नई दिल्ली। आधार अनिवार्य होगा या नहीं इस बात को कल सुप्रीम कोर्ट तय कर देगा । आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ बुधवार काे अपना फैसला सुनाएगी ।
केंद्र ने आधार योजना का बचाव किया कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें किसी भी लाभ से बाहर नहीं रखा जाएगा। आधार सुरक्षा के उल्लंघन के आरोपों पर केंद्र ने कहा कि डेटा सुरक्षित है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। केंद्र ने यह भी तर्क दिया कि आधार समाज के कमजोर और हाशिए वाले वर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें बिचौलियों के बिना लाभ मिलते हैं। आधार ने सरकार के राजकोष में 55000 करोड़ रुपये बचाए हैं।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आधार अनिवार्य नहीं किया जा सकता और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने आधार कानून पर भी तर्क दिया कि ये मानव जीवन को प्रभावित करता है। यह कानून के रूप में नहीं रह सकता।
इस मामले में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई पूरी हो गई थी और संविधान पीठ ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पांच जजों की संविधान पीठ को तय करना है कि आधार निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है या नहीं।
आधार की अनिवार्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 38 सुनवाई हुईं। सुनवाई 17 जनवरी से शुरू हुई थीं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान पीठ ने सुनवाई की।
आधार पर फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा बाकी सभी केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई है। इनमें मोबाइल सिम व बैंक खाते भी शामिल हैं।