विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा , बच्चे पर्यावरण सुरक्षा के दूत बनें
डॉ. हर्षवर्धन सैंकड़ों स्कूली बच्चों से बात कर रहे थे, जो उनके आवास पर इक्कट्ठा हुए थे। ये बच्चे भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति संबंधी एक लघु प्रदर्शनी देखने के लिए वहां आए थे। मंत्री पहले भी हजारों स्कूली बच्चों के साथ बातचीत कर चुके हैं, ताकि उनमें विज्ञान के प्रति रुझान पैदा किया जा सके। प्रदर्शनी में एयरोस्पेस, बायोटैक्नॉलोजी, नैनो टैक्नॉलोजी, हरित ऊर्जा, स्वास्थ्य संबंधी प्रौद्योगिकी इत्यादि क्षेत्रों में भारत की प्रगति की रूपरेखा पेश की गई है।
डॉ. हर्षवर्धन का मानना है कि बच्चे पर्यावरण सुरक्षा के दूत बनें। उन्होंने बच्चों को जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकास प्रयासों की आवश्यकता है, लेकिन जलवायु पर उसके दुस्प्रभावों को भी कम करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय अभियान की रूपरेखा तैयार की है, जिसके तहत ऐसी 500 सामान्य जीवनशैलियां हैं जिन्हें अपनाकर जलावायु परिवर्तन के खतरों के प्रति जागरुकता पैदा की जा सकती है। इस अभियान का नाम ‘ग्रीन गुड डीड्स’ है, जिसका बहुत प्रभाव पड़ा है। पिछले एक महीने के दौरान मंत्रालय ने विभिन्न स्कूलों के हजारों बच्चों को इस अभियान में शामिल होने का न्यौता दिया। सरकारी अधिकारियों, अध्यापकों, स्वयं सेवी संगठनों के अलावा दिल्ली की आम जनता ने भी इस अभियान को समर्थन दिया है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को ‘हरित स्वयंसेवी’ बनना होगा ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बेहतर पर्यावरण सौंप सके।
फसलों के अवशेष जलाने का उल्लेख करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इससे संबंधित सभी राज्यों को बता दिया गया है कि वे अगले मौसम तक पराली जलाने की गतिविधि पर सख्ती से काबू करें। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रयासों को समर्थन देने के लिए बजट में भी प्रावधान किया गया है। सरकार ने फैसला किया है कि अगले शीतकालीन मौसम में पराली जलाने की गतिविधि पर अंकुश लगाने के लिए मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी और उन मशीनों पर सब्सिडी दी जाएगी।