मोदी केबिनेट के चार बड़े फैसले, ईपीएफ का अंशदान 24 %, गरीब कल्याण योजना, कम किराए के मकान और उज्ज्वला योजना को विस्तार देने को मंजूरी

Font Size

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 महामारी के आलोक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई एवं आत्मनिर्भर भारत) के तहत सरकार द्वारा घोषित पैकेज के एक हिस्से के रूप में, जून से लेकर अगस्त 2020 तक की तीन महीने की अवधि के लिए बढ़ाकर कर्मचारी भविष्य निधि के तहत कर्मचारियों के 12 प्रतिशत एवं नियोक्ताओं के 12 प्रतिशत अर्थात कुल 24 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके अलावा गरीब कल्याण योजना, श्रमिकों के लिए किराए पर घर मुहैया कराने की योजना और उज्ज्वल योजना को विस्तार देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इससे करोड़ों श्रमिकों व गरीब परिवारों को कोरोना महामारी के दौरान बड़ी राहत मिलेगी।

यह मंजूरी 15 अप्रैल 2020 को अनुमोदित मार्च से मई के वेतन महीनों की वर्तमान स्कीम के अतिरिक्त है। कुल अनुमानित व्यय 4,860 करोड़ रुपये है। इससे 3.67 लाख प्रतिष्ठानों के 72 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ प्राप्त होगा।

मुख्य विशेषताएं:

प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1.  जून, जुलाई एवं अगस्त 2020 के वेतन महीनों के लिए यह स्कीम 100 कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों तथा 15,000 रुपये मासिक वेतन से कम कमाने वाले ऐसे सभी कर्मचारियों के 90 प्रतिशत तक को कवर करेगी।

2.  3.67 लाख प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लगभग 72.22 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा और संभवतः बाधाओं के बावजूद उनकी वेतन-निधि जारी रहेगी।

3.   सरकार इस प्रयोजन के लिए वर्ष 2020-21 में 4,800 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता उपलब्ध कराएगी।

4.    प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) के तहत जून से अगस्त 2020 के महीनों के लिए 12 प्रतिशत नियोक्ता योगदान के हकदार लाभार्थियों को इससे अलग रखा जाएगा, जिससे कि ओवरलैपिंग न हो।

5.    लॉकडाउन की दीर्घ अवधि के कारण, महसूस किया गया कि जब व्यवसायी काम पर लौट रहे हैं तो उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है इसलिए माननीय वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के एक हिस्से के रूप में 13 मई 2020 को घोषणा की कि व्यवसाय एवं श्रमिकों के लिए ईपीएफ सहायता तीन महीने और अर्थात जून, जुलाई और अगस्त 2020 तक बढ़ा दी जाए।

निम्न मजदूरी वाले श्रमिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर उठाए जाने वाले कदमों को हितधारकों द्वारा अच्छी तरह स्वीकार किया जाता है।

मोदी केबिनेट के चार बड़े फैसले, ईपीएफ का अंशदान 24 %, गरीब कल्याण योजना, कम किराए के मकान और उज्ज्वला योजना को विस्तार देने को मंजूरी 2

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधान मंत्री आवास योजना-  शहरी (पीएमएवाई-यू) के अंतर्गत एक उप-योजना के रूप में शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए कम किराये वाले आवासीय परिसरों के विकास के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है, जो इस प्रकार है :

