प्लांट और मशीनरी की बजाय टर्न ओवर पर आधारित होगा एमएसएमई का आंकलन : श्रीवास्तव

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गुरुग्राम के आईएमटी मानेसर स्थित एचएसआईआईडीसी परिसर में शुरू हुई दो दिवसीय नेशनल वैंडर डिवेलपमेंट प्रोग्राम एवं औद्योगिक प्रदर्शनी।
– कार्यक्रम स्थल पर लगाए गए हैं 105 स्टॉल।
 
गुरुग्राम, 07 मार्च। भारत सरकार द्वारा माईक्रो, स्मॉल तथा मीडियम एंटरप्राईजिज की परिभाषा में बदलाव किया गया है। जहां पहले प्लांट और मशीनरी की कीमत की आधार पर इंडस्ट्री का आंकलन होता रहा है कि वह माईक्रो, स्मॉल या मीडियम इंडस्ट्री है, वहीं नए प्रावधानों में यह आंकलन इंडस्ट्री की टर्न ओवर के आधार पर होगा। इस नए प्रावधान को केंद्र सरकार की कैबिनेट द्वारा पारित किया जा चुका है और अब इसे संसद के वर्तमान सत्र में पारित किए जाने की उम्मीद है। 
इस संबंध में जानकारी आज भारत सरकार के माईक्रो, स्मॉल, मीडियम एन्टरप्राईजिज (एमएसएमई) के एडीशनल डिवेलपमेंट कमीशनर पीयूष श्रीवास्तव ने आज गुरुग्राम के आईएमटी मानेसर स्थित एचएचआईआईडीसी परिसर में एमएसएमई डिवेलपमेंट इस्टीट्यूट करनाल द्वारा आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर  की वैंडर डिवेलपमेंट प्रोग्राम एवं इंडस्ट्रीयल एग्जिबिशन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए दी। यह दो दिवसीय प्रोग्राम एवं प्रदर्शनी टैस्टिंग, कैलिब्रेशन, इस्टरूमेंटेशन तथा अलाईड प्रोडेक्टस के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में 80 से ज्यादा एमएसएमई तथा 20 से अधिक पीएसयू भाग ले रही हैं और विभिन्न ईकाइयों द्वारा प्रदर्शनी में 105 स्टॉल लगाए गए हैं। 
श्री श्रीवास्तव ने एमएसएमई क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा किए गए नए प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि 5 करोड़ रूपए तक की टर्न ओवर वाले उद्योगों को माईक्रो, 5 करोड़ रूपए से ऊपर  75 करोड़ रूपए के टर्न ओवर वाले उद्योग स्मॉल तथा 75 करोड़ से लेकर 250 करोड़ रूपए तक के टर्न ओवर वाले उद्योगों को मीडियम एंटरप्राईजिज की श्रेणी में रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले 25 लाख रूपए तक की प्लांट और मशीनरी वाले उद्योग को माईक्रो, 25 लाख रूपए से 5 करोड़ रूपए तक की मशीनरी वाले उद्योग को स्मॉल तथा 5 करोड़ रूपए से ऊपर 25 करोड़ रूपए तक की प्लांट मशीनरी वाले उद्योग को मीडियम उद्योग की श्रेणी में माना जाता था। उन्होंने बताया कि भारत के सिवाय पूरी दुनिया में टर्न ओवर के आधार पर ही इंडस्ट्री का आंकलन होता है और अब यही मापदण्ड यहां भी अपनाया जाएगा। 
इस मौके पर मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए श्री श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार द्वारा किए गए नए प्रावधानों से एक प्रकार से इस्पैक्टरी राज को खत्म करने का प्रयास किया गया है और नए प्रावधान लागू होने के बाद कोई भी इस्पैक्टर औद्योगिक ईकाई में जाकर यह नहीं देखेगा कि वह किस श्रेणी की ईकाई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा पीएसयू के लिए अनिवार्य किया गया है कि वह अपने कुल खरीद का 20 प्रतिशत भाग एमएसएमई से खरीदेगी और उसमें भी 4 प्रतिशत उत्पाद उन ईकाइयों से खरीदे जाएंगे जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित समूहों द्वारा चलाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की स्कीम शुरू करके इन्सैंटिव दिए