रेरा से पूर्व कुछ लोगों ने आम लोगों का घर का सपना चकनाचूर कर दिया
नई दिल्ली : आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप एस. पुरी ने कहा है कि रियल एस्टेट कानून एक पथ प्रदर्शक कानून है. इससे आने वाले समय में कायापलट होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक ऐसा तंत्र बनाया है जिसमें रियल एस्टेट क्षेत्र का उचित तरीके से संचालन और खरीददार को मजबूत बनाना सुनिश्चित किया जा रहा है। ‘मुझे इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि भारत में रियल एस्टेट का इतिहास दो खंडों में देखा जाएगा, रेरा से पूर्व और रेरा के बाद। रेरा से पूर्व के चरण का वर्णन अनेक लोगों के घर का सपना और महत्वाकांक्षा के रूप में किया जा सकता है जिस सपने को कुछ लोगों ने थोड़े से समय में चकनाचूर कर दिया। हम अभी उस चरण से नहीं निकले हैं। शहरी क्षेत्र में मकानों की कमी एक करोड़ इकाइयों के आस-पास अथवा इससे अधिक हो सकती है जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के जरिए दूर किया जाएगा।
श्री पुरी ‘नीति, सुधार और नियंत्रणः भारतीय रियल एस्टेट की रीढ़’ विषय पर आरआईसीएस रियल एस्टेट सम्मेलन को आज यहां संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि धनराशि का अभाव मकान लेने में एक समस्या है। आवासीय क्षेत्र में बहुत कम पारदर्शिता है। झूठे वादे, अपूर्ण आवासीय परियोजनाएं उन अभागे नागरिकों की अनकही विपत्तियों को दर्शाती है जिन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी मकान खरीदने में लगा दी है। हम अभी भी उन थोड़े से लोगों के सफाये की प्रक्रिया के आखिरी चरण में है जिनकी चूक के कारण अनेक ऐसे डेवलपरों की छवि धूमिल हुई है जो अपना क्रय-विक्रय सही तरीके से कर रहे हैं।
2011 में कराए गए एक तकनीकी अध्ययन का जिक्र करते हुए जिसमें शहरी इलाकों में 18.76 मिलियन मकानों की कमी की जानकारी दी गई थी, जिसमें 96 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस खंड और एलआईजी हाउसिंग में थी. उनके अनुसार इसके बाद किए गए आकलनों में इस आंकड़े में संशोधन हुआ है और इसका अंतिम विश्लेषण किया जा रहा है. मकानों की कमी एक करोड़ इकाइयों के आस-पास अथवा इससे अधिक हो सकती है जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के जरिए दूर किया जाएगा।
श्री पुरी ने कहा कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस), कम आय वाले समूह (एलआईजी) और मध्यम आय वाले समूह (एमआईजी) के लोगों के लिए आवास उपलब्ध कराना है। ‘हमने निजी भागीदारी के जरिए आवास को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न पीपीपी मॉडल जारी किए है। इस योजना की विशेषता है कि सरकार भूमि उपलब्ध कराएगी और प्रत्येक एलॉटी को सब्सिडी प्रदान करेगी और शेष धनराशि बैंकों से आसान शर्तों पर लेने में सहायता करेगी। आवास महिला के नाम पर अथवा परिवार के पुरुष सदस्य के साथ संयुक्त रूप से होगा। इससे महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने में मदद मिलेगी। इसमें एक रसोई और शौचालय होगा तथा बालिका की सुरक्षा की व्यवस्था होगी।’
आवासीय क्षेत्र के महत्व पर जोर देते हुए श्री पुरी ने कहा कि आवास और देश में बुनियादी ढांचे की मांग को पूरा करने में यह उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है और कृषि के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है जिसमें देश में 6.86 प्रतिशत कामगारों को रोजगार मिला हुआ है।