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जयपुर, 17 अक्टूबर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में सड़कों का निर्माण एवं उनकी मरम्मत राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी सड़क निर्माण में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करें एवं इन्जीनियर समय-समय पर निरीक्षण कर निर्माण कार्याें की गुणवत्ता जांच करें।
श्री गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित सार्वजनिक निर्माण विभाग की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डिफॉल्ट लायबिलिटी पीरियड में सड़कें खराब होने पर ठेकेदार उनकी मरम्मत कराए, यह सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक एवं कोटा संभाग के चार जिलों सहित 8 जिलों में जहां सड़कें ज्यादा खराब हैं, वहां 145 करोड़ रूपए के प्रस्ताव मंगवाए गए हैं इनका परीक्षण कर इन जिलों में खराब सड़कों की मरम्मत के कार्य शीघ्र करवाए जाएं। उन्होंने भरतपुर से मथुरा जाने वाली सड़क में राजस्थान के हिस्से की करीब 13 से 14 किलोमीटर खराब सड़क की मरम्मत भी जल्दी कराने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को मौके पर जाकर निरीक्षण करने के निर्देश दिए।
श्री गहलोत ने कहा कि प्रत्येक विधायक के क्षेत्र में 5 करोड़ रूपए की सड़कों के कार्य करवाए जा रहे हैं। सभी विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर प्रदेश में करीब एक हजार सड़क निर्माण कार्य होंगे। उन्होंने शहरी विधानसभा क्षेत्रों में भी यह कार्य शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सीआरआईएफ के तहत कलेक्टरों के माध्यम से आए प्रस्तावों के आधार पर करीब 2 हजार करोड़ रूपए के सड़क निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं। उन्होेंने बताया कि पिछली सरकार के रूके हुए 389 करोड़ के कार्यों को भी स्वीकृति दे दी गई है और यह कार्य शीघ्र शुरू होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट घोषणाओं के अलावा करीब 453 करोड़ रूपए की सड़कों के लिए अलग से स्वीकृति जारी की गई है। इसके अलावा धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाली सड़कों को भी राज्य सरकार ने मंजूरी दी है।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि निर्माण कार्याें में कई बार ठेकेदारों द्वारा अनुमानित राशि से काफी कम दर बिड में डाली जाती है और कार्य या तो समय पर पूरा नहीं किया जाता अथवा गुणवत्ता मेंटन नहीं की जाती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शीता नियम-2013 में अतिरिक्त कार्य सम्पादन प्रतिभूति लिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया है। सफल ठेकेदार की दर अनुमानित मूल्य से 85 प्रतिशत से कम आने पर उस से 85 प्रतिशत से जितनी कम राशि होगी, उस राशि की 50 प्रतिशत अतिरिक्त कार्य सम्पादन प्रतिभूति ली जाएगी। इस व्यवस्था से टेण्डर में अनुमानित मूल्य से काफी कम दर लगाने वाले ठेकेदारों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
बैठक में सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री राजेश यादव ने बजट घोषणाओं की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 14 हजार करोड़ रूपए के कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से ज्यादातर कार्याें के कार्यादेश जारी हो चुके हैं। उन्होेंने बताया कि प्रत्येक विधायक के क्षेत्र में 5 करोड़ रूपए की सड़कों में से ज्यादातर के कार्य शुरू हो चुके हैंं। सीआरआईएफ के तहत पहले 723 करोड़ के कार्य शुरू हुए थे, लेकिन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद करीब 1300 करोड़ रूपए के और कार्य हाथ में लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि सभी 33 जिलों में प्रत्येक में 3-3 कार्य होंगे। इस प्रकार 2 हजार करोड़ रूपए के कुल 99 सड़क निर्माण कार्य कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तृतीय चरण में सभी जिलों से प्रस्ताव आ रहे हैं, जिन्हें दिसम्बर माह में केन्द्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
श्री यादव ने बताया कि वर्ष 2019-20 की बजट घोषणा के तहत जोधपुर के पावटा मण्डी क्षेत्र में आधुनिक बस स्टेण्ड का निर्माण कराया जा रहा है। इस कार्य के लिए स्वीकृत राशि 38 करोड़ रूपए है। इसके अलावा वर्ष 2020-21 की बजट घोषणा के तहत पावटा जिला अस्पताल का विस्तार कार्य भी कराया जा रहा है, जिसकी स्वीकृत राशि 25 करोड़ 80 लाख रूपए है।
बैठक में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा, मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग श्री संजीव माथुर, मुख्य अभियंता (राष्ट्रीय राजमार्ग) श्री डी आर मेघवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेे।