नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 कई मायने में यादगार रहेगा चुनाव प्रचार के दौरान एक दूसरे को नीचा दिखाने और हराने की कोशिश में जुटे राष्ट्रीय राजनीतिक दल और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच हुई कुश्ती भी इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पटखनी देने के लिए कांग्रेस सहित सभी क्षेत्रीय पार्टियों के नेता हर कदम पर मोदी के सामने चुनौती पेश करने या फिर अड़गे बाजी करने की कोशिश में जुटे रहे। दूसरी तरफ भाजपा भी जनता के सामने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य विरोधी क्षेत्रीय पार्टियों को परास्त करने के अलग अलग हथकंडे अपनाने से बाज नहीं आई। इनमें से ही एक नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक फिल्म भी है ।
इस फिल्म को लेकर भी भाजपा और विपक्ष के बीच में तलवारें खिंची रही। भाजपा के समर्थक पीएम नरेंद्र मोदी पर बानी बायोपिक फिल्म रिलीज होने पर आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानती थी जबकि कांग्रेस और अन्य विरोधी पार्टियां इसे आचार संगीता का सरासर उल्लंघन बताती रही। मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक भी पहुंचा। हालांकि अदालत ने इस विषय पर निर्णय लेने के लिए देश के निर्वाचन आयोग को ही सक्षम और सटीक प्लेटफॉर्म बताते हुए निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था । इस जद्दोजहद के बाद अंततः इस फिल्म को देखने के लिए बेकरार देश के लोगों की प्रतीक्षा की घड़ी अब समाप्त होने वाली है । क्योंकि लोकसभा चुनाव के समाप्त होने के ठीक एक दिन बाद ही इस फिल्म को रिलीज करने की अनुमति मिली है
सूचना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ 24 मई 2019 को रिलीज होगी। इससे पहले यह फिल्म 5 अप्रैल और 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी लेकिन इसकी रिलीज को टाल दिया गया था। पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में रहने वाली यह फिल्म इस साल की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल को शुरू हुए थे जिसके कारण फिल्म की रिलीज पर रोक लगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई फिल्म की रोक पर दखल देने से इन्कार किया था। इस बीच बायोपिक फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ के मेकर्स ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इसके रिलीज पर रोक के फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा था।
पत्र के अनुसार, मेकर्स ने कहा था कि हम उन क्षेत्रों में फिल्म को प्रमोट करने का विचार कर रहे हैं, जहां 29 अप्रैल को चौथे चरण तक चुनाव समाप्त हो चुके हो, जो आचार संहिता कानून को भी प्रभावित नहीं करेगा।