गुरुग्राम 16 जून। जिला के जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के पॉजिटिव मामले मिले हैं, वहां पर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने तथा करोना संक्रमण के बचाव उपायों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने में आशा, एएनएम तथा आंगनवाड़ी वर्कर्स इन दिनों सक्रिय भूमिका निभाते हुए अग्रिम पंक्ति में काम कर रही है। जिला प्रशासन की यह टीम धरातल स्तर पर काम करते हुए कोविड-19 संक्रमण रोकथाम और लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए निस्वार्थ भाव से दिन रात काम कर रही हैं।
स्वयं उपायुक्त अमित खत्री ने इनके कार्य की प्रशंसा करते हुए बताया कि जिला में लगभग 1350 एएनएम तथा आशावर्करों द्वारा काम किया जा रहा है जिनकी क्षेत्रवार टीमें लगाई गई हैं। ये टीमें कन्टेनमेंट जोन में जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करती हैं और कान्टैक्ट ट्रैसिंग करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। एएनएम तथा आशावर्कर घर-घर जाकर लोगों से कोरोना संक्रमण संबंधी लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर उनका डेटा एकत्रित करती है और जो लोग कोरोना संक्रमित मरीज के क्लोज काॅन्टैक्ट में आते हैं उन्हे टैªक किया जाता है। इसके अलावा, बुजुर्ग, बीपी , कैंसर, गर्भवती महिलाओं तथा 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों को घर में रहने की सलाह देते हुए उन्हें आवश्यक डूज एंड डोन्ट्स के बारे में जानकारी दी जाती है। श्री खत्री ने बताया कि कंटेनमेंट जोन में एएनएम तथा आशावर्करों द्वारा होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की क्लोज माॅनीटरिंग करते हुए उनका सहयोग किया जाता है।
जिला में कान्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी एवं एचएसवीपी के प्रशासक जितेन्द्र यादव ने बताया कि लोगो के स्वास्थ्य जांच और कोविड-19 संक्रमितों की पहचान के लिए जिला गुरुग्राम को अलग अलग क्लस्टर में बांटा गया है, जहां शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में आशा तथा आंगनवाड़ी वर्करों की टीमें बनाई गई हैं। टीम द्वारा कान्टैक्ट ट्रैसिंग के लिए एक फलो चार्ट बनाया गया है जिसके अनुरूप काम किया जाता है। नगर निगम द्वारा कोविड पाॅजीटिव मरीजों का डेटा शेयर किया जाता है जिसके बाद इसे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजा जाता है। इसके बाद, एएनएम तथा आशावर्करों की एक रैपिड रिस्पांस टीम बनाकर उसकी मदद से कान्टैक्ट टैªसिंग की जाती है। कान्टैक्ट ट्रेसिंग के समय कोविड-19 संक्रमित मरीजों को दो श्रेणियों- सिंप्टोमैटिक तथा एसिंप्टोमैटिक में बांटा जाता है। इसके बाद, मरीजों का उनके लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है।
एचएसवीपी प्रशासक का सहयोग करने के लिए लगाए गए संपदा अधिकारी भारत भूषण गोगिया के अनुसार जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित ज्यादा मरीज पाए जाते हैं उस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित कर उसकी सीमाएं सील कर दी जाती हैं। यहां पर आबादी तथा घरों का अध्ययन करने उपरांत डोर टू डोर विजिट की जाती है। इस दौरान लोगों से पूछा जाता है कि उनको बुखार,खांसी, जुकाम, गले मे खराश आदि है कि नही और जिस व्यक्ति में येे लक्षण पाए जाते हैं उनका कोरोना का टैस्ट किया जाता है। इस दौरान कोरोना संक्रमित व्यक्ति से कोरोना संक्रमण संबंधी लक्षणों व इससे बचाव उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। यदि कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के 28 दिन बाद तक उस क्षेत्र में कोई भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिलता तो उस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन से फ्री कर दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि गुरुग्राम जिला के शहरी क्षेत्र में 19 पीएचसी हैं, जिनमें स्क्रीनिंग का इंचार्ज संबंधित पीएचसी के मेडिकल ऑफिसर को बनाया गया है। एमओ के सुपरविजन में क्षेत्रवार अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। इसी प्रकार, ग्रामीण क्षेत्र में तीन सीएचसी पटौदी, फर्रुखनगर तथा घंघोला में है, जहां क्षेत्रवार टीमों का गठन किया गया है।
कान्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए जाने वाली टीम के कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर भी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं। टीम को फील्ड में जाने से पहले थ्री लेयर फेस मास्क दिए जाते हैं। यदि स्क्रीनिंग के दौरान किसी भी व्यक्ति में खांसी या जुकाम आदि के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे टीम द्वारा थ्री लेयर मास्क दिया जाता है और उसे लगाए रखने की सलाह दी जाती है।
उन्होंने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के संक्रमण से बचाव का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है इसलिए लोग एक दूसरे से उचित दूरी बनाए रखें और एक दूसरे के संपर्क में ना आए। उन्होंने आमजन से भी अपील करते हुए कहा कि वे संकट की इस घड़ी में एक दूसरे का सहयोग करें और कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर निर्धारित डूज एंड डोंट का पालन करें।