नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ने आज नई दिल्ली में ऑनलाइन माध्यम से डिजिटल शिक्षा पर ‘प्रज्ञाता’(पीआरएजीवाईएटीए) दिशा-निर्देश जारी किए। इस कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित थे।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल‘निशंक’ने इस अवसर पर कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से सभी स्कूल बंद हैं और इससे देश भर के स्कूलों में नामांकित 240 मिलियन से अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। स्कूलों के इस तरह आगे भी बंद रहने से बच्चों को सीखने के मौकों की हानि हो सकती है।
श्री पोखरियाल ने कहा कि शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिएस्कूलों को न केवल अब तक पढ़ाने और सिखाने के तरीके को बदलकर फिर से शिक्षा प्रदान करने के नए मॉडल तैयार करने होंगे,बल्कि घर पर स्कूली शिक्षा और स्कूल में स्कूली शिक्षा के एक स्वस्थ मिश्रण के माध्यम से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की एक उपयुक्त विधि भी पेश करनी होगी।
केंद्रीय मंत्री श्री पोखरियाल ने बताया कि‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश विद्यार्थियों के दृष्टिकोण से विकसित किए गए हैं,जो लॉकडाउन के कारण अभी घरों पर मौजूद छात्रों के लिए ऑनलाइन / मिश्रित / डिजिटल शिक्षा पर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल / ऑनलाइन शिक्षा पर जारी ये दिशा-निर्देश शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने की विस्तृत कार्य योजना या संकेत प्रदान करते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि विद्यालय प्रमुखों,शिक्षकों,अभिभावकों,शिक्षकों के प्रशिक्षकों और छात्रों सहितहितधारकों के विविध समूहों के लिए ये दिशानिर्देश प्रासंगिक और उपयोगी होंगे। श्री पोखरियाल ने कहा कि दिशानिर्देशों में उन छात्रों के लिए जिनके पास डिजिटल उपकरण हैं और उन छात्रों के भी लिए जिनके पास डिजिटल उपकरण तक सीमित या कोई पहुँच नहीं है, दोनों के लिए, एनसीईआरटी के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर के उपयोग पर जोर दिया गया है।
प्रज्ञाता दिशा-निर्देशों में ऑनलाइन / डिजिटल शिक्षा के आठ चरण- योजना- समीक्षा- व्यवस्था- मार्गदर्शन- याक (बात) – असाइन- ट्रैक- सराहना शामिल हैं। ये आठ चरण उदाहरणों के साथ चरणबद्ध तरीके से डिजिटल शिक्षा की योजना और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करते हैं।
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा और शैक्षणिक विकास सुनिश्चित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ‘प्रज्ञाता’दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा ने महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई को लेकर उत्पन्न कमियों को काफी हद तक दूर किया है लेकिन छात्रों को शिक्षित करने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन दिशानिर्देशों से छात्रों,शिक्षकों,अभिभावकों, स्कूल प्रमुखों और अन्य हितधारकों को ऑनलाइन सुरक्षा विधियों को सीखने में मदद मिलेगी। श्री धोत्रे ने प्रज्ञाता दिशा-निर्देशों को लाने के लिए मंत्रालय के प्रयासों की सराहना भी की जो एक सुरक्षित डिजिटल शिक्षण वातावरण प्रदान करेगा।
दिशा-निर्देश स्कूल प्रशासकों,स्कूल प्रमुखों,शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को निम्नलिखित क्षेत्रों में सुझावभी प्रदान करते हैं:
- मूल्यांकन की जरूरत
- ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा की योजना बनाते समय कक्षा के हिसाब से सत्र की अवधि,स्क्रीन समय,समावेशिता, संतुलित ऑनलाइन और ऑफ़लाइन गतिविधियों आदि से सरोकार
- हस्तक्षेप के तौर-तरीके जिनमें संसाधन अवधि, कक्षा के हिसाब से उसका वितरण आदि शामिल हैं।
- डिजिटल शिक्षा के दौरान शारीरिक,मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती
- साइबर सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सावधानियों और उपायों सहित साइबर सुरक्षा और नैतिक प्रथा
- विभिन्न पहलों के साथ सहयोग और सम्मिलन
अनुशंसित स्क्रीन समय , कक्षा, सिफारिश
प्राइमरी से पहले
माता-पिता के साथ बातचीत करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए तय किए गए दिन को 30 मिनट से अधिक नहीं।
कक्षा 1 से 12 तक
Http://ncert.nic.in/aac.html पर एनसीईआरटीके वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर को अपनाने / अनुकूलित करने की सिफारिश की गई है
कक्षा 1 से 8 तक
राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्राथमिक वर्गों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं लेने के तय दिन को 30-45 मिनट के दो सत्रों से अधिक ऑनलाइन समकालिक पढ़ाई नहीं कराई जा सकती।
कक्षा 9 से 12 तक
राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा तय किए गए दिनों में प्रत्येक दिन 30-45 मिनट के चार सत्रों से अधिक ऑनलाइन समकालिक पढ़ाई नहीं कराई जा सकती है।
ये दिशानिर्देश स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के लिए साइबर सुरक्षा और गोपनीयता उपायों को सुनिश्चित करते हुए डिजिटल शिक्षा को लागू करने के लिए मूल्यांकन जरूरत,योजना और कदमों के बारे में बताते हैं। यह विशेष रूप से सक्षम छात्रों को प्रदान किए जाने वाले मदद को भी रेखांकित करता है। इसमें छात्रों के स्तर के अनुसार एक आवश्यक पैमाने के रूप में स्क्रीन समय को ध्यान में रखते हुए संतुलित ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों पर जोर है।
दिशा-निर्देश घर पर बच्चों के लिए साइबर सुरक्षा उपायों के साथ शारीरिक,मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती की आवश्यकता को समझने में माता-पिता की मदद करता है। शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के लिए दिशानिर्देश इस बात पर जोर देता है कि लंबे समय तक डिजिटल उपकरणों के उपयोग के कारण बच्चों को अत्यधिक खिंचाव या तनाव न होया वे नकारात्मक (बैठने के दोष, नेत्र संबंधी समस्याएं और अन्य शारीरिक समस्याएं) रूप से प्रभावित न हो।इसके अलावा इसमें कर्मचारी परिस्थिति विज्ञान और साइबर सुरक्षा के संबंध में क्या करें और क्या न करें की सूची भी शामिल है।
दिशा-निर्देश देश भर में स्कूल जाने वाले बच्चों को लाभान्वित करने के लिए डिजिटल / ऑनलाइन / ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकजुट करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। इस पहल में स्वयंप्रभा, दीक्षा, स्वयं मूक्स, रेडियो वाहिनी, शिक्षा वाणी,विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए विशेष सामग्री और आईटीपीएएलशामिल हैं। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में शिक्षा के डिजिटल साधनों पर जाने के लिए विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर के संगठनों और राष्ट्रीय स्तर के संगठनों को बदलाव के लिए हाथ मिलाने की जरूरत हैताकि यह व्यवस्था कोविड-19 के बाद भी कारगर रहे।