नई दिल्ली : नई दिल्ली में संसद के शीतकालीन सत्र के आरम्भ में आज आयोजित सर्व दलीय बैठक में भी सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति दिखी. इससे स्पष्ट है कि सोमवार से शुरू होने वाला सत्र इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संघर्ष की भेंट चढ़ सकता है. आर्थिक मुद्दे के अलावा कई राजनीतिक मुद्दे भी है जो विपक्ष के लिए सरकार को घेरने के काम आयेंगे और शोरगुल के साथ वेल ऑफ़ द हाउस में नारेबाजी भी देखने को मिलेगी.
आज आयोजित सर्वदलीय बैठक में हुई बातचीत के बारे में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने सरकार की मंशा और कार्यशैली पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार का यह कहना कि वह सभी विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है सही नहीं है. उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सरकार हमें इस तरह की बैठकों में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का आश्वासन देती है लेकिन संसद में इस पर चर्चा करने से इनकार करती है.
खबर है कि श्री आजाद सहित विपक्ष के अन्य सदस्यों ने लोक सभा में फारुक अब्दुल्ला और राज्यसभा में पी चिदंबरम को कार्यवाही में भाग लेने देने की मांग की. लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. इस पर गुलाम नवी आजाद का कहना है कि पूर्व में भी सांसदों को संसद की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी गई थी, भले ही उनके खिलाफ मामले लंबित हों। उन्होंने मांग की है कि इसलिए इन दोनों को भी संसद की कार्यवाही में शामिल होने की भी अनुमति दी जानी चाहिए. चिदंबरम के मामले में पर गुलाम नबी आजाद ने अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट किया .
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिन मुद्दों पर चर्चा की गई, वे थे बेरोजगारी, आर्थिक संकट, किसान संकट शामिल हैं। सदस्यों ने देश में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर भी चिंता व्यक्त की. उनका कहना था कि फारूक अब्दुल्ला को कब रिहा किया जाएगा , यह सवाल कई पार्टी के कई सांसदों ने सरकार से पूछा लेकिन सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी ।
उल्लेखनीय है कि आज की सर्वदलीय बैठक को सरकार द्वारा बुलाया गया था और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल द्वारा संचालित किया गया।