भगवान श्रीराम और सीता माता के विवाह का वर्णन करते हुए प्रथम मिलन की चर्चा की
बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अनिल जैन, एमसएस बिट्टा समेत कई अतिथियों ने कथा सुनी
फरीदाबाद, 2 जून । सैक्टर-12 स्थित मानव रचना शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित रामकथा अब अंतिम पड़ाव की ओर है। श्रीराम कथा के आठवें दिन श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि अगर सत्य को धर्म कहे, तो दुनिया का कोई धर्म उसे गलत नहीं कह सकता। बापू ने कथा के दौरान अलग-अलग धर्मों के ग्रंथों में सत्य की महिमा का व्याख्यान किया। उन्होंने कहा जिस प्रकार दुनिया का कोई मजहब सत्य से इंकार नहीं कर सकता उसी प्रकार प्रेम से, करूणा से इंकार नहीं कर सकता। हमारे जीवन और इस विश्व में जितनी मात्रा में सत्य है, वह सतयुग है।
रामकथा का श्रवण पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद डॉ.अनिल जैन, उत्तर प्रदेश के मीरापुर से विधायक एवं फरीदाबाद के पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना, ऑल इंडिया एंटी टेरिरिस्ट फ्रंट के चेयरमैन एमएस बिट्टा, पूर्व मंत्री एसी चौधरी, पूर्व विधायक आनंद कौशिक, सेवानिवृत्त डीजीपी एसएन वशिष्ठ, पूर्व विधायक शारदा राठौर का मानव रचना शिक्षण संस्थान की संरक्षिका श्रीमती सत्या भल्ला, डा.प्रशांत भल्ला व डा. अमित भल्ला ने स्वागत किया।
मोरारी बापू ने पुष्प वाटिका और अशोक वाटिका का वर्णन किया। उन्होंने बताया जिसमें पुष्प ही पुष्प हैं, कोई फल नहीं, न ही किसी को फल की इच्छा, विभिन्न प्रकार के पक्षी हैं वह पुष्प वाटिका है। जहां फल ही फल हैं, खुशबू की अनुभूति नहीं है, फल का भोग है और जहां कोई पक्षी नहीं है, वह अशोक वाटिका है। बापू ने कहा आज की समस्या है चिंता। पति.पत्नी का युगधर्म जिससे छोटे घर में अपने आप को सतयुग का अनुभव हो। पहला धर्म हैए पति.पत्नी एक दूसरे को स्वतंत्रता दें, यह युगधर्म है। दूसरा धर्म हैए श्रवण करने से मन में संदेह होता है। एक दूसरे पर संदेह न करें। शंका की दृष्टि से एक दूसरे को न देखें, वहम न करें। तीसरा धर्म है, पति.पत्नी दोनों एक दूसरे का फोन चेक न करें, एक-दूसरे से कुछ न छुपाएं। चौथा धर्म है, स्वीकारिता रखो पत्नी कैसे भी स्वभाव की है, पति कैसे भी स्वभाव का हो उसे स्वीकार करें। पांचवां, पति.पत्नी में कोई मतभेद हो जाए तो रात्रिकाल में सोने से पहले सारे मनमुटाव भुला देना चाहिए। छठा, पति.पत्नी को एक संतान की प्राप्ति के बाद मैत्रीभाव से रहना चाहिए।
बापू ने आज की कथा में श्रीराम और सीता माता के विवाह का उल्लेख किया। उन्होंने बताया किस तरह सीता माता ने सर्वप्रथम श्रीराम के दर्शन किए थे। बापू ने कहा राम दर्शन कराने वाला गुरु होता है। फिर चाहे वो किसी भी रूप में आए। ऐसे गुरु को अपने आगे रखना चाहिए, गुरु सरल होता है, उसे जहां रखे रह जाता है।