मेवात के चार गावों ने शुक्रवार को दोपहर करीब दो बजे रोजा खोला

Font Size

बडी खबर

: रोजा खोलने वालों ने अपने फैंसले को जायज बताया तो वहीं दूसरे मसलक के लोगों ने भी इसे सही बताया है

: पूरी मेवात में शनिवार को ईद मनाई जाऐगी

यूनुस अलवी

 
मेवात :   ईद का चांद देखने के बाद फर्ज रोजे समाप्त हो जाते हैं और दूसरे दिन गांव की ईदगाह में बच्चे, बूढे नोजवान सभी नए कपडे पहनकर ईद की नमाज अदा करते हैं। ईद की नमाज सूबेह 11 बजे से पहले-पहले अदा कर ली जाती है उसके बाद जवाल का समय शुरू होने के बाद ईद की नमाज अदा नहीं की जा सकती बल्कि दूसरे दिन ही नमाज अदा की जा सकती है। शुक्रवार को पुन्हाना खंड के गांव बादली, जहटाना, सूखपुरी और रेहपुआ में दिल्ली से आऐ एक संदेश के बाद कुछ लोगों ने अपना रोजा दिन के करीब 2 बजे खोल लिया। दिन के करीब दो बजे रोजा खोलने को लेकर आम लोगों ने इसे गलत बताया है। 
 
    इसलाम धर्म में कई मसलक हैं। सभी मसलक कुरान और हदीश को मानते हैं लेकिन उनके धर्म गुरूओं के अनुसार कुछ बातों में फर्क होता है। ऐसा ही एक मसला मेवात में हैं जिसे अहले हदीश के नाम से जानते हैं। वैसे मेवात इलाका में अधिक्तर देवबंदी यानि हनफी मसलक से ताल्लुक रखते हैं। अहले हदीश मसलक से ताल्लुक रखने वाले गांव जहटाना निवासी डाक्टर मोलवी  नजीर और गांव रहपुआ निवासी मोलवी फारूख ने बताया कि दिल्ली के मदरसा मनाबिल के सदर मोहम्मद रहमानी का उनके पास संदेश आया कि चांद नजर आने की तस्दीक हो गई है। इसलिए जब चांद नजर आने की तस्दीक हो जाती है तो फिर रोजा रखना हराम होता है। इसलिए जिन्होने रोजा रखा है वे अपना रोजा खोल लें। दिल्ली से आए संदेश के बाद चार गांवों के कुछ ही लोगों ने रोजा खोला बाकी ने नहीं खोला। गांव जहटाना के पूर्व सरपंच यूनुस का कहना है कि उनकी पत्नि ने भी रोजा खोल लिया बल्कि उनके आधे गांव के लोगो ने रोजा खोला बाकी ने नहीं खोला। वहीं गांव बादली के सरपंच जावेद ने बताया कि उनके गांव में केवल आठ-दस घर के लोगों ने ही रोजा खोला बाकी गांव ने नहीं खोला हैं। वहीं रहपुआ निवासी मोलवी फारूख का कहना है कि उनके गांव के भी लोगों ने रोजा खोला है जबकि गांव के सरंपच धूप खां का कहना है कि उनके गांव के किसी ने भी रोजा नहीं खोला। आपको बता दें कि करीब 30 साल पहले भी मेवात में ऐसे ही सुबेह करीब आठ-दस बजे रोजा खोला गया था। उस समय मेवात में लगातार तीन दिन तक ईद मनाई गई थी।
 
रोजा खोलने पर क्या कहते हैं उलेमा
 
हनफिया मसलक से ताल्लुक रखने वाले जमियत उलमा हिंद की नोर्थ जोन(हरियाणा, पंजाब, चंदीगढ और हिमाचल प्रदेश)के सदर मोलाना याहया करीमी का कहना है कि जिन लोगों ने रोजा खोला है अगर उनको चांद नजर आ गया है तो उन्होने रोजा खोलकर अच्छा काम किया है क्योंकि चांद नजर आने के बाद ईद के दिन रोजा रखना हराम है। मोलाना करीमी का कहना है कि अगर चांद के बारे में सुबेह 11 बजे से पहले पता चल जाऐ तो रोजा खोलकर ईद का नमाज अदा करें और अगर दोपहर के बाद पता चले तो रोजा खोल लें और दूसरे दिन ईद का नमाज अदा करें।

You cannot copy content of this page