एमसीजी दफ्तर में मचा हडकम्प , निगम कमिशनर भी नहीं पहुंच पाए थे कार्यालय
कार्यालय से गायब दो एसडीओ, कुलदीप और राकेश शर्मा को सस्पेंड करने के आदेश
एक्शन धर्मवीर मलिक को निगम से बाहर का दरवाजा दिखाया
फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र के मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश
डिविजन न. 2 और 7 के एक्शन गोपाल कलावत सहित कई अधिकारियों के खिलाफ होगा मामला दर्ज
सुभाष चौधरी/संपादक
गुरुग्राम : हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय, स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज ने आज अचानक गुरुग्राम नगर निगम के मुख्यालय में छापा मारा. उन्हें कई पार्षदों से अधिकारियों के फर्जिबाड़े की शिकायतें मिल रही थीं. दुर्भाग्यवश उस वक्त तक निगम कमिश्नर भी कार्यालय नहीं पहुंचे थे. दूसरी तरफ शहर में जलभराव से एक व्यक्ति की हुई मौत के कारण हरियाणा सरकार की हुई जबरदस्त किरकिरी से मंत्री भन्नाए हुए थे. उनके इस औचक निरिक्षण से निगम दफ्तर में अफरातफरी का माहौल बन गया. कई अधिकारी सीट से नदारद दिखे. मंत्री ने अधिकारियों को जमकर खरी खोटी सुनाई और निगम के कामकाज में सुधार लाने की नसीहत दी. सीट से अनुपस्थित पाए जाने के कारण दो एसडीओ को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने का आदेश जारी किया जबकि वार्ड नंबर एक की पार्षद की शिकायत पर एक्शन धरमवीर मलिक को निगम से बाहर का दरबाजा दिखा दिया. उन्हें निगम आयुक्त मुकेश आहूजा ने यह कहते हुए निलंबित होने से बचा लिया कि यह अधिकारी एक्सटेंशन पर है. इसके अलावा अपनी प्रशंसा में फर्जी पत्र /हस्ताक्षर मामले में हुई जांच के आधार पर डिविजन न. 2 और 7 के एक्शन गोपाल कलावत सहित कई एस डी ओ व जे ई के खिलाफ ऍफ़ आई आर दर्ज करने का आदेश दिया. उन के इस सख्त एक्शन पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने निगम के दफतर के बाहर उनके समर्थन में जमकर नारेबाजी की. किसी काबीना मंत्री का गुरुग्राम नगर निगम में औचक निरिक्षण की यह पहली घटना है.
बताया जाता है कि हरियाणा में अपने सख्त मिजाज के लिए जाना जाने वाले केबिनेट मंत्री अनिल विज इस बात से सख्त नाराज हैं कि एमसीजी अधिकारियों ने जलभराव की समस्या का निदान करने के नाम पर कथित तौर पर लगभग 30 करोड़ रूपये के बिल बना दिए लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. हर साल इस शहर को इस भीषण स्थिति का सामना करना पड़ता है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. तीन दिन पूर्व हुई केवल डेढ़ घंटे की बारिश से हुए भारी जलजमाव के कारण यहाँ एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जिससे हरियाणा सरकार की बड़ी आलोचना हो रही है. शहरी निकाय मंत्री की जिम्मेदारी स्वयं अनिल विज संभाल रहे हैं. इससे इस मामले को लेकर विज भी विपक्ष के निशाने पर हैं.
खबर है कि गुरुग्राम के कई पार्षद यहाँ तक कि स्थानीय विधायक भी निगम के अधिकारियों की भ्रष्ट कार्यशैली को लेकर मंत्री से शिकायतें करते रहे हैं. पिछले दो वर्षों में कई कमिशनर इस निगम को मिले लेकिन कार्यशैली सुधरने के बजाय भ्रष्ट होती चली गई. इस जिला के लोग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नगर निगम के कारण कराहने लगे हैं और हरियाणा सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने लगे हैं. यहाँ जनता की जेब और सरकार के खजाने पर डाका डाल कर कई पीढ़ियों का इंतजाम कर लिया. कोई काम यहाँ फाइल की वेट बढाने के बाद ही होता है और आम जनता क्या, चुने हुए पार्षद भी अधिकारियों का चक्कर लगा कर थक जाते हैं लेकिन उनका काम नहीं होता. बिल बन जाता है लेकिन काम कागजों में होता है धरातल पर नहीं. यह कहानी गुरुग्राम नगर निगम के लिए आम हो चली है क्योंकि आई ए एस हो या एच सी एस, गुरुग्राम में तबादला इसी लक्ष्य को लेकर करवाते हैं.
इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जल जमाव की समस्या से निबटने के नाम पर कथित तौर पर 30 करोड़ के बिल पास हो गए और शहर में शायद ही कोई इलाका, सड़क, औद्योगिक सेक्टर, रिहायशी क्षेत्र या फिर बाजार है जहाँ थोड़ी देर की बारिश से ही बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती है. यह हरियाणा सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती है जो वर्षों से बरकरार है. अधिकारी बैठकें कर सरकार को बेवकूफ बनाते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं जबकि जनता जाये भांड में.
किसी मंत्री का नगर निगम गुरुग्राम में औचक निरिक्षण करने की यह पहली घटना है. उनकी इस कार्रवाई का असर कितने दिन रहेगा इसको लेकर लोग आशंकित हैं.
आज गुरुग्रं अचानक पहुंचे शहरी निकाय मंत्री अनिल विज सबसे पहले सेक्टर 34 स्थित निगम मुख्यालय के प्रथम तल पर पहुंचे जहां निगम आयुक्त सहित कई अधिकारियों के सुविधा सम्पन्न दफ्तर हैं. प्रथम तल पर पूछताछ करने के बाद उन्होंने द्वितीय तल का रुख किया और एकाउंट्स डिपार्टमेंट की फाइलें भी खंगाली. बताया जाता है कि यहाँ डिविजन न. 1 के एस डी ओ स्तर के दो अधिकारी गायब थे. उन्होंने पूछताछ के बाद दोनों अधिकारियों एस डी ओ, कुलदीप और राकेश शर्मा को निलम्बित करने का आदेश दिया.
शहरी निकाय मंत्री श्री विज ने एक और एक्शन धर्मबीर मलिक को निगम से बाहर का दरवाजा दिखा दिया. उन्हें उनके मूल विभाग में भेजने का आदेश जारी किया. सूत्रों का कहना है कि मंत्री ने फाइल का निरिक्षण करने के बाद मौके से गुरुग्राम नगर निगम के वार्ड नम्बर एक की पार्षद मिथिलेश बरवाल से बात की. उन्होंने अपने इलाके में पानी की लाइन मरम्मत करने व सीवर मेंटेनेंस करवाने के लिए पत्र लिखा था. काम तो हुआ नहीं लेकिन बिल पास हो गया. इसकी तस्दीक मंत्री ने महिला पार्षद बरवाल से की तो उन्होंने काम नहीं होने की शिकायत की. मजे की बात यह है कि वार्ड नम्बर एक के काम के लिए भी बिल पास हो गया लेकिन काम नहीं कराया गया था. पूछताछ के दौरान धर्मबीर मलिक ने मंत्री को काम होने और एस्टीमेट बनवाने की झूठी जानकारी दी. वहां निगम आयुक्त मुकेश कुमार आहूजा भी मौजूद थे. मंत्री ने उन्हीं से महिला पार्षद से फोन पर बात करवाने को कहा. आयुक्त ने पार्षद को फोन लगाकर मंत्री को दिया और उन्होंने उनके दो पत्रों के बारे में जानकारी ली जिसमें चौकाने वाली बात सामने आई कि दो में से कोई भी काम नहीं हुए हैं. इस पर मंत्री विफर गए और उन्होंने अधिकारी को तत्काल सस्पेंड करने का आदेश जारी किया लेकिन निगम आयुक्त मुकेश आहूजा ने उन्हें यह कहते हुए बचाने की कोशिश की कि यह अधिकारी एक्सटेंशन पर है. फिर मंत्री ने उन्हें निगम से रिलीव करने का आदेश जारी किया. इस दौरान निगम आयुक्त भी घबराए हुए दिखे.
श्री विज ने उक्त अधिकारी को मौके पर जोर से फटकारा और कहा कि ” निर्वाचित सदस्यों की चिट्ठियाँ तुम्हारे टेबल पर धक्के कहा रहीं हैं और तुम झूठ बोलते हो. लोगों ने उन्हें चुन कर भेजे हैं और उनके काम नहीं हो रहे हैं जबकि मुझे गलत जानकारी दे रहे हो.” मंत्री बेहद तीखे तेवर में थे.