  1. वर्तमान में खाली पड़े सरकार द्वारा वित्तपोषित आवासीय परिसरों को 25 साल के लिए रियायत (कन्सेशन) समझौते के माध्यम से एआरएचसी में परिवर्तित कर दिया जाएगा। कन्सेशनेर को कमरों की मरम्मत/पुराना रूप देकर (रिट्रोफिट) और पानी, निकासी/सेप्टेज, स्वच्छता, सड़क आदि आधारभूत ढांचे से जुड़ी कमियों को दूर करके परिसरों को रहने लायक बनाना होगा। राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से कन्सेशनेर (कंपनी) का चयन करना होगा। इन परिसरों को पहले की तरह नया चक्र शुरू करने या खुद ही चलाने के लिए 25 साल के बाद यूएलबी को लौटाना होगा।
  2. 25 साल के लिए उपलब्ध अपनी खाली जमीन पर एआरएचसी के विकास के लिए निजी/सार्वजनिक इकाइयों को स्वीकृति का उपयोग, 50 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर/ एफएसआई, प्राथमिक क्षेत्र उधारी दर पर रियायती कर्ज, किफायती आवास से जुड़ी कर राहत आदि विशेष प्रोत्साहनों की पेशकश की जाएगी।

एआरएचसी के अंतर्गत विनिर्माण उद्योगों, आतिथ्य सेवा, स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा प्रदाताओं, घरेलू/व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और निर्माण या अन्य क्षेत्रों में लगे अधिकांश कार्यबल, कामगार, विद्यार्थी आदि लक्षित लाभार्थी होंगे, जो ग्रामीण क्षेत्रों या छोटे शहरों से आते हैं और बेहतर अवसरों की तलाश में हैं।

तकनीक नवाचार अनुदान के रूप में इस पर 600 करोड़ रुपये की धनराशि का व्यय होने का अनुमान है, जो निर्माण के लिए चिन्हित नवाचार तकनीक का उपयोग करने वाली परियोजनाओं के लिए जारी की जाएगी। एआरएचसी के अंतर्गत शुरुआती तौर पर लगभग तीन लाख लाभार्थियों को कवर किया जाएगा।

एआरएचसी से शहरी क्षेत्रों में कार्यस्थल के नजदीक सस्ते किराये वाले आवासों की उपलब्धता के अनुकूल एक नया इकोसिस्टम तैयार होगा। एआरएचसी के अंतर्गत निवेश से रोजगार के नए अवसर पैदा होने का अनुमान है। एआरएचसी से अनावश्यक यात्रा, भीड़भाड़ और प्रदूषण में कमी आएगी।

सरकार द्वारा वित्तपोषित खाली पड़े आवासों को किफायती उत्पादक उपयोग के लिए एआरएचसी में कवर किया जाएगा। इस योजना से अपनी खाली पड़ी जमीन पर एआरएचसी के विकास करने की दिशाओं में इकाइयों के लिए अनुकूल माहौल तैयार होगा और किराये वाले आवासीय क्षेत्र में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन मिलेगा।

पृष्ठभूमि

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत एक उप-योजना के रूप में शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए कम किराये वाले आवासीय परिसरों (एआरएचसी) की योजना की शुरुआत की है। माननीय वित्त मंत्री ने 14 मई, 2020 को इस योजना की घोषणा की थी। यह योजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को पूरा करेगी।

कोविड-19 महामारी के परिणाम स्वरूप देश में बड़े स्तर पर कामगारों/शहरी गरीबों का पलायन देखने को मिला है, जो बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों या छोटे शहरों से शहरी क्षेत्रों में आए थे। आमतौर पर, ये प्रवासी किराया बचाने के लिए झुग्गी बस्तियों, अनौपचारिक/ अनाधिकृत कॉलोनियों या अर्ध शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। उन्होंने कार्यस्थलों पर जाने के लिए अपना काफी समय सड़कों पर चलकर/ साइकिल चलाकर बिताया है और खर्च बचाने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालते रहे हैं।

मोदी केबिनेट के चार बड़े फैसले, ईपीएफ का अंशदान 24 %, गरीब कल्याण योजना, कम किराए के मकान और उज्ज्वला योजना को विस्तार देने को मंजूरी 3

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने उज्‍ज्‍वला लाभार्थियों के लिए ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना’ के लाभ लेने की समय सीमा 1 जुलाई 2020 से तीन महीने के लिए बढ़ाने के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है।

