गुरुग्राम/24 जुलाई। अंग्रेजों से भारत की मुक्ति के यज्ञ में ‘याचना के स्थान पर रण’ की नीति का सूत्रपात करने और क्रांतिकारी लड़ाई को वैचारिक आधार देने वाले चंद्रशेखर आजाद के जन्मदिवस पर सृष्टि फाउंडेशन के तत्वावधान में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। सोमवार देर शाम सेक्टर 10ए स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित समारोह में संस्था के कार्यकर्ताओं सहित स्कूली छात्रों ने वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर आजादी के लड़ाई में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। समारोह की अध्यक्षता फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. वीके त्रिपाठी ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व प्राचार्य किरण मल्होत्रा मौजूद थीं।
इस मौके पर वक्ताओं ने क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनके राष्ट्र के प्रति प्रेम और निष्ठा से विद्यार्थियों को अवगत कराया।
इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि चौरा-चौरी घटना के बाद महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन को अचानक स्थगित कर देने से चंद्रेशखर आजाद बहुत दुखी हुए। उन्होंने यह ठान लिया कि भारत माता को आजाद कराने के लिए प्राणों की आहुति ही एकमात्र रास्ता है। चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में पहली बार क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन व्यवस्था को भीषण चुनौती दी। उनके नेतृत्व में ही भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल, योगेशचन्द्र चटर्जी, अशफाकउल्ला खा, ठाकुर रोशन सिंह आदि ने तय किया कि हमारी लड़ाई आखिरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह ‘फैसला है जीत या फिर मौत।’ वास्तव में क्रांतिकारियों के अद्मय साहस व वीरता ने पूरे भारतीय समाज को अंग्रजों के खिलाफ उठ खड़े होने का साहस प्रदान किया, जिसका लाभ बाद में महात्मा गांधी और उनके जैसे नरम दल के नेताओं ने उठाया। आजादी के इतिहास में ये क्रांतिकारी हमेशा अमर रहेंगे। इस मौके पर विष्णु शर्मा ने भी अपना विचार व्यक्त किया।
समारोह का संचालन संस्था के उपाध्यक्ष राजेश पटेल ने किया। कार्यक्रम में सत्येंद्र सिंह, सीमा शर्मा, आरती, शरद महेश्वरी, रितेश सिंह, सुमंत वाक, दिनेश सैनी, अमित कुमार, शैलेश भारतवंशी, दीपक तिवारी, राजेश सिंह, अजय यादव, धर्मेद्र मिश्रा, राजेश पड़ित आदि उपस्थित थे।