नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के खत्म होते-होते चुनाव आयोग में भी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। आयोग के आचार संहिता तोड़ने संबंधी कई फैसलों पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर मांग की है कि आयोग के फैसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए।
अशोक लवासा देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में हैं और सूत्रों के मुताबिक लवासा आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे-सीधे लगातार क्लीन चिट और विरोधी दलों के नेताओं को नोटिस थमाए जाने के खिलाफ रहे हैं।
चुनाव आयोग में फैसले को लेकर हो रहे विवाद और लवासा की ओर से पत्र लिखे जाने को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘चुनाव आयोग में 3 सदस्य होते हैं और तीनों एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते। मैं किसी भी तरह के बहस से नहीं भागता। हर चीज का वक्त होता है।’
इस मामले पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि श्री अशोक लवासा, ईसी, ने शिकायत की है कि उनका ‘असंतोष’ दर्ज नहीं किया जा रहा था, इसलिए उन्होंने आयोग की बैठकों से दूर रहने का फैसला किया। सीईसी ने इस पर जवाब दिया है कि मौन वाक्पटु है। मैं अभी भी शिकायत और जवाब के बीच क्या संबंध बन रहा है यह खोजने की कोशिश कर रहा हूं!
उन्होंने कहा कि CEC लोगों को बताता है कि कुछ मामलों को ‘आंतरिक’ रखा जाता है। क्या वह यह कह रहे हैं कि लोगो को – मतदाताओं को इस बात की जानकारी नहीं होनी चाहिए कि आयोग किस तरीके से कार्य कर रहा है?
आगे उन्होंने यह भी कहा कि अब किसी और सबूत की जरूरत नहीं बची है कि मोदी सरकार ने एक और स्वतंत्र संस्थान पर कब्जा कर लिया है।