सरकार ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना’ नाम से एक राहत पैकेज घोषित किया था जिसका उद्देश्‍य गरीबों और समाज के ऐसे उपेक्षित लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान करना था जो महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। पैकेज में उन गरीब परिवारों के लिए राहत को भी शामिल किया गया था जिन्‍होंने पीएमयूवाई के अंतर्गत एलपीजी कनेक्‍शन की सुविधा प्राप्‍त की थी। पीएमजीकेवाई-उज्‍जवला योजना के अंतर्गत यह फैसला किया गया कि पीएमयूवाई के उपभोक्‍ताओं को 01 अप्रैल 2020 से 3 महीने की अवधि के लिए मुफ्त रीफिल सिलेंडर दिए जाएं।

योजना के अंतर्गत अप्रैल-जून 2020 के दौरान उज्‍जवला लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 9709.86 करोड़ रुपये हस्‍तांतरित किए गए और पीएमयूवाई लाभार्थियों को 11.97 करोड़ सिलेंडर दिए गए। इस योजना से कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों को होने वाले कष्‍टों और अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी।

योजना की समीक्षा करने पर यह पाया गया कि पीएमयूवाई लाभार्थियों का एक वर्ग योजना अवधि के भीतर रीफिल सिलेंडर खरीदने के लिए उनके खाते में जमा की गई अग्रिम राशि का इस्‍तेमाल नहीं कर सका है।  अत: मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के उस प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी जिसमें अग्रिम प्राप्‍त करने की समय-सीमा बढाने की बात कही गई थी। इससे पीएमयूवाई के उन लाभार्थियों को फायदा मिलेगा जिनके खाते में सिलेंडर खरीदने के लिए अग्रिम राशि जमा की गई है, लेकिन वे रीफिल नहीं खरीद पाए हैं। अत: जिन लाभार्थियों के खाते में अग्रिम राशि हस्‍तांतरित की जा चुकी है वे 30 सितम्‍बर तक मुफ्त रीफिल सिलेंडर की डिलीवरी ले सकते हैं।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 से निपटने के आर्थिक उपाय के रूप में केन्द्रीय पूल से खाद्यान्न के अतिरिक्त आवंटन के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्‍न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि को जुलाई से पांच माह और बढ़ाकर नवंबर, 2020 तक करने को मंजूरी दे दी है।

भारत सरकार ने देश में कोविड-19 से उत्‍पन्‍न आर्थिक व्यवधानों के कारण गरीबों को हो रही भारी कठिनाइयों को दूर करने के लिए मार्च 2020 में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) की घोषणा की। इस पैकेज में अन्य बातों के अलावा ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई)’ का कार्यान्वयन भी शामिल है जिसके जरिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए लगभग 81 करोड़ लाभार्थियों को प्रति माह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि गरीब और कमजोर परिवार/लाभार्थी किसी भी वित्तीय परेशानी का सामना किए बिना ही आसानी से खाद्यान्न प्राप्‍त कर सकें। इस कार्यक्रम के तहत आरंभ में तीन माह यानी अप्रैल, मई और जून के लिए मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया था।

हालांकि, गरीबों और जरूरतमंदों को निरंतर मदद की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पीएम-जीकेएवाई योजना की अवधि को अगले 5 महीनों यानी जुलाई-नवंबर 2020 तक के लिए और बढ़ा दिया गया है।

