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– गीता महोत्सव के दूसरे दिन गीता सार पर सेमिनार का आयोजन
– गुरुग्राम नगर निगम की मेयर मधु आजाद तथा जिला परिषद् चेयरमैन कल्याण सिंह चौहान ने की शिरकत
– गुरु द्रोण की पावन धरा पर गूंजे गीता के श्लोक
गुरुग्राम, 29 नवंबर। स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी जिला परिषद् हॉल परिसर में आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय गीता महोत्सव के दूसरे दिन आज गीता पर आधारित सेमीनार का आयोजन किया गया, जिसमें गुरुग्राम की नवनियुक्त मेयर मधु आजाद तथा जिला परिषद् के चेयरमैन कल्याण सिंह चौहान ने शिरकत की। इस अवसर पर उनके साथ सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला कबलाना,जिला परिषद् के वाइस चेयरमैन संजीव यादव भी उपस्थित थे।
सेमिनार का शुभारंभ श्री माता शीतला देवी मंदिर द्वारा संचालित श्रृंगेरी विद्यापीठ के विद्यार्थियो के स्वस्ति वाचन से किया गया। गुरुग्राम की मेयर तथा जिला परिषद् चेयरमैन ने दीप प्रज्जवलित कर सेमिनार का विधिवत् शुभारंभ किया।
इस अवसर पर जिला परिषद् के चेयरमैन कल्याण सिंह चौहान ने कहा कि गीता हमे जीवन जीने की कला सिखाती है और गीता में जीवन के प्रश्रों के उत्तर निहित हैं। उन्होंने कहा कि गीता का आलौकिक ज्ञान स्वयं भगवान कृष्ण ने पूरी मानवता को हरियाणा की धरती से दिया, जोकि हमारे लिए सौभाग्य की बात है। इस ज्ञान को पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा नई पहल करके अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि गीता महोत्सव का उद्द्ेश्य यह है कि हम गीता में दिए गए जीवन के सार के महत्व को समझते हुए उसे अपने जीवन में आत्मसात करें।
सेमिनार में राजकीय महाविद्यालय सैक्टर-14 के प्राध्यापक प्रो. लोकेश शर्मा ने ‘वर्तमान में गीता की उपयोगिता’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि गीता प्राचीन काल में जरूर लिखी गई थी लेकिन इसे पढऩे से ऐसा प्रतीत होता है कि यह वर्तमान की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिखी गई है। उन्होनें कहा कि भूतकाल में वर्तमान की नींव रखी गई थी और वर्तमान काल में भी लगता है कि गीता भविष्य में भी प्रासंगिक रहेगी अर्थात् यह ग्रंथ सभी युगों के लिए है। गीता में जीवन से जुड़े हर प्रश्र का उत्तर समाहित है जो हमारे जीवन को सरल बनाते हैं। गीता के 700 श्लोक हमें जीवन के रहस्य समझने का अवसर देते हैं।
इस्कॉन से प्रशांत मुकुंद दास ने गीता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि गीता हमे जीवन का प्रबंधन करने की कला सिखाने का सबसे बड़ा ग्रंथ है। गीता हमे स्वयं पर नियंत्रण करना सिखाती है कि हम किस प्रकार विषम से विषम परिस्थितियों में भी अपने क्रोध पर नियंत्रण रख सकते हैं तथा अपने स्वास्थ्य व स्वयं को किस प्रकार ठीक रख सकते हैं। इसके अलावा, गीता व्यक्ति को स्वयं की पहचान करवाती है और हमारा समय समय पर मार्गदर्शन करती है।