इसके अलावा मंत्री ने आज अपने काम की प्रशंसा में पुराने फर्जी पत्र /हस्ताक्षर युक्त पत्र मामले में हुई विभागीय जांच के आधार पर डिविजन न. 2 और 7 के एक्शन गोपाल कलावत सहित कई एस डी ओ व जे ई के खिलाफ ऍफ़ आई आर दर्ज करने का आदेश दिया. उल्लेखनीय है कि इंजीनियरिंग विभाग के कई अधिकारियों ने पार्षदों के पुराने पत्रों का ही जानबूझ कर अपने काम को सन्तोषजनक बताने के लिए कर लिया था. इसका खुलासा होते ही विभागीय जांच कराई गई थी जिसमें कई अधिकारियों के नाम सामने आये थे. जांच की रिपोर्ट आने के बाद अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. आज इसी मामले में शहरी निकाय मंत्री श्री विज ने ऍफ़ आई आर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं.
खबर यह भी है कि मंत्री ने इस पूरे मामले की जांच करवाने का भी ऐलान किया है. निगम के प्रथम तल और द्वितीय तल का निरिक्षण कर अधिकारियों व कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाईं. अधिकारी व कर्मचारी सभी इधर उधर भागते दिखे, कोई अपनी सीट पर जल्दी जल्दी पुरानी फाइलों को निपटते दिखे तो कोई उसे तत्काल निपटाने की कोशिश में जुट गए. मंत्री स्वयं ही अधिकारी की टेबल से फाइल निकाल कर जांच कर रहे थे. उन्होंने जांच के लिए हाजिरी रजिस्टर भी मंगवाई. उन्होंने निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा से कहा कि सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का हाजिरी एवं मूवमेंट रजिस्टर होना चाहिए ताकि प्रत्येक कर्मचारी या अधिकारी की मूवमेंट दर्ज हो। उन्होंने कहा कि 20 जुलाई को सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों की रिपोर्ट प्रत्येक कर्मचारी के हिसाब से उनके कार्यालय में भिजवाना सुनिश्चित करें।
औचक निरिक्षण के बाद जब श्री विज निगम कार्यालय से बाहर निकले तो उनका सामना भाजपा के कार्यकर्ताओं से भी हुआ जहां पार्टी कार्यकर्ता उनके समर्थन में नारेबाजी करते दिखे.
इस बीच उनके औचक निरिक्षण को लेकर सोशल मिडिया पर त्वरित प्रतिक्रिया आने लगी. समाजसेवी माइकल सैनी ने ट्विट कर कहा है केवल हाजरी रजिस्टर की जांच करने के लिए मंत्री महोदय पधारे हैं क्या ? उन्होंने कहा है कि खट्टर सरकार में दबंग मंत्री कहलाए जाने वाले अनिल विज साहब का यह औचक निरीक्षण और तथाकथित जाँच हास्यास्पद लग रही है लोगों को- या यूं कहें कि मनोरंजन का विषय भर लग रहा है , जिसे समय-समय पर करते रहते हैं विज साहब।
एक और सामाजिक कार्यकर्ता एच बरार ने कहा है कि ये क्या जांच कर रहे हैं? ऐसे फाइलें उठक पटक के क्या देख पाएंगे ऐसे भी ? ड्रामा ज़्यादा लग रहा है। जांच करने के लिए घंटों चाहिएं जब अच्छे से फाइलों की जांच हो। ऐसा सब कर के क्या ही साबित कर पाएंगे। जो लड़का राजीव चौंक पर पानी में डूब कर जान गंवा गया, उसके लिए क्या किया सरकार ने ?
नवीन भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा कि हर हफ्ते निरिक्षण करेंगे तब जाकर निगम की धूल साफ़ होगी। उन्होंने कहा कि जब निगम में से धूल साफ़ हो जायेगी तब गुडगाँव शहर में से अपने आप धूल साफ़ हो जायेगी.
भिवानी जिला भाजपा मिडिया प्रभारी सोनू सैनी ने ट्विट कर उन्हें इस तरह के निरिक्षण के लिए भिवानी भी आने का आग्रह किया है.