नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज यहां आयोजित डिजिटल प्रेस वार्ता में कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर अहम खुलासा किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने विदेशी कंपनियों से कोविड-19 वैक्सीन खरीदने की बात की. संबंधित कंपनियों ने दिल्ली सरकार को वैक्सीन देने से साफ तौर पर मना कर दिया. कंपनी प्रबंधन की ओर से कहा गया की उनकी बातचीत सीधे केंद्र सरकार से हो रही है।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन ही एकमात्र मजबूत विकल्प है. इसके लिए दिल्ली सरकार ने मिशन मोड पर काम शुरू किया और स्कूल अस्पताल डिस्पेंसरी एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर 400 सेंटर युवाओं के लिए बनाए गए। इनमें 18 प्लस उम्र वाले युवाओं को टीके लगाने की व्यवस्था की गई जबकि लगभग सारे 600 वैक्सीनेशन सेंटर 45 प्लस उम्र वाले लोगों के वैक्शिनेशन के लिए स्थापित किए गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की बदइन्तजामी के कारण ही आज दिल्ली में युवाओं को वैक्सीन की डोज देने की योजना बंद करनी पड़ी है। साथ ही 45 प्लस उम्र के लोगों के लिए जो सेंटर्स बनाए गए थे उनमें से को वैक्सीन के टीके लगाने वाले सारे सेंटर बंद करने पड़े हैं। केवल कोविशिल्ड के सेंटर ही चल रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि यह स्थिति केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे देश में है. उन्होंने यहां तक कहा कि वैक्सीन की बदइंतजामी का आलम यह है कि कई राज्यों में कई जिले ऐसे भी हैं जहां वैक्सीन के सेंटर तक नहीं खुले है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में युवाओं को वैक्सीन देने के लिए एक भी सेंटर शुरू नहीं हुए है। जहां शुरू भी हुए वहां बंद करने पड़ रहे हैं क्योंकि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने सवाल किया कि आखिर वैक्सीन कहां गई ? क्यों ऐसी स्थिति पैदा हुई ? उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज देश में संक्रमण के कारण जो स्थिति पैदा हुई उसके लिए पूरी तरह केंद्र सरकार की बदइंतजामी जिम्मेदार है। वैक्सीनेशन मैनेजमेंट ठीक तरीके से नहीं करना इसका बड़ा कारण है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से ही युवाओं के लिए वैक्सीन की मांग की तो उन्हें केवल चार लाख वैक्सीन की डोज देने का पत्र भेज दिया गया .दिल्ली सरकार को ग्लोबल टेंडर कर वैक्सीन खरीदने को कहा गया। दिल्ली सरकार ने मोडरना , फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी से संपर्क किया.फाइजर और मॉडर्न ने साफ कह दिया कि वह किसी भी राज्य को सीधे वैक्सीन की प्रोक्योरमेंट नहीं दे रहे हैं । संबंधित कंपनियों की ओर से दिल्ली सरकार को बताया गया कि उनकी सीधी बातचीत केंद्र सरकार से हो रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जब केंद्र सरकार से स्वदेशी कंपनियों से वैक्सीन खरीदने की बात करती है तो केवल चार लाख वैक्सीन देने की बात की जाती है . जब ग्लोबल टेंडर कर विदेशी कंपनियों से बात की जाती है तो उनकी ओर से कहा जाता है कि केंद्र सरकार से बात चल रही है। यह मजाक है और केंद्र सरकार को इस स्थिति में बदलाव करने के लिए आगे आना चाहिए।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सीधे इन विदेशी कंपनियों से बातचीत कर वैक्सीन खरीद कर सभी राज्यों को वितरित करें। उन्होंने कहा कि कई विदेशी कंपनियों की वैक्सीन बेहद कारगर है. कई देश उनसे अपने देश की जनता के लिए बड़ी मात्रा में वैक्सीन खरीद रहे हैं। इसलिए हमें भी अपने युवाओं की स्वास्थ्य की सुरक्षा की दृष्टि से उन कंपनियों से वैक्सीन खरीदनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने दिसंबर 2020 में ही फाइजर, मोडरना और जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की वैक्सीन को जनता के लिए उपयोग करने की अनुमति दे दी थी लेकिन भारत सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया। उन्होंने कहा की दुनिया के कई देश इन कंपनियों की वैक्सीन को मंजूरी दे चुकी है और खरीद चुकी है. लेकिन भारत सरकार अभी भी इस दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ा रही है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि हम इन कंपनियों की वैक्सीन को अपने देश की जनता के उपयोग के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम केवल दो कंपनियों के सहारे निर्भर हैं और उनमें भी वैक्सीन को निर्यात कर रहे हैं।
सिसोदिया ने कहा कि रूस ने अपनी वैक्सीन स्पुतनिक वी को अगस्त 2020 में ही मंजूरी दे दी थी और आम जनता के लिए वैक्सीनेशन का कार्यक्रम दिसंबर 2020 में ही शुरू कर दिया था. भारत सरकार ने रूस की वैक्सीन को 2020 में अनुमति देने से मना कर दिया था और अब अप्रैल 2021 में उसी वैक्सीन को अनुमति दे दी है।
उन्होंने दावा किया कि दुनिया की 68 देश अब तक रूस की इस वैक्सीन को खरीद चुके हैं और हम अनुमति देने के दौर से ही गुजर रहे है। उन्होंने याद दिलाया कि ब्रिटेन ने दिसंबर 2020 में ही फाइजर को वैक्सीन बेचने की अनुमति दे दी थी। अब तक कुल 85 देश फाइजर की वैक्सीन को अपनी जनता के लिए खरीद चुके हैं. इसी तरह मॉडर्ना को भी दुनिया के 40 देशों ने मंजूरी दे दी है और उसकी खरीद भी शुरू है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को भी 41 देशों ने अनुमति दे दी है लेकिन हमारे देश में अब तक इन तीनों कंपनियों को अनुमति नहीं मिली है।