स्कूलों का निरीक्षण अब स्कूल के बुनियादी ढांचे पर केन्द्रित नहीं होगा, बल्कि परिणाम आधारित होगा
सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के नए सीबीएसई सम्बद्धता उपनियम जारी किए। यहां आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए श्री जावड़ेकर ने बताया कि सीबीएसई के कामकाज में तेजी, पारदर्शिता, आसान प्रक्रियाएं और व्यापार सुगमता सुनिश्चित करने के लिए सम्बद्धता उपनियमों को पूरी तरह से संशोधित कर दिया गया है। इसे सरल बना दिया गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने इस वर्ष पहले ही बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह सम्बद्धता उपनियमों पर दोबारा गौर करे, ताकि प्रणाली को अधिक मजबूत और बेहतर बनाया जा सके। प्रमुख बदलावों का उल्लेख करते हुए श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पहले प्रक्रिया बहुत जटिल होती थी, लेकिन नए नियमों के तहत प्रणाली को सरल बना दिया गया है। अब प्रक्रियाओं में दोहराव नहीं होगा।
सीबीएसई कक्षा 10 और 12 के लिए परीक्षाएं आयोजित करने वाला एक राष्ट्रस्तरीय बोर्ड है। वह देशभर के और विदेशों में स्थित स्कूलों को सम्बद्धता प्रदान करता है, जो सम्बद्धता उपनियमों में उल्लिखित विभिन्न शर्तों को पूरा करने पर दी जाती है। इस समय बोर्ड के साथ 20783 स्कूल सम्बद्ध हैं। सम्बद्धता उपनियम पहली बार 1998 में बनाए गए थे और अंतिम बार 2012 में उन्हें दुरुस्त किया गया था।
श्री जावड़ेकर ने बताया कि सीबीएसई और राज्य सरकार स्तर पर प्रक्रियाओं में होने वाले दोहराव को ध्यान में रखते हुए संशोधित उपनियम तैयार किये गए हैं। यह इसकी पहली विशेषता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता और अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए राज्य शिक्षा प्रशासन, स्थानीय निकायों, राजस्व विभाग, सहकारिता विभाग आदि के विभिन्न प्रमाणपत्रों की जांच करता है। आवेदन प्राप्त होने के बाद सीबीएसई इन सब प्रमाणपत्रों की दोबारा जांच करता है। यह प्रक्रिया बहुत लंबी होती है। इसलिए इस दोहराव से बचने के लिए सम्बद्धता लेने के मामले में स्कूलों को अब सिर्फ दो दस्तावेज जमा करने होंगे, जबकि पहले उन्हें 12-14 दस्तावेज देने पड़ते थे। पहला दस्तावेज जिला शिक्षा प्रशासन के प्रमुख द्वारा दिया जाएगा, जिसमें इमारत की सुरक्षा, स्वच्छता, जमीन के स्वामित्व इत्यादि को प्रमाणित किया जाएगा। दूसरा दस्तावेज हलफनामा के रूप में होगा, जिसमें स्कूल को फीस के नियम, बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इस प्रमुख बदलाव के नतीजे में बोर्ड को अब इन पक्षों की दोबारा जांच करने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि यह काम निरीक्षण के दौरान राज्य सरकार पूरा कर लेगी। इस तरह प्रमाणपत्रों की जांच और खामियों की पड़ताल से होने वाला विलम्ब समाप्त हो जाएगा।
स्कूलों का निरीक्षण अब स्कूल के बुनियादी ढांचे पर केन्द्रित नहीं होगा, बल्कि परिणाम आधारित होगा तथा उसमें अकादमिक स्थिति और गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाएगा। निरीक्षण के तहत छात्रों की अकादमिक उत्कृष्टता और प्रगति, शिक्षण कार्य की बेहतरी और नवीनता, शिक्षकों की क्षमता और उनके प्रशिक्षण, स्कूलों में समावेशी गतिविधियों, खेल इत्यादि को भी ध्यान में रखा जाएगा। इस प्रक्रिया से बोर्ड और स्कूलों को छात्रों की प्रगति का जायजा लेने में सुविधा होगी और वे जान सकेंगे कि किन क्षेत्रों में ज्यादा प्रयास करने चाहिए।
उल्लेखनीय है यह आवेदन, निरीक्षण और सम्बद्धता प्रदान करने तक की पूरी प्रक्रिया को बोर्ड ने मार्च 2018 में कागज विहीन बना दिया था। नए उपनियमों के तहत पूरी प्रक्रिया भी आनलाइन हो जाएगी। आवेदनों का भी उसी साल निपटारा कर दिया जाएगा।
नए उपनियमों के तहत आवेदन प्राप्त होने के तुरंत बाद स्कूल का निरीक्षण किया जाएगा। संतोषजनक निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड स्कूल को एक आशय-पत्र जारी करेगा, जिसमें स्कूल को सम्बद्धता देने का प्रस्ताव होगा। उसके बाद स्कूल से यह आशा की जाएगी कि वह सम्बद्धता-पूर्व प्रक्रिया के तहत सारी शर्तें पूरी करे। इसमें पात्र अध्यापकों की भर्ती, विशेष शिक्षक, स्वास्थ्य सलाहकार, डिजीटल भुगतान के जरिए वेतन प्रदान करने की प्रक्रिया इत्यादि का हवाला देना होगा। इन शर्तों को पूरा करने के बाद स्कूल सम्बन्धित वर्ष में 31 मार्च तक समस्त जानकारी सम्बंधी प्रमाणपत्र ऑनलाइन जमा करेगा। इसके आधार पर बोर्ड स्कूल की सम्बद्धता की पुष्टि कर देगा। इसके बाद ही स्कूल सीबीएसई के तहत नया अकादमिक सत्र शुरू कर पाएगा।
नए सम्बद्धता उपनियमों के तहत शिक्षकों का प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है और इस तरह अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने पर जोर दिया गया है। यहां तक कि हर स्कूल के प्रधानाचार्यों और उप प्रधानाचार्यों से भी आशा की जाती है कि वे वर्ष में दो दिन अनिवार्य प्रशिक्षण में भाग लेंगे। उपनियमों में अभिनव स्कूलों का एक विशेष वर्ग बनाया गया है, जिसमें विशेष स्कूलों को रखा गया है। पहले ये उपनियमों के दायरे में नहीं थे। ये ऐसे स्कूल हैं जो कौशल विकास, खेल, कला, विज्ञान इत्यादि क्षेत्रों में अभिनव विचारों को लागू कर रहे हैं। जहां तक फीस का प्रश्न है तो उसके लिए ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनके तहत फीस का पूरा विवरण देना होगा तथा फीस की आड़ में कोई भी स्कूल किसी प्रकार की वसूली नहीं करेगा। उपनियमों में साफ तौर पर कहा गया है कि फीस सरकार के नियमों और निर्देशों के तहत वसूल की जाएगी तथा फीस में संशोधन नियमों और निर्देशों के तहत ही किया जाएगा। पहली बार उपनियमों के तहत सौर ऊर्जा, वर्ष जल संरक्षण, परिसर को हरा-भरा बनाना, स्वच्छता इत्यादि के जरिए स्कूलों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सीबीएसई से भारत में 20783 स्कूल और 25 अन्य देशों के स्कूल सम्बद्ध हैं। इन स्कूलों में 109 करोड़ छात्र पढ़ाई करते हैं और 10 लाख से अधिक अध्यापक मौजूद हैं। संशोधित उपनियमों से स्कूलों के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में सहायता मिलेगी।