जबलपुर। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि भारत एक युवा देश है जिसकी 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग में है। उन्होंने कहा कि भारत के युवा न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को गति दे सकते हैं बल्कि विश्व के अन्य देशों को भी लाभान्वित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें मात्र डिग्री ही नहीं बल्कि उभरती टेक्नोलॉजी में कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।
उपराष्ट्रपति आज अपनी जबलपुर यात्रा के दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग के विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट्स देखे और उनसे संवाद किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी, डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग का क्षेत्र हमारे देश की आर्थिक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि आज हम तेज़ी से बदलते विश्व में रह रहे हैं जहां चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे लिए नए अवसरों के द्वार खोल रही है। विनिर्माण क्षेत्र के लिए नई चुनौतियां ही नए अवसर लाएंगी।नए अवसरों का उपयोग करने के लिए हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स, मशीन टू मशीन कम्युनिकेशन, रोबोटिक्स जैसी नई उभरती टेक्नोलॉजी को तेज़ी से अपनाना होगा।इस संदर्भ में उन्होंने विद्यार्थियों को आगाह किया कि महज डिग्री लेना ही पर्याप्त न होगा बल्कि कौशल और अनुभव प्राप्त करना होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्कूलिंग और स्किलिंग दोनों साथ साथ चलने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ध्यान देना भी ज़रूरी है कि इन नई तकनीकों को स्वीकार करने में जहां बड़े उद्योग अधिक सहज हैं, वहीं सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों को ज्यादा कठिनाई हो रही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विनिर्माण के क्षेत्र में भारत विश्व का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। किसी देश की अर्थव्यव्स्था की प्रगति विनिर्माण क्षेत्र में प्रगति से नापी जाती है। यह चिंता का विषय रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 16% पर बना रहा है। हमारा प्रयास है कि इसे जीडीपी के 25% के स्तर तक बढ़ाया जाए।
इस दिशा में उद्यमिता और इन्नोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया जैसे अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। मुद्रा योजना तथा स्टैंड अप इंडिया के माध्यम से ऋण उपलब्धता को सुगम बनाया गया है।
सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए, बड़ी मात्रा में सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश किया गया है।औद्योगिक गलियारे जैसी बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है जिससे विनिर्माण क्षेत्र में तेज़ी आयेगी।
उन्होंने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों से अपेक्षा की कि वे 21वीं सदी के उद्योगों की जरूरत के अनुसार ही भारत के युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे।उन्होंने कहा कि विश्विद्यालय सिर्फ सूचना केन्द्र ही नहीं बल्कि अनुसंधान, प्रशिक्षण और इन्नोवेशन के केंद्र होने चाहिए। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि आईआईआईटीडीएम जैसे संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आपसे आशा है कि आप देश में स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए अपेक्षित प्रशिक्षित विशेषज्ञ उपलब्ध करा सकेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में विश्व की अग्रणी अर्थव्यव्स्था बनने की क्षमता है और हम आगामी कुछ वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के पथ पर अग्रसर है।
विनिर्माण में उद्दयमिता को प्रोत्साहन देने और डिजिटल अर्थव्यव्स्था के क्षेत्र में सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने बताया कि युवाओं में इन्नोवेशन तथा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा अटल इन्नोवेशन मिशन प्रारंभ किया गया है जिसके तहत देश भर के 625 जिलों में 5000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब स्थापित की जा रही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी देश की तकनीकी प्रगति का अनुमान सार्वजनिक और निजी क्षेत्र द्वारा अनुसंधान पर लिए जा रहे खर्च से लगाया जा सकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि देश में अनुसंधान और शोध पर सार्वजनिक खर्च अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बहुत कम है। उन्होंने निजी क्षेत्र से आह्वाहन किया कि वे अनुसंधान के लिए और अधिक संसाधन उपलब्ध कराएं तथा विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में अत्याधुनिक तकनीकों पर हो रहे अनुसंधान को समर्थन करने के लिए अलग से संसाधन उपलब्ध कराएं।
देश में हो रही डिजिटल क्रांति की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम चलाया जा रहा है। भारत नेट के तहत 1.5 लाख ग्राम पंचायतों 4 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से हाई स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ा गया है जिससे ई गवर्नेंस का लाभ उन सुदूरवर्ती गावों तक पहुंच सकेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने हेतु अभियान चलाया जा रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने डिजिटल सामग्री के भारतीय भाषाओं में उपलब्ध न होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा यदि डिजिटल क्रांति और ई गवर्नेंस के लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने हैं तो उसे भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराना होगा। इस संदर्भ मैं उन्होंने आईआईआईटीडीएम जैसे तकनीकी संस्थानों से सहयोग की अपेक्षा की।
उपराष्ट्रपति ने उच्च और तकनीकी शिक्षा में भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर बल दिया।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने सांसदों से अपेक्षा की कि वे सदन में विमर्श के स्तर को ऊंचा रखें और समाज के सामने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें।
इससे पूर्व उपराष्ट्रपति ने आईआईआईटीडीएम परिसर में रेवा 2रेसीडेंसी, आवासीय परिसर का उद्घाटन किया तथा रुद्राक्ष का वृक्षारोपण किया।
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल, जबलपुर से लोक सभा सदस्य श्री राकेश सिंह सहित आईआईआईटीडीम के निदेशक, शिक्षक और विद्यार्थियों सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
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