जा रहे हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में श्री श्रीवास्तव ने बताया कि आमतौर पर एमएसएमई ईकाइयों के सामने पेमेंट डिले अर्थात् बड़े उद्योगों द्वारा उनसे लिए गए सामान की अदायगी में देरी की समस्या थी, जिसके लिए भारत सरकार ने ‘समाधान’ नाम से पोर्टल बनाया जिस पर पेमेंट डिले की शिकायत डाली जा सकती है और इस पोर्टल पर शिकायत डालते ही पीएसयू के डायरेक्टर के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय तक को चली जाएगी। यह प्रावधान करने के बाद बहुत सारी समस्याएं अपने आप ही खत्म हो गई हैं। 
उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित एमएसएमई के प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि वे अपने प्रोडैक्ट की क्वालिटि पर ध्यान दें और उसकी प्राईसिंग ठीक रखें। उन्होंने बताया कि भारत से होने वाले कुल निर्यात में एमएसएमई का योगदान 48 प्रतिशत  है और कृषि के बाद यह क्षेत्र सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है। श्री पीयूष श्रीवास्तव ने डिजाईन तथा जैडईडी स्कीमों का भी उल्लेख किया और कहा कि जैडईडी का मतलब है ‘जीरो डिफैक्ट, जीरो इफैक्ट’ अर्थात् प्रोडैक्ट में कोई डिफैक्ट ना हो तथा उसका पर्यावरण पर कोई दूष्प्रभाव ना हो। उन्होंने कहा कि जैड सर्टिफाईड प्रोडैक्ट को लेने वाले स्वयं आपके पास आएंगे क्योंकि उन्हें उसकी क्वालिटी के बारे में कुछ वैरिफाई करने की जरूरत नही है। उन्होंने आशा जताई कि यह दो दिवसीय प्रोग्राम एमएसएमई तथा बड़े उद्योगों व पीएसयू के बीच अच्छे संबंध बनाने में कारगर साबित होगा। 
इससे पहले नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री नई दिल्ली के डायरेक्टर डा. डी के असवाल ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर अपने विचार रखते हुए कैलिब्रेशन और ट्रेसेब्लिटी को मेजरमेंट की बैकबॉन बताया। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी के प्रोडैक्ट की क्वालिटी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए। गुरुग्राम के  जिला उद्योग केंद्र के संयुक्त निदेशक भागमल तक्षक ने हरियाणा एंटरप्राईजिज प्रोमोशन पॉलिसी का उल्लेख किया और बताया कि इसके तहत सभी पुरानी  व नई एमएसएमई को सरकार द्वारा इन्सैन्टिव दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ईज ऑफ डुईंग बिजनेस के तहत हरियाणा में द्बठ्ठ1द्गह्यह्लद्धड्डह्म्4ड्डठ्ठड्ड.द्बठ्ठ वैबसाईट पर 70 सर्विसिज ऑनलाईन प्राप्त की जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा में सरकार अब उद्योगों को कई प्रकार की सुविधाएं दे रही है। 
अपने स्वागत भाषण में एमएसएमई डिवलेपमेंट इंस्टीट्यूट करनाल के निदेशक मेजर सिंह ने बताया कि देश के आर्थिक विकास का सपना एमएसएमई के चहुंमुखी विकास में निहित है और इस दो दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सरकार के उपक्रमों के लिए अखिल भारतीय एमएसएमई उद्यमों में से नए वैंडर तलाशना है। कार्यक्रम को राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला नई दिल्ली के निदेशक श्री डी के अशवाल, क्वालिटी कांउसिल ऑफ इंडिया के सीईओ श्री अनिल रेलिया, एसोसिएशन ऑफ इंडियन लैबोरेट्रीज के चेयरमैन श्री डी एस तिवारी, गुरुग्राम डीआईसी के संयुक्त निदेशक भागमल तक्षक तथा एसोसिएशन ऑफ इंडियन लैबोरेट्रीज के जनरल सैक्रेट्री राजेश देशवाल ने भी संबोधित किया। 

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