उस ऐतिहासिक दिन की तस्वीर को भी दिखाया गया है, जिसमे 28 नवंबर 1938 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस रेलगाड़ी से हिसार पहुंचे थे। रेलवे स्टेशन पर हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया था। सुभाष चंद्र बोस ने हिसार जिले के सूखा पीड़ित लोगों से मुलाकात कर स्थिति का निरीक्षण किया था और कष्ट पीड़ित लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा था कि सूखा और दूसरे की मुसीबतों का मुख्य कारण गुलामी है।

इस प्रदर्शनी में हरियाणा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को अभिलेखों व तस्वीरों के माध्यम से दिखाने के साथ ही हरियाणा के विकास की तस्वीर भी दिखाई गई हैं।

यह प्रदर्शनी वीरवार से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक महाविद्यालय में आयोजित की जा रही है। प्रदर्शनी में प्रवेश निशुल्क है और आमजन के साथ-साथ स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों को भी आमंत्रित किया गया है।

 

 

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