गुरुग्राम : शनिवार को हरियाणा नवनिर्माण सेना की ओर से अमर शहीद वीर स्वतंत्रता सेनानी अशफाक उल्लाह खान की 116वीं जयंती पर समस्त कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों ने गुरूग्राम स्थित आरडी सिटी में शहीदों की शहादत को नमन नामक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें मु य वक्ता के रूप में हरियाणा नवनिर्माण सेना के प्रदेश प्रवक्ता योगेश शर्मा ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन से देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले अमर शहीद वीर स्वतंत्रता सेनानी अशफाक उल्लाह खान न सिर्फ एक निर्भय और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि उर्दू भाषा के एक बेहतरीन कवि भी थे। पठान परिवार में जन्मे अशफाक उल्लाह खां का जन्म 22 अक्टूबर 1990 को शहांजहांपुर उत्तर प्रदेश में हुआ।
बचपन से ही अपने बड़े भाई रियायत उल्लाह खान जो रामप्रसाद बिस्मिल जी के सहपाठी थे, के साथ हमेशा देशप्रेम व देश की आजादी के लिए चर्चा किया करते थे। धीरे-धीरे ये रामप्रसाद बिस्मिल जी के साथ गहनता से जुड़ते चले गए और उनके सबसे विश्वास पात्र बन गए। काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए 9 अगस्त 1925 को रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्लाह खां समेत 8 अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा।
उन्होंने कहा कि कांकोरी कांड में शामिल क्रांतिकारियों के भय से अंग्रेज सरकार हिल गई और उन्होंने इसमें शामिल लोगों को जल्द से जल्द गिर तार करके सजा देने की साजिश रचनी शुरू कर दी। काकोरी कांड में 4 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई, जिसमें 19 दिसंबर 1927 को एक ही दिन और एक ही समय लेकिन अलग-अलग जेलों (फैजाबाद और गोरखपुर) में दो दोस्तों वीर अमर शहीदों रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खां को फांसी दे दी गई। अशफाक उल्लाह खां की लिखी चंद लाइनें आज भी देश के युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं:
जाऊंगा खाली हाथ, मगर ये दर्द साथ ही जाएगा
जानें किस दिन, हिन्दुस्तान आजाद वतन कहलाएगा?
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं, ‘‘फिर आऊंगा फिर आऊंगा
फिर आकर के ए भारत माता, तुझकों आजाद कराऊंगा’’
जी करता है मैं भी कह दूं, पर मजहब से बंध जाता हूं,
मैं मुसलमान हूं, पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूं
हां खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूंगा,
और जन्नत के बदले, उससे यक पुनर्जन्म ही मांगूंगा।।
इस अवसर पर सूचित कुमार, अमित पोदार, संजय पोदार, सुशील कुमार, रामेश्वर दयाल, रामपाल चौहान, मिश्री लाल, प्रेम, कविता, कंचन कुंवर, कौशर अली सहित अन्य कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी मौजूद थे।