कुटुंब प्रबोधन से ही आएगी सामाजिक एकता : सुब्रह्मण्यम

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डीएलएफ में कुटुंब प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन 
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गुरुग्राम : डीएलएफ में आयोजित कुटुंब प्रबोधन कार्यक्रम में बोल रहे थे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख माननीय सुब्रह्मण्यम भट्ट ने कहा है कि कुटुंब प्रबोधन (परिवारिक जागरण) के बिना सामाजिक एकता संभव नहीं है। परिवारों में ही ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि किसी को किसी के लिए समय नहीं है, ऐसे में समाजहित में सोचना लोगों के लिए और भी मुश्किल हो गया है। इसलिए आज सबसे बड़ी जरूरत कुटुंब प्रबोधन की है। उन्होंने कहा कि भारत हमारी मां है, केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं, इसलिए सभी में सामाजिक सेवा की भावना होनी चाहिए। यह भावना होगी तो ही हम देश के लिए बड़े से बड़ा बलिदान दे सकते हैं और यह ताकत हमें परिवार से मिलती है।
सुब्रह्मण्यम डीएलएफ फेस-3 के कम्युनिटी सेंटर में आयोजित कुटुंब प्रबोधन कार्यक्रम में बोल रहे थे। अपने सवा घंटे के संबोधन में उन्होंने टूटते परिवार, बिखरते समाज के प्रति गहरी चिंता जताई और सभी से आह्वान कि परिवारिक और सामाजिक रिश्ते ही हमारी पूंजी है, इसलिए इसे बचाए रखें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। यहां तक कि ममता का अहसास भी इतना कमजोर पड़ता जा रहा है कि मां-बाप अपने छोटे-छोटे बच्चों को अपने पास नहीं सुला पाते और आधुनिकता का नाम देकर उनके लिए अलग कमरे का प्रबंध करते हैं। जिससे बच्चे माता-पिता से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे बच्चे बड़े होकर जब माता-पिता को अलग कमरे में रहने के लिए कहते हैं तो माता-पिता को दुख है।

 

इसलिए माता-पिता को भी समझना होगा कि अगर हम बच्चों को अपने से दूर रखेंगे तो एक दिन वो भी हमें अपने से दूर रखेंगे। टीवी के सामने बैठकर खाना खाने की आधुनिक आदत पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल हर घर में टीवी के सामने बैठकर खाना खाना आधुनिकता बन गई है। यह गलत है। टेलीविजन आज की जरूरत है, लेकिन इतनी भी जरूरी नहीं कि उसके बिना खाना नहीं खाया जा सके। खाने का समय तो कम से कम पूरे परिवार को एक साथ बिताना चाहिए।
अपने हरियाणा प्रवास के आखिरी कार्यक्रम में बोलते हुए संघ के अखिल भारतीय कुटुंब प्रबोधन प्रमुख ने उपस्थित लोगों के अपील की कि बच्चों को अपनी परंपराओं और संस्कारों के बारे में बताएं। कहां बैठकर खाना है? आपसी व्यवहार कैसा हो? ये बच्चों को बताना होगा। सभी को चाहिए कि वे अपने आस पास के परिवारों से मिलन समारोह करें। उनके सुख दुख में शामिल हों।

 

सुब्रह्मण्यम ने ये भी कहा कि हमें समय-समय पर उन लोगों को भी अपने परिवारिक सदस्यों के रूप में अपनाते हुए उनके सुख दुख में हिस्सेदार बनना चाहिए जो हमारे लिए किसी न किसी काम आते हैं। चाहे कोई हमारे लिए दूध लाता हो, हमारे घर में कपड़े धोता हो या फिर किसी अन्य काम में हमारा सहयोगी बनता हो। ऐसे हर व्यक्ति का ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है। इस असवर पर प्रांत कार्यवाह देव प्रसाद भारद्वाज, प्रांत कुटुंब प्रबोधन प्रमुख अशोक, गुडग़ांव विभाग के विभाग प्रचारक शिव कुमार, महानगर कार्यवाह विजय कुमार व चाणक्य नगर कार्यवाह संजय आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।

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