उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में हैं सर्विस वोटर्स
नई दिल्ली : सेवा मतदाताओं सहित देश के अन्य मतदाता कितने उत्साह से मतदान करते हैं इसका पता 2019 के लोकसभा चुनाव में पता चलेगा। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष देश में कुल 16,62,993 सेवा मतदाताओं का नामांकन हुआ है, जबकि 2014 में यह संख्या 13,27,627 थी। उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में सेवा मतदाता हैं। उत्तराखंड में भी लगभग 88,600 सेवा मतदाता हैं। गढ़वाल में पांच संसदीय निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें गढ़वाल संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक सेवा मतदाता हैं। राज्य की जनसंख्या को देखते हुए यह आंकडा बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
सेवा मतदाताओं की संख्या में यह वृद्धि सार संशोधन 2019 के दौरान सेवा मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग के सतत प्रयासों के कारण हुई है। सेवाओं और संबंधित विभागों के सक्रिय सहयोग तथा सेवा कर्मियों की बेहतर भागीदारी ने भी इसमें सहयोग किया है। कांटे के मुकाबलों में सेवा मतदाता बहुत महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। सेवा मतदाताओं में, भारतीय संघ के सशस्त्र बलों के सदस्य, राज्यों के सशस्त्र पुलिस बलों के वे सदस्य जो उस राज्य से बाहर सेवारत हैं और भारत सरकार के अधीन कार्यरत वे व्यक्ति जो भारत से बाहर तैनात हैं, शामिल हैं।
मौजूदा व्यवस्थाओं के अनुसार भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना, सीमा सड़क संगठन, बीएसएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स, एनएसजी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और एसएसबी के सदस्य सेवा मतदाताओं के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।सेवा मतदाता प्रॉक्सी द्वारा भी अपना मत डाल सकते हैं। वे निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध फॉर्म 13 एफ में निर्वाचन अधिकारी को आवेदन करके किसी भी व्यक्ति को अपना प्रॉक्सी नियुक्त करके मतदान केन्द्र पर अपनी ओर से मतदान करा सकते हैं। लेकिन ऐसा प्रॉक्सी मतदाता उस निर्वाचन क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए।सेवा मतदाताओं की मदद के लिए एक सेवा पोर्टल भी बनाया गया है। अधिक जानकारी www.servicevoter.nic.in से प्राप्त की जा सकती है।