नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश के विभिन्न उद्योग और व्यापार संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया, जिसका उद्देश्य कोविड-19 और उसके बाद किए गए लॉकडाउन के मद्देनजर जमीनी स्थिति के साथ-साथ उनके समक्ष मौजूद समस्याओं का आकलन करना था। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल, राज्य मंत्री सोम प्रकाश तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधिकारीगण इस बैठक में उपस्थित थे। इस अवसर पर उद्योग जगत के लिए राहत पैकेज की जल्द घोषणा करने संबंधी कुछ प्रतिभागियों की मांग पर केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि उद्योग जगत से प्राप्त सुझावों को वित्त मंत्रालय के विचारार्थ भेजा जा रहा है, जो संभवत: काफी बारीकी से गौर करने के बाद एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा।
उद्योग संगठनों ने लॉकडाउन की घोषणा और उसके बाद से लेकर अब तक आयोजित की गई इसी तरह की बैठकों के उपरांत ताजा स्थिति के साथ-साथ पिछले कुछ दिनों में इस दिशा में हुई प्रगति से अवगत कराया। इन संगठनों ने तरलता (लिक्विडिटी) की कमी, अनगिनत ऑर्डर रद्द किए जाने, श्रमिकों की कमी, राज्यों एवं जिलों के अधिकारियों द्वारा केंद्र सरकार के आदेशों की अलग-अलग व्याख्या करने, विभिन्न स्थानों पर ट्रकों के फंसे होने और कलपुर्जे प्राप्त करने में हो रही कठिनाई जैसे मुद्दों को उठाया। इसके साथ ही इन संगठनों ने बताया कि पिछले एक पखवाड़े में स्थिति में काफी सुधार हुआ है। यह सुधार इस हद तक हुआ है कि आईटी उद्योग जमीनी आवश्यकताओं का 95% तक कवर करने में सक्षम हो गया है। इन संगठनों ने अपनी सीएसआर गतिविधियों, सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों और उद्योगों एवं व्यापारियों द्वारा चलाए जा रहे सामुदायिक रसोई-घरों के बारे में भी जानकारी दी ।
इस अवसर पर पीयूष गोयल ने कहा कि अर्थव्यवस्था और आजीविका को निश्चित तौर पर संरक्षित करना है, लेकिन देश के लोगों का जीवन बचाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। लॉकडाउन पर निर्णय समुचित ढंग से आकलन करने के बाद उचित समय पर लिया जाएगा, लेकिन इस अवधि के दौरान स्थिति पर जो नियंत्रण कायम किया गया है उसे जल्दबाजी में कदम उठाकर गंवाया नहीं जा सकता है। श्री गोयल ने लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने की योजना बना रहे कुछ राज्यों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। श्री गोयल ने उद्योग जगत का आह्वान किया कि वे समुचित प्रोटोकॉल और प्रक्रियाएं विकसित करके इस गंभीर समस्या के लिए एक उपयुक्त और तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाएं जिससे उनके कर्मचारियों और अन्य हितधारकों की स्वास्थ्य सुरक्षा से कोई भी समझौता किए बिना ही उनकी उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘मेरी राय यह है कि हमें इच्छा सूची बनाने या प्रस्तुत करने के बजाय और भी अधिक व्यावहारिक बातें करनी चाहिए।’
श्री गोयल ने कहा कि मंत्रालय पहले से ही लॉजिस्टिक्स तथा निर्यात-आयात से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की दिशा में काम कर रहा है और इसके साथ ही उद्योग जगत एवं व्यापारियों की अन्य चिंताओं को भी विभिन्न मंत्रालयों के समक्ष उठा रहा है। मंत्री ने कहा कि हाल ही में अपने-अपने राज्यों की ओर रवाना हो गए श्रमिक या मजदूर ‘कोविड’ से जुड़े मामलों में कमी होने के बाद वापस आ जाएंगे। उद्योग जगत के लिए राहत पैकेज की जल्द घोषणा करने संबंधी कुछ प्रतिभागियों की मांग पर मंत्री ने कहा कि प्राप्त सुझावों को वित्त मंत्रालय के विचारार्थ भेजा जा रहा है, जो संभवत: काफी बारीकी से गौर करने के बाद एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा। श्री गोयल ने इन संगठनों के सदस्यों की मानवीय सहायता संबंधी गतिविधियों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने इन संगठनों का आह्वान किया कि वे अपने सदस्यों और अन्य लोगों को ‘आरोग्य सेतु’ एप को डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करें, जिसे उन्होंने कोविड-19 से लड़ने के लिए एक प्रभावकारी तकनीकी टूल या साधन बताया।
इस विचार-विमर्श में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम, आईसीसी, लघु उद्योग भारती, फिस्मे, नैसकॉम, पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल, सियाम, एसीएमए, आईएमटीएमए, आईईईएमए, सीएआईटी और फेम के पदाधिकारियों ने भाग लिया।