सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसक घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व पूरी तरह मौन है. दूसरी तरफ पार्टी के लोकसभा सांसद वरुण गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से करवाने की मांग की है. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में 4 किसानों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों पर हत्या का मामला दर्ज करने और सभी पीड़ितों को एक -एक करोड़ रुपए का मुआवजा भी दिए जाने की मांग दोहराई है।
अक्सर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के उलट चलने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में प्रदेश के किसानों को आश्वस्त करने का भी आग्रह किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं दोहराई जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि यूपी पुलिस ने रविवार को लखीमपुर में 8 लोगों की हत्या के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्र के खिलाफ मामला दर्ज किया है. बावजूद इसके विपक्षी नेता दोनों पिता-पुत्र को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग पर अड़े हुए हैं. समझा जाता है कि विपक्षी नेताओं के ही सुर में सुर मिलाते हुए भाजपा सांसद वरुण गांधी ने इस मामले में सीबीआई जांच करवाने की मांग करते हुए पत्र में बेहद सख्त शब्दों का उपयोग किया है।
वरुण गांधी ने अपने पत्र में कहा है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को निर्दयता पूर्वक कुचलने की जो हृदय विदारक घटना हुई है उससे सारे देश के नागरिकों में एक पीड़ा और रोष है. इस घटना से 1 दिन पहले ही देश ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की जयंती मनाई थी. वरुण गांधी ने कहा है कि अगले ही दिन लखीमपुर खीरी में हमारे अन्नदाताओं कि जिस घटनाक्रम में हत्या की गई यह किसी भी सभ्य समाज में अक्षम्य है।
सांसद वरुण गांधी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यहां तक कहा है कि आंदोलनकारी किसान भाई हमारे अपने नागरिक हैं. यदि कुछ मुद्दों को लेकर किसान भाई पीड़ित हैं और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो हमें उनके साथ बड़े ही संयम एवं धैर्य के साथ बर्ताव करना चाहिए. उन्होंने योगी सरकार को झकझोरने वाले शब्दों में कहा है कि हमें हर हाल में अपने किसानों के साथ केवल और केवल गांधीवादी और लोकतांत्रिक तरीकों से कानून के दायरे में ही संवेदनशीलता के साथ पेश आना चाहिए।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने पत्र के माध्यम से वरुण गांधी ने साफ तौर पर नसीहत देने की कोशिश की है जबकि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेता या फिर प्रदेश के नेता इस मामले में अपना अलग रुख रखते हैं जो जगजाहिर है. स्पष्टतः आंदोलनकारी किसानों के प्रति उनका रवैया अलग राह पर है। सोशल मीडिया हो या फिर मीडिया के अन्य माध्यम, हमेशा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से किसान आंदोलन के नकारात्मक स्वरूप को लेकर अक्सर आवाज मुखर रही है, किसान आंदोलन में कथित तौर पर शामिल उपद्रवियों और कथित उग्रवादियों की घुसपैठ को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी का मत हमेशा से स्पष्ट रहा है। यहां यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि आंदोलन की शुरुआत के दौरान ही किसान संगठनों के साथ केंद्र सरकार के मंत्रियों ने कई दौर की बातचीत भी की. हालांकि उसका नतीजा सामने नहीं आया लेकिन केंद्र सरकार की ओर से आंदोलन को समाप्त कराने की दिशा में बातचीत का रुख अख्तियार करना और हमेशा किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित करते रहना सर्वविदित है।
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक घटना को लेकर पार्टी के ही सांसद वरुण गांधी ने जिस तरह से अपनी ही पार्टी की सरकार को किसानों के साथ शालीनता से पेश आने की नसीहत दी है इसे भाजपा नेतृत्व किस तरह लेंगे आने वाले समय में स्थिति स्पष्ट होगी लेकिन यह तो स्पष्ट है कि वरुण गांधी ने इस घटना के लिए अपनी पार्टी से अलग रुख अख्तियार कर लिया है।