गुरुग्राम में हरियाणा रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) ने विधिवत् काम करना शुरू किया
अध्यक्ष डॉ० खण्डेलवाल सहित दो सदस्यों समीर कुमार व एस.सी. कुश ने भी कार्यभार संभाला
1 मई, 2017 को चल रहे रीयल एस्टेट प्रोजैक्ट भी रजिस्टर्ड करवाना जरूरी
हरेरा एक्ट में दण्ड के प्रावधान, प्रोजैक्ट की कीमत का 10 प्रतिशत जुर्माना
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
गुरुग्राम , 6 फरवरी : गुरुग्राम में आज से हरियाणा रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) ने विधिवत् रूप से काम करना शुरू कर दिया है . इसके पहले अध्यक्ष डॉ० के.के. खण्डेलवाल तथा दो सदस्यों समीर कुमार तथा एस.सी. कुश ने अपना कार्यभार संभाल लिया है।
कार्यभार संभालते ही डॉ० खण्डेलवाल ने अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में साफगोई से माना कि हरेरा के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिकायतों का 60 दिन में निपटारा करना और उपभोक्ताओं के विश्वास पर खरा उतरना है. हालाँकि समय सीमा का यह कानून बाध्यकारी नहीं बल्कि निर्देशी हैं लेकिन यह अथॉरिटी पूरी स्वायतता के साथ इस पर अमल करेगी। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि 1 मई, 2017 को चल रहे रीयल एस्टेट प्रोजैक्ट भी रजिस्टर्ड करवाने होंगे जबकि हरेरा एक्ट में दण्ड के भी सख्त प्रावधान किये गए हैं जिसमें प्रोजेक्ट की कीमत का अधिकतम 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है जबकि आपराधिक कृत्य के लिए सजा भी दिए जाने का अधिकार है.
डॉ० खण्डेलवाल ने बताया कि यह आथॉरिटी डिवलपर, एजेंट तथा खरीदार तीनों के हितों को संतुलित करेगी और सभी हितधारको के अधिकारों की रक्षा करेगी। उनके शब्दों में हरेरा लागू होने से रीयल एस्टेट की खरीद फरोक्त में पारदर्शिता आएगी और इससे लोगों का रीयल एस्टेट के कारोबार में विश्वास बढ़ेगा जिससे इस क्षेत्र की ग्रोथ होगी।
पारशियल कंप्लीशन वाले प्रोजैक्ट भी रजिस्टर करवाने होंगे
अपनी पहली प्रेस वार्ता में रजिस्ट्रेशन प्रावधानों की कुछ आशंकाओं को दूर करने की कोशिश में डॉ० खण्डेलवाल ने बताया कि हरेरा एक्ट लागू होने के समय अर्थात 1 मई, 2017 को जो रीयल एस्टेट के प्रोजैक्ट चल रहे थे और जिनको कंप्लीशन नहीं मिला था, उन सभी प्रोजैक्टों को 31 जुलाई 2017 तक हरेरा में रजिस्टर करवाना था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पारशियल कंप्लीशन वाले प्रोजैक्ट भी रजिस्टर होने चाहिए। उनके अनुसार हरेरा में केवल प्रोजैक्ट रजिस्टर किए जाएंगे ना कि बिल्डर और अथॉरिटी के अधिकार क्षेत्र में पडऩे वाले प्रोजैक्ट ही रजिस्टर किए जा सकते हैं। इसके विपरित हरेरा में प्रदेश में किसी भी जिला में रजिस्टर होने वाले एजेंट का रजिस्ट्रेशन पूरे हरियाणा में मान्य होगा।
निर्धारित फोरमेट में होनी चाहिए शिकायत
उन्होंने बताया कि हरेरा अथॉरिटी के समक्ष रखी जाने वाली शिकायत अपने आप में पूरी हो, उसमें सभी तथ्यों को सत्यता के साथ वर्णित किया गया हो तथा वह निर्धारित फोरमेट में होनी चाहिए। मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि जो शिकायतें फोरमेट के अनुसार नही होंगी उन्हें भी रिजैक्ट नही किया जाएगा बल्कि शिकायतकर्ताओं को सही फोरमेट में अपनी शिकायत देने का अवसर दिया जाएगा। इसके लिए शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर 6 लीगल एसिस्टेंट नियुक्त किये गए हैं। उन्होंने कहा कि इस अथॉरिटी का काम लोगों को न्याय दिलवाने के साथ-साथ जागरूक करना भी है। उन्होंने बताया कि किसी भी न्यायालय में विचाराधीन मामले पर हरेरा अथॉरिटी सुनवाई नहीं करेगी। शिकायतकर्ता यदि चाहें तो अपनी शिकायत को न्यायालय से अथॉरिटी के पास ट्रांसफर करवा सकते हैं। यहाँ शिकायत दर्ज करवाने वालों को अपने आवेदन के साथ यह हलफनामा देना होगा कि यह शिकायत किसी और कोर्ट में दर्ज या विचाराधीन नहीं है.
