दलबीर धनखड़
हरियाणा सरकार द्वारा जमीनी पानी का लेवल बचाने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ स्कीम लाने से कांग्रेस के कैंप में गंभीर व्याकुलता दिखाई दे रही है. किसानों की जमीन को अपने आका के दामाद को बर्थडे केक की तरह भेंट करने वाले कांग्रेसी नेता एका-एक किसान हितैषी होने का ढोंग करने लगे. पंचतंत्र में ‘रंगे सियार’ कहानी के मुख्य पात्र की तरह ढोंग करने में माहिर रणदीप सुरजेवाला को ही देख लीजिए. मुझे लगता है इनके दिलो दिमाग पर 2 विधानसभा चुनावों की हार ने गहरा अघात पहुँचाया है. इनको किसानों की समस्या के नाम पर सुर्खियाँ तो बटौरनी हैं लेकिन अपने कर्म नहीं देखने. कांग्रेस कर्म और धर्म से किसानों की जमीन हथियाने और उनको कुचलने के लिए हमेशा कुख्यात रही है. इस लेख में हरियाणा कांग्रेस द्वारा किसानों के साथ की गई गद्दारी के कुछ अंश समेटने की कोशिश कर रहा हूँ.
9 जनवरी 2017 को पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया. उस प्रेस कांफ्रेंस में हरियाणा कांग्रेस के नेता ‘रणदीप सुरजेवाला’ भी मौजूद थे. उन्होंने अपने हाथ से मैनिफेस्टो जारी भी किया और उत्साह और ख़ुशी के साथ लोगों को उसके बारे में बताया भी. उस घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा ‘पंजाब दा पानी पंजाब वास्ते’ (पंजाब का पानी, पंजाब के लिए). सुरजेवाला ने हरियाणा के किसानों के साथ गद्दारी करते हुए उस मैनिफेस्टो को हँसते हँसते जारी किया. एसवाईएल की लड़ाई में हरियाणा के कांग्रेसी पंजाब के हक़ में खड़े हों तो हरियाणा के किसानों से तो गद्दारी ही हुई. सुरजेवाला हरियाणा के गद्दार हैं.
आज किसानों को पानी की कमी के नाम पर धान की खेती से डाइवर्ट होने के लिए लाई जा रही स्कीम के विरोध में उतरे कांग्रेसी नेताओं के और भी कारनामे भी हैं. 20 फरवरी 2009, हरियाणा में कांग्रेस के राज में, विधानसभा में एक एक्ट – “हरियाणा प्रिजर्वेशन ऑफ़ सबसाइल वाटर 2009” पास किया गया. कांग्रेस किसानों की कितनी हितैषी है इसका अंदाजा इस एक्ट की धारा 4 को देख कर लगाया जा सकता है. एक्ट की धारा 4 के अनुसार अगर कोई किसान 15 मई से पहले धान की पौध तैयार करता है और 15 जून से पहले धान की रोपाई करता है तो ‘सरकारी अधिकारी को छूट दी गई कि वो किसान के खेत में बिना किसान की आज्ञा, अनुमति, बताए, जानकारी के घुस कर धान की पौध को नष्ट कर सकता है. खेत की फसल उजाड़ सकता है. और तो और किसान का खेत उजाड़ने में जो सरकारी खर्च आयेगा वो भी किसान से वसूला जायेगा, ऐसा कानून में लिखा गया.’ हरियाणा के तत्कालीन कृषि मंत्री सरदार हरमोहिंद्र सिंह चड्ढा ने इस बिल को पेश किया और एक झटके में पास भी कर दिया गया. ये है कांग्रेस का किसान प्रेम. किसानों की भूमि छीन कर दामाद को भेंट करने और किसान का खेत उजाड़ने का कानून लेकर आने वाली वही कांग्रेस है जो पंजाब से एसवाईएल का पानी हरियाणा में नहीं आने देना चाहती.
पंचतन्त्र के रंगे सियार भी कांग्रेसी नेताओं के ढोंग देखकर लजा जाएँ. पानी की कमी के मुद्दे पर कांग्रेस बार बार किसानों को गुमराह कर आने वाली पीढ़ियों से दुश्मनी कर रही है. खेत अगर धरा का गहना हैं तो पानी उसका रक्त है. आने वाले समय में सूखी वीरान धरती किसी सुरजेवाला से नहीं बल्कि किसान से सवाल करेगी कि उसे बंजर बनाने से पहले कोई कदम क्यूँ नहीं उठाया. किसने जमीन के अंदर का पानी किसी ढोंगी सियार के बहकावे में आकर खत्म किया ? कांग्रेस की सियासत का हर पहलु किसानों के शोषण से जुड़ा है और कांग्रेस ने भू-जल को बचाने के प्रयास के तौर पर फाइव स्टार होटल्स में मीटिंग करने के सिवा कुछ नहीं किया.