इससे पहले पीएम-जीकेएवाई के तहत इस विभाग ने 30 मार्च 2020 को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 120 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न का आवंटन किया था, जिसका वितरण तीन माह (अप्रैल-जून, 2020) के दौरान किया जाना था। तदनुसार, एफसीआई और अन्य राज्य एजेंसियों ने इस विशेष योजना के तहत वितरण के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 120 एलएमटी खाद्यान्न में से 116.5 एलएमटी (97%) से भी अधिक खाद्यान्न की डिलीवरी कर दी है। अब तक सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने संयुक्त रूप से अप्रैल-जून, 2020 की अवधि के लिए लगभग 107 एलएमटी (आवंटित खाद्यान्न का 89%) का वितरण किए जाने के बारे में सूचना दी है। अब तक, अप्रैल में लगभग 74.3 करोड़ लाभार्थी कवर किए जा चुके हैं और मई में 74.75 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया गया है तथा जून 2020 में लगभग 64.72 करोड़ लाभार्थियों ने अपने नियमित एनएफएसए खाद्यान्न के अलावा इन अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न का भी लाभ उठाया है। वितरण अभी जारी है और वितरण कार्य पूरा हो जाने के बाद वितरण के आंकड़े को अपडेट कर दिया जाएगा। यही नहीं, कुछ राज्यों ने विभिन्न लॉजिस्टिक कारणों से दो-तीन माह वाले पीएम-जीकेएवाई खाद्यान्न को एक ही बार में वितरित कर दिया।

नियमित रूप से एनएफएसए वितरण के तहत अप्रैल, मई और जून 2020 के दौरान एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई के लगभग 252 एलएमटी खाद्यान्न को एफसीआई द्वारा अपने मजबूत आपूर्ति नेटवर्क का उपयोग करते हुए पूरे देश में स्थानांतरित किया गया था। दूरदराज और दुर्गम स्थानों पर अन्य तरीकों जैसे कि वायु और जल मार्गों से निरंतर खाद्यान्न भेजा गया, ताकि वहां के लाभार्थियों को समय पर इसकी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। उल्लेखनीय है कि यहां तक कि पूर्ण लॉकडाउन के दौरान भी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अत्‍यंत कुशलतापूर्वक बनाए रखते हुए एफसीआई एवं विभाग ने एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई योजना के तहत लाभार्थियों को खाद्यान्न की निर्बाध डिलीवरी सुनिश्चित की। इसके अलावा, कई राज्यों में बॉयोमैट्रिक प्रमाणीकरण पर अस्थायी रोक रहने के बावजूद संकट की घड़ी में आईटी आधारित पीडीएस सुधारों से लाभ उठाया गया जिनमें कुल 5.4 लाख उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) में से लगभग 4.88 लाख (90.3%) का डिजि‍टल ईपीओएस मशीन नेटवर्क और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) एवं आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का पूर्ण कम्प्यूटरीकरण शामिल हैं।

पिछले वर्ष यानी 2019 के अप्रैल-मई-जून के दौरान इस विभाग ने एनएफएसए के तहत कुल 130.2 एलएमटी खाद्यान्न का आवंटन किया था, जिसमें से लगभग 123 एलएमटी (95% खाद्यान्न) का उठाव राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कर लिया गया था। वहीं, अप्रैल-मई-जून 2020 के तीन माह की समान अवधि के दौरान इस विभाग ने इन्‍हीं लाभार्थियों के लिए कुल लगभग 252 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया था (एनएफएसए के तहत 132 एलएमटी और पीएम-जीकेएवाई के तहत 120 एलएमटी), जिसमें से 247 एलएमटी से भी अधिक खाद्यान्न का उठाव हो चुका है और पिछले तीन महीनों के दौरान एनएफएसए के लाभार्थियों को अब तक 226 एलएमटी का वितरण किया गया है, जो यह दर्शाता है कि लोगों को अत्‍यंत आवश्‍यक राहत के रूप में खाद्यान्न की सामान्य मात्रा का लगभग दोगुना वितरित किया गया है।

अब चूंकि ‘पीएम-जीकेएवाई’ की अवधि 5 और महीनों के लिए नवंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है, इसलिए खाद्यान्न की समान मजबूत आपूर्ति और वितरण को आगे भी निरंतर कायम रखा जाएगा। इसके तहत खाद्यान्न की लागत और वितरण पर 76062 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुमानित व्यय होगा।

You cannot copy content of this page