गुरुग्राम को चण्डीगढ़ में लगभग 200 शिकायतें मिली
उन्होंने बताया कि अब तक हरेरा गुरुग्राम को चण्डीगढ़ में लगभग 200 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि 254 नए प्रोजैक्ट तथा लगभग 800 निर्माणाधीन प्रोजैक्ट अभी तक अथॉरिटी में रजिस्टर हुए हैं। आज गुरुग्राम में कार्यालय खुलने के पहले दिन 3 ऐजेंटो ने अपने आपको रजिस्टर करवाने का आवेदन दिया है तथा अलाटियों से 2 शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं। डा. खण्डेलवाल ने कहा कि एक शिकायतकर्ता को निर्धारित फोरमेट में शिकायत की चार प्रतियां अथॉरिटी में देनी होंगी। साथ में एक शपथ पत्र भी देना होगा कि यह मामला किसी भी न्यायालय में लंबित नहीं है। उन्होंने बताया कि शिकायत प्राप्त होने के बाद दोनो पक्षों की सुनवाई के बाद ही 60 दिन में फैसला सुनाने के प्रयास किए जाएंगे।
अथॉरिटी के फैसले के खिलाफ ट्राईब्युनल में अपील
उन्होंने यह भी बताया कि अथॉरिटी के फैसले के खिलाफ ट्राईब्युनल में अपील की जा सकती है। हरियाणा में टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग के ट्राईब्युनल को ही अपलेट अथॉरिटी के तौर पर नोटिफाई कर दिया गया है। ट्राईब्युनल के फैसले से भी संतुष्ट नहीं होने पर कोई भी पक्ष उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि हरेरा एक्ट में दण्ड के प्रावधान किए गए हैं जिनके अनुसार एक बिल्डर पर अधिकतम प्रोजैक्ट की कीमत का 10 प्रतिशत जुर्माना अथवा पैनेल्टी लगाई जा सकती है। इसके अलावा, क्रिमिनल अर्थात् आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके लिए हरेरा अथॉरिटी में आने वाले समय में एक प्रोजिक्युशन विंग का भी गठन किया जाएगा।
डॉ० खण्डेलवाल के अनुसार पहले प्राप्त शिकायतों को भी निर्धारित फोरमेट में देने के लिए शिकायतकर्ताओं से आग्रह किया जाएगा और जो शिकायतें फोरमेट में होंगी उनकी जीरो डेट कल बुधवार 7 फरवरी को मानते हुए 60 दिन में उनका निपटारा किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही ऑनलाईन शिकायतें प्राप्त करने की व्यवस्था भी की जाएगी।
बिल्डर तथा अलाटी के लिए गलती करने पर एक जैसी सजा
उन्होंने बताया कि बिल्डर, ऐजेंट तथा अलाटी या बायर तीनों से ईमानदारी की अपेक्षा की जाती है और हरेरा एक्ट लागु होने के बाद बायर को बिल्डर अपने प्रोजैक्ट के बारे में सही जानकारी देगा तथा पहले की तरह झूठे वायदे नही कर सकता। इसी प्रकार, प्रोपर्टी डीलर अथवा ऐजेंट भी प्रोजैक्ट के बारे में सही विवरण देगा और बायर अथवा अलाटी भी समय पर अपनी किस्त की अदायगी करेगा। डा. खण्डेलवाल ने कहा कि अब बिल्डर तथा अलाटी के लिए गलती करने पर एक जैसी सजा अथवा दण्ड होगा। पहले की तरह यह नहीं होगा कि अलाटी गलती करे तो जुर्माना ज्यादा और बिल्डर गलती करें तो जुर्माना नाम मात्र का। उन्होंने कहा कि इससे यह लाभ होगा कि कोई भी व्यक्ति अलग-अलग रीयल एस्टेट प्रोजैक्ट की जानकारी हासिल कर फैसला ले पाएगा कि उसे कहां प्रॉपर्टी खरीदनी है।
डॉ खण्डेलवाल के अनुसार इसमें आपराधिक प्रकार की गलतियों के लिए अलग से न्यायिक अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे जबकि इस प्रकार के मामलों के निपटारे के लिए कोई निर्धारित समय सीमा नहीं होगी .ऐसे मामलों की सुनवाई सम्बंधित कानूनी प्रवधानों के अनुसार ही की जायेंगी.