नई दिल्ली : देश के पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस कार्य समिति के वरिष्ठ सदस्य पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों के इतिहास में यह सबसे लंबा बजट भाषण था. लगभग 160 मिनट के बजट भाषण में श्रीमती सीतारमन ने कोई ऐसी घोषणा नहीं की जो हमारे लिए यादगार हो. इसलिए सभी उनके बजट भाषण से बोझिल हुए जैसा कि मैं हूं . मैं यह समझने में नाकाम रहा कि बजट 2020 -21 में उन्होंने कोई ऐसा आईडिया प्रस्तुत किया हो जो यादगार हो जिससे कि आर्थिक विकास को गति मिले, रोजगार की संभावना बढे और उद्योग जगत को बढ़ावा मिले ।
श्री चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने इतने प्रकार की योजनाएं और प्रोग्राम्स का जिक्र किया जो लोगों को भ्रमित करने वाली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास को गति देने, रोजगार की संभावना बढ़ाने, उद्योग जगत को प्रोत्साहित करने और विश्व व्यापार में अपना शेयर बढ़ाने जैसे पहलुओं से नाता तोड़ लिया है।
उन्होंने कहा कि बहुत सारी ऐसी योजनाओं का जिक्र भी किया गया जो वर्तमान में चल रही हैं. उन्होंने कहा कि मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि इस बजट भाषण को सुनने के बाद भाजपा के कट्टर समर्थक सांसद या नेता एक भी ऐसा आईडिया सेलेक्ट नहीं कर पाएंगे जिसे लेकर वह जनता में जा सके. उन्होंने सवाल किया कि जब वर्तमान में लागू की गई योजनाएं लोगों के लिए हितकर साबित नहीं हुई फिर उसमें और आंशिक बजट बढ़ाने या कम करने से कैसे लाभ मिलेगा या वह योजना कैसे प्रभावी होगी।
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— Congress (@INCIndia) February 1, 2020
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार सेल्फ रिलायंस, प्रोटेक्शनिज्म, कंट्रोल और एग्रेसिव टैक्सेशन के लिए घोषित है और आज का बजट इन्हीं बातों को पुष्ट करता है. उन्होंने कहा कि यह सरकार वास्तव में मार्केट इकोनामी , कंपटीशन और इन्वेस्टमेंट इंटेंसिटी में विश्वास नहीं करती है। चिदंबरम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत सरकार की चीफ इकोनामिक एडवाइजर निश्चित रूप से बहुत निराश हुए होंगे क्योंकि सरकार के कदम यह दर्शाते हैं कि उन्होंने देश की बदहाल अर्थव्यवस्था होने से इंकार कर दिया है और ग्रोथ रेट लगातार 6 तिमाही में नीचे जा रही है।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने साफ शब्दों में जोर देते हुए कहा कि इस बजट में कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे कि 2020 -21 वित्त वर्ष में देश का विकास दर बढ़ने की स्थिति पैदा हो सके. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा 6 से 6.5 प्रतिशत ग्रोथ रेट का दावा करना निराधार और आश्चर्यजनक है साथ ही गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में निवेश को बढ़ावा देने वाले कदम उठाने की मांग कर रही है लेकिन वित्त मंत्री ने इन चुनौतियों कि ना तो पहचान की है और ना ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगर यह चुनौतियां बरकरार रहेंगी और इसे सुलझाने के प्रयास नहीं किए जाएंगे तो स्थिति बदतर होगी इससे करोड़ों गरीब और माध्यम वर्ग को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
पूर्व वित्त मंत्री ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बजट में फूड सब्सिडी घटाई गई है. फर्टिलाइजर सब्सिडी को भी कम किया गया है. पेट्रोलियम सब्सिडी बहुत कम मात्रा में बढ़ाई गई है क्योंकि आने वाले समय में कीमतों में उछाल की आशंका है. इससे यह साफ होता है कि देश की जनता को आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आई महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है । उन्होंने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि कंज्यूमर प्रोडक्ट का महंगाई दर 7% है जबकि फूड इन्फ्लेशन 10% की सीमा में है ।उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण ने पिछले बजट में जो लक्ष्य रखे थे उनमें से एक भी पूरा करने में वह सफल नहीं हुई है। उन्होंने सख्त शब्दों में कहा कि वित्त मंत्री पूरी तरह विफल रही है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण पिछले बजट में निर्धारित टैक्स कलेक्शन, बजट डिफिसिट, जीडीपी ग्रोथ, डिसइनवेस्टमेंट रिवेन्यू एंड टोटल एक्सपेंडिचर के मामले में लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिखता जिससे 2020 – 21 के दौरान निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार का विश्वास ना तो निवेश के लिए स्ट्रक्चरल चेंजेज करने में है और न ही रोजगार को बढ़ावा देने वाली नीतियां अपनाने में. उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारीकरण की सभी नीतियों से यह सरकार अलग है यह आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है।