इस्कॉन संस्था के ही एक अन्य वक्ता रामेश्वर गिरधारी दास ने ‘भौतिक समस्याओं का आध्यात्मिक समाधान’ विषय पर अपने विचार रखे और कहा कि हम जीवन में जितने अधिक भौतिकवाद की ओर बढ़ रहे हैं, उतनी ही अधिक समस्याओं के चक्रव्यूह में फंसते जा रहे है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से शरीर और आत्मा के भेद को स्पष्ट किया और कहा कि जब तक व्यक्ति में ‘मैं और मेरा’ की भावना हावी रहेगी तब तक हमारे जीवन में समस्याएं निरंतर बनी रहेंगी। इन सभी चीजों से ऊपर उठकर हमें आध्यात्म की पहचान करने की आवश्यकता है जो हमारे ह्रदय को स्वच्छ करके सभी समस्याओं का स्थाई समाधान करेगा। अध्यात्मिक जीवन का अर्थ यह कदापि नही है कि हम अपनी सभी जिम्मेदारी से मुंह मोडक़र वैराग्य जीवन अपनाएं बल्कि आध्यात्म हमें पहले से अधिक जिम्मेदार बनाता है।
इसके अलावा, सेमिनार में ‘गिव’ नामक संस्था से अतुल्य निमई दास ने ‘संपूर्ण व्यक्तित्व हेतु गीता’ विषय पर अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा कि हमारा जीवन दो पहलुओ पर चलता है- एक मैटिरियल तथा दूसरा स्पीरिचुअल। हम अपने व्यक्तित्व को मैटिरियल के अनुरूप तो विकसित कर लेते है लेकिन स्पीरिचुअल यानि आध्यात्म से नही जोड़ पाते जिसके बिना हमारा व्यक्तित्व अधूरा रह जाता है। जब किसी व्यक्ति का आध्यात्मिक व्यक्तित्व विकसित नही हो पाता तो वह मानसिक रूप से दुर्बल हो जाता है और कई बार आत्महत्या जैसे अपराध भी कर बैठता है। आध्यात्म हमारे भीतर विषम परिस्थितियों से लडऩे की कला विकसित करता है , यही ज्ञान हमे गीता से मिलता है। गीता हमारे भीतर आध्यात्मिक व्यक्तित्व को प्रबल करती है।
एक अन्य वक्ता अवतारी कृष्ण दास ने कहा कि गीता का आज की युवा पीढ़ी के जीवन में विशेष महत्व है। उन्होंने गीता के महत्व को योग से जोड़ते हुए विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से ‘गीता फॉर यूथ’ का सुंदर चित्रण किया। इसके अलावा, वक्ता सर्वज्ञ कृष्ण दास ने ‘गीता फार लाइफ मैनेजमेंट’ , अमोघ लीला दास ने ‘गीता प्रबंध सूत्र’, गिव गीता से अवतारी प्रभु ने ‘युवा पीढ़ी के संदर्भ में गीता’, जिओ गीता से डा. राजेश्वर ठाकरान ने ‘जीवन के लिए गीता सार’ व लाकेश नारंग ने ‘भगवद् गीता में चिंतन प्रक्रिया के तीन आयाम’, इस्कॉन के मधुमंगलदास ने ‘गीता से नारी सशक्तिकरण’, इस्कॉन से श्री रामेश्वर गिरधारी ने ‘वस्तुगत समस्याओं का स्थाई समाधान’ आदि विषयों पर अपने विचार रखे।
सेमिनार में आने से पहले मेयर तथा जिला परिषद् चेयरमैन ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने प्रत्येक स्टॉल पर रूककर जानकारी हासिल की। कृपाल सेवा समिति द्वारा इलैक्ट्रोपैथी से इलाज की प्रदर्शनी तथा आयुष विभाग द्वारा प्राकृतिक तरीकों से बिमारियों के इलाज संबंधी स्टॉलों में उन्होंने विशेष रूचि दिखाई।
इसके अलावा, राष्ट्रीय युवा गायक नुसरत अली खान ने सेमिनार मे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ थीम पर अपनी प्रस्तुति दी जिसके बोल थे- ‘तुम्हे बेटी को जरूर पढ़ाना सै, बेटी जड़ संसार है, इसे बचाना सै’। इस प्रस्तुति को उपस्थित दर्शकों ने खुब सराहा और दिल खोलकर तालियां बजाई। इसके साथ ही उन्होंने राधा-कृष्ण की रासलीला पर आधारित गीत गाया जिसके बोल थे- ‘तेरी मेरी कट्टी हो जाएगी’। कार्यक्रम में कृष्ण-सुदामा की दोस्ती पर भी प्रस्तुति दी गई जिसके बोल थे-‘ऐ मेरे श्याम लोट के आजा, बिन तेरे जिंदगी अधूरी है। ’
इस अवसर पर नगराधीश मनीषा शर्मा,