नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किसानों के बीच मंगलवार को अचानक बुलाई गई बैठक विनती जा रही। लगभग रात्रि 9:00 बजे शुरू हुई बैठक डेढ़ घंटे चली। इसमें किसान नेताओं ने एक बार फिर तीनों कृषि कानून को रद्द करने मांग पर बल दिया जबकि सरकार के पक्ष की ओर से उन्हें आपत्ती वाले बिंदुओं को संशोधित करने का आश्वासन दिया जाता रहा। दोनों पक्ष अपने अपने तर्कों पर अड़े रहे अंततः बैठक बिना किसी नतीजे पर पहुंचे समाप्त हो गई।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के मंत्रियों एवं धरना व प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं की भी अगली बैठक आज होना निर्धारित थी लेकिन भारत बंद के दौरान ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कुछ खास किसान नेताओं को मंगलवार को ही शाम को गृह मंत्रालय में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया गया। बैठक में शामिल होने वालों में केंद्र सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह के अलावा रेलवे वाणिज्य मंत्री एवं खाद्य आपूर्ति का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल, एवं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी थे। किसान नेताओं की ओर से पश्चिम बंगाल से हन्नान मौला को भी आमंत्रित किया गया था।
देर शाम तक चली इस बैठक मैं किसान नेता अड़ियल रुख अख्तियार पी रहे और बाहर आकर उन्होंने मीडिया को बताया कि सरकार संशोधन को राजी है लेकिन किसान नेता तीनों ही कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उनका कहना था कि किसान इस पर समझौता करने की स्थिति में नहीं है और सरकार को इस पर निर्णय लेना ही होगा। उन्होंने साफ संकेत दिया कि किसानों का धरना व प्रदर्शन तब तक लगातार जारी रहेगा जब तक कि सरकार तीनों ही कानूनों को वापस नहीं लेती। बैठक में शामिल हुए कुछ किसान नेताओं को दूसरे दरवाजे से बाहर किया गया जबकि खबर यह भी है कि पंजाब से आए कई बड़े किसान नेताओं को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था।
इस सवाल पर हन्नान मोल्लाह का कहना था कि इस संबंध में तो गृह मंत्री अमित शाह जी बता पाएंगे कि उन्होंने सभी किसान नेताओं को क्यों नहीं बैठक में बुलाया था। उनका कहना था कि बुधवार यानी 9 दिसंबर को निर्धारित बैठक संगीत है और अब सरकार उन्हें लिखित रूप में अपना स्टैंड बताएगी उसके बाद ही आगामी रणनीति तैयार की जाएगी।