नई दिल्ली।
मीडिया में इन सात सरकारी कॉलोनियों के पुनर्विकास के संदर्भ में पेड़ों को गिराने की कुछ गलत खबरें आई हैं। ऐसी खबरें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और इनमें पेड़ों की संख्या बढ़ाने के लिए पूरक कार्य के रूप में पेड़ लगाये जाने के प्रयासों तथा पुनर्विकसित की जा रही कॉलोनियों में हरित क्षेत्र बढ़ाने के प्रयासों को नजरअंदाज किया गया है।
पेड़ों के गिराने के संबंध में तथ्य इस प्रकार हैं:-
- बहुमंजिली आवासीय/व्यावसायिक ब्लॉकों की डिजाईन से प्रभावी जमीनी कवरेज में कमी आई है, जिससे हरित क्षेत्र के लिए अधिक स्थान मिला है। सभी सात कॉलोनियों के प्लान में 10,69,235 वर्गमीटर हरित क्षेत्र रखने का प्रस्ताव है, जबकि इन कॉलोनियों में मौजूदा हरित क्षेत्र 3,83,101 वर्गमीटर है। इस तरह तीन गुणा अधिक हरित स्थान प्राप्त होगा – संदर्भ संलग्नक-I
- सभी पेड़ नहीं काटे जा रहे हैं। मौजूदा 21,040 में से केवल 14,031 पेड़ काटे जाएंगे। वर्तमान 21,040 पेड़ों की तुलना में इन कॉलोनियों के पुनर्विकास के दौरान/बाद 23,475 पेड़ उपलब्ध होंगे (6834 पेड़ बचेंगे, 1213 पेड़ों का प्रत्यारोपण होगा तथा 15428 नए पेड़ों को लगाया जाएगा) – संदर्भ संलग्नक – II
- उपरोक्त के अतिरिक्त 1:10 के हिसाब से यानी एक पेड़ के नुकसान पर 10 पेड़ों को पूरक रूप में लगाने का काम किया जा रहा है। इस तरह 1,35,460 (एक लाख पैतीस हजार चार सौ साठ) पेड़ लगाए जाएंगे, जो शहरी वन लगेंगे और परिणामस्वरूप ऑक्सीजन बढ़ेगा और शहर के प्रदूषण स्तर में कमी आएगी – संदर्भ संलग्नक – II
पौधों के संरक्षण और पुनःरोपण के लिए विशेष प्रयासों के अतिरिक्त बनाए जाने वाले नए परिसर हरित भवन की अवधारणा, शून्य कचरा निष्पादन और पर्यावरण अनुकूलता के अनुसार निम्नलिखित उपायों से विकसित किए जा रहे हैं।
- वर्तमान 50 प्रतिशत के जमीनी कवरेज की तुलना में जमीनी कवरेज 15-10 प्रतिशत तक प्रतिबंधित, हरित क्षेत्र 50 प्रतिशत होगा।
- मुख्य सड़क को कवर करने के लिए चारदीवारी के साथ-साथ पेड़ लगाए जाएंगे/प्रत्यारोपण होगा।
- सूर्य की रोशनी के अनुसार घर बनाए जाएंगे ताकि घरों में गर्मी न हो और छतों की गर्मी रोकने के लिए हरित छतें होंगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सौर पैनल। इन सात सरकारी कॉलोनियों में 5,654 किलोवॉट सौर विद्युत उत्पादन होगा।
- ठोस कचरा/गंदे जल का संग्रहण किया जाएगा और उन्हें अलग-अलग करके उनका शोधन किया जाएगा और बागवानी के लिए उनका पुनः उपयोग किया जाएगा। ठोस कचरे का उपयोग बागवानी के लिए खाद्य के रूप में किया जाएगा।
- भू-जल को रिचार्ज करने के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली।
- ढांचा निर्माण में गिराए गए मलबे का दोबारा चक्रण करके इस्तेमाल किया जाएगा।
नए परिसर हरित क्षेत्रों, पेड़ों के साथ विकसित किए जा रहे हैं। इस तरह के विकास का उदाहरण नया मोतीबाग परिसर तथा पूर्व किदवई नगर परियोजना है।
मंत्रालय का प्रयास आनेवाली पीढ़ियों के लिए आदर्श विकास का उदाहरण देना है। परिवर्तन अवश्यंभावी है और इस तरह समय का तकाजा भी है। पर्यावरण का अधिकतम ध्यान रखते हुए और उसका आदर करते हुए सभी कदम उठाए जा रहे हैं। ये कदम गृह प्रमाणीकरण के साथ हरित परियोजना के लिए उठाए जा रहे हैं। इस तरह इन सातों कॉलोनियों के विकास के बाद हरित कवरेज और पर्यावरण अनुकूलता सुनिश्चित होगी।
Photo : Hindustan Times