सौरभ भारद्वाज
चंडीगढ़ । सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक प्रबंधन की ओर से गोलमाल जारी है। पिछले कुछ सालों में बैंक के टॉप प्रबंधन ने घाटे को छिपा कर बैंक को मुनाफे में दिखाया और लगभग 400 करोड़ रुपये का टैक्स जमा कर दिया। जबकि असल में बैंक घाटे में था और अगर बैंक का प्रबंधन इस घाटे को सार्वजनिक करता तो बहुत से अधिकारियों की प्रोमोशन सीएसआर में पैसा व अन्य सुविधाओं में कटौती निश्चित थी। बैंक में नई भर्तियों पर रोक लगती। गुजरे वित्त वर्ष में भी बैंक प्रबंधन की ओर से ऑडिट होने से पहले ही अपने ज्यादातर चहेतों की प्रमोशन कर दी। इस बार नियुक्तकिए गए सेंट्रल ऑडिटर सीए कैलाश गुप्ता की टीम ने बैंक प्रबंधन के इस गोलमाल को पकड़ लिया और जो ऑडिट रिपोर्ट बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के समक्ष 23 जुलाई और 29 जुलाई को चंडीगढ़ में रखी गई, लेकिन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उस रिपोर्ट पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया और ऑडिटर पर रिपोर्ट को बैंक प्रबंधन के पक्ष में बनाने का दबाव बनाया गया।
पूरे देश में हर बैंक का ऑडिट हो चुका है सिर्फ सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक का ही ऑडिट नहीं हुआ है। यहां तक कि पंजाब नेशनल बैंक का भी ऑडिट हो चुका है जिसके नियंत्रण में सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक है। जाहिर सी बात है कि बिना सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के खातों को अपने ऑडिट का हिस्सा बनाए पंजाब नेशनल बैंक ने अपना ऑडिट तो नहीं कराया होगा। पीएनबी ने जून 2019 का भी अपना खाता जारी कर दिया है। दोबार फिर उसी एजेंसी को ऑडिट की जिम्मेदारी दी है जिसने पिछले बार भी ऑडिट किया था।