नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण देने के लिए लाया गया संविधान संशोधन विधेयक बिल बुधवार को देर रात में राज्य सभा में पास हो गया है। डीएम के सहित वाम दलों में आरक्षण बिल को सलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की लेकिन इस मोशन के खिलाफ 155 वोट और विरोध में 18 वोट पडे हैं। अब बिल सलेक्ट कमेटी में नहीं जाएगा।सामान्य कोटा के गरीबों के आरक्षण से संबंधित संविधान संशोधन बिल 2019 राज्य सभा में दो तिहाई बहुमत से पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 165 मत पड़े जबकि विरोध में केवल 7 वोट। यह बिल मंगलवार को लोकसभा में लंबी बहस के बाद पारित कर दिया गया था जिसे बुधवार को राज्यसभा में पास किया गया था।
बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने का डीएमके सांसद कनिमोझी का प्रस्ताव गिरा।आरक्षण बिल को पास कराने के पक्ष में 165 वोट प्राप्त हुए और विरोध में 7 वोट मिले हैं। इस आधार पर आर्थिक आधार पर सवर्ण वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक राज्य सभा में पास हो गया है। अब यह बिल राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद यह आरक्षण लागू हो जाएगा।
इससे पहले सामान्य वर्ग के गरीब तबके को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण देने के विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया। विधेयक को लेकर विपक्ष के हंगामा के कारण कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने मांग की है कि सवर्णो को आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान विधेयक को विस्तृत विचार के लिए एक सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए।
लोकसभा में संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो चुका है। यह सरकारी सेवा और उच्च शिक्षण संस्थानों में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे राज्यसभा में पेश किया।कांग्रेस पार्टी बिल के समर्थन में है, लेकिन जिस तरीके से सत्र को बढ़ाया गया, वह गलत है। पौने 5 साल बाद सरकार की नींद टूटी है, इसलिए वह श्रेय लेने की कोशिश न करे। देश को गुमराह करने की कोशिश मत करे।
सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने चर्चा के जवाब में सदन में बोलते हुए कहा कि आज सदन इतिहास रचने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अच्छे मन से और अच्छी नीति के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार यह बिल लेकर आ रही है। मंत्री ने कहा कि कांग्रेस बताए कि वो कैसे इस बिल को लाती, क्योंकि सवर्णों को आरक्षण देने का वादा तो उसने भी किया था।
रामदास अठावले ने कहा कि सवर्णों को आरक्षण फैसला बिलकुल सही है। भाजपा को दलित विरोधी कहना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए जो भी करना है वो आप कर सकते हैं।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस बिल के तहत सरकार ने गरीब सवर्णों को धोखा देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की राजधानी में बैठने वाले लोग दलित विरोध हैं और वहीं से इस बिल का दस्तावेज आया है। नागपुर के प्रमुख यह बोल चुके हैं कि आरक्षण खत्म होना चाहिए और दलितों को आरक्षण को खत्म करने की मंशा के साथ यह बिल लाया गया है। नागपुर में एक भी प्रमुख दलित और पिछड़े वर्ग से नहीं बैठा है, यह इनकी नियत है। उन्होंने सभी दलों से इस बिल को सदन से पारित नहीं होने देने की अपील की।
बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हमारी नेता बहम मायावती सदन के भीतर उच्च जातियों के गरीबों को आरक्षण का समर्थन कर चुकीं हैं। हमारी पार्टी भी आज इस बिल का समर्थन कर रही है। मिश्रा ने कहा कि अगर आप संविधान में आर्थिक आरक्षण के लिए संशोधन ला रहे हैं तो जातिगत आरक्षण के लिए भी 50 फीसदी से ऊपर आरक्षण लेकर आइए। उन्होंने कहा कि आप क्यों, कैसे और किन परिस्थितियों में बिल ला रहे हैं, इस पर तो सवाल पूछे ही जाएंगे। सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण के लिए क्या 4 साल में क्या किया है। मंत्री बताएं कि आबादी के हिसाब से पिछड़ों का आरक्षण कब से बढ़ा रहे हैं। मिश्रा ने कहा कि आपने आखिरी बॉल पर छक्का जरूर मारा है लेकिन वो बाउंड्री के पार नहीं जाना वाला है।
मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि पिछड़ी जाति के व्यक्ति सवर्ण वर्ग को आरक्षण प्रदान किया है। पिछड़ी जाति के बेटों ने अगडों को आरक्षण दिया है। हम चाहते हैं कि सरकार न्यायापालिका में आरक्षित व्यवस्था लाकर न्याय करे। उनके बयान पर लगातार आरजेडी सांसद मीसा भारती टोकाटोकी करती रही। उन्होंने कहा कि इससे पहले सवर्ण कास्ट प्रधानमंत्री बने उन्होंने सवर्ण वर्ग को आरक्षण के बारे में कुछ नहीं कर पाए।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि जितनी नौकरियां पैदा नहीं हुई उससे कई ज्यादा नौकरियां चली गईं हैं प्राइवेट और सरकारी दोनों ही क्षेत्र में नौकरियों की संख्या घटी है। देश का युवा आज नौकरी के लिए तरस रहा है और वो मौके उसे सिर्फ देश का विकास होने पर मिलेंगे। देश से निवेश लगातार जा रहा है, आप किसी मूर्ख बना रहे हैं। जनता के चेहरे पर रौनक लाने का यह रास्ता नहीं है और जबतक जनता के चेहरे पर रौनक नहीं आएगी तब तक आपके चेहरे पर भी रौनक नहीं आ सकती।सरकार जनता को बेवकूफ बना रही है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पर बोलते हुए कहा कि सभी सदस्यों ने इस बिल का समर्थन किया है, लेकिन कुछ न कुछ लेकिन लगा दिया है। प्रसाद ने कहा कि संविधान के बुनियाद ढांचे को नहीं बदला गया है और उसमें को आरक्षण और किसी तरह की सीमा का जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि जातिगत आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की सीमा तय की है आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए कोई सीमा नहीं है। मौजूदा एसी , एसटी और ओबीसी आरक्षण में किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, वो जस का तस रहेगा। मंत्री ने कहा कि संविधान में आर्थिक तौर पर कमजोर अगड़ी जातियों को आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि कैबिनेट से लेकर आखिरी पायदान तक जाति का असर पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर आप सुप्रीम कोर्ट की सीमा तोड़ रहे हैं तो ओबीसी को भी बढ़ाकर आरक्षण दीजिए। झा ने कहा कि इस बिल के जरिए जातिगत आरक्षण को खत्म करने का रास्ता तय हो रहा है। उन्होंने कहा कि कानूनी और संवैधानिक तौर पर यह बिल खारिज होता है। झा ने कहा कि आरक्षण देना है तो निजी क्षेत्र में भी दीजिए, वहां हाथ लगाने से क्यों डर रहे हैं। आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने झुनझुना दिखाते हुए कहा कि आमतौर पर ये बजता है लेकिन इस दौर में यह सरकार के पास है जो सिर्फ हिलता है बजता नहीं है।
एआईएडीएमके ने इस विधेयक का विरोध जताया है और इसको असंवैधानिक करार दिया है।
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि मैं अपनी बात को शुरू करने से पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हमारी पार्टी इस बिल के समर्थन में है। लेकिन मैंने वह समय भी देखा है जब अनुसूचित जाति के लोगों के साथ भेदभाव हुए। ये भेदभाव बाबा साहब आंबेडकर और बाबू जगजीवन राम के साथ भी हुआ। हमें इसका ध्यान रखने की जरूरत है।
यादव ने कहा कि निचली जातियों के साथ भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी में सरकार बदलने के बाद चीफ मिनिस्टर का बंगला भी धुलवाया गया था। मैं सत्ता पक्ष के लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या यह सरकार हमारी सरकार नहीं है? अगर हम इस बिल का समर्थन कर रहे हैं तो क्या इसमें हमारा योगदान नहीं है।
यादव ने कहा कि 98 प्रतिशत गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण और 2 प्रतिशत अमीर लोगों को 40 फीसदी आरक्षण देने की बात को जरा समझाइए। अगर आप समता के अधिकार की बात करते हैं तो बताइए कहां है समता अधिकार?
सपा सांसद द्वारा मुस्लिम कोटा का जिक्र करने पर बीजेपी सांसद अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि अगर आप मुस्लिमों के लिए आरक्षण लेकर आए तो क्या उससे मेरिट वालों को नुकसान नहीं हुआ।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि कि सैंकड़ों सालों के अन्याय को महज कुछ दशकों में बराबर नहीं किया जा सकता है। देश के पिछड़े और अनूसचित जाति और जनजाति के साथ बहुत समय तक अन्याय हुआ। पिछड़े और कमजोर लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया। उससे हटकर जब आरक्षण में बदलाव की कोशिश की गई तो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया।