दूसरी सूची भी होगी जल्द जारी
लखनऊ : मीडिया की खबरों के अनुसार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देश के 14 फर्जी बाबाओं की सूची जारी कर धार्मिक क्षेत्र में एक नई परम्परा शुरू की है. खबर में दावा किया गया है कि अखाड़ा परिषद ने इलाहाबाद में अपनी कार्यकारिणी की बैठक में इन फर्जी बाबाओं की सूचि जारी की . इसमें आसाराम उर्फ आशुमल शिरमानी, सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां, सचिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता, गुरमीत राम रहीम, डेरा सच्चा सिरसा, ओम बाबा उर्फ विवेकानंद झा, निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह, इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी, स्वामी असीमानंद, ऊं नम: शिवाय बाबा, नारायण साईं, रामपाल, खुशी मुनि, बृहस्पति गिरि और मलकान गिरि समेत कुल 14 कथित बाबाओं के नाम शामिल किए गए हैं.
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद देश के सभी 13 अखाड़ा का संयुक्त प्लेटफार्म हैं, जिससे लाखों की संख्या में साधु-संत जुड़े हैं. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने मिडिया से बातचीत में कहा है कि पिछले कुछ वर्षों से फर्जी बाबाओं के द्वारा बलात्कार, शोषण और देश की भोली-भाली जनता को ठगने की खबरें आ रहीं हैं. इनमें से कई बाबाओं के खिलाफ देश की अदालतें भी फैसला दे चुकी हैं. इससे हिंदू धर्म और संत समाज की बदनामी हो रही है. इसलिए परिषद ने फर्जी बाबाओं की सूचि जारी करने का फैसला किया है जिससे आम जनता इनकी चपेट में नहीं आये.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने मिडिया को बताया है कि अखाड़ा परिषद अब इस कोशिश में जुटा है कि 2019 में होने वाले अगले अर्धकुंभ में फर्जी बाबाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए.
खबर में यह दावा किया गया है कि अखाड़ा परिषद की इस पहल को लेकर आसाराम के कथित समर्थकों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी है. गौरतलब है कि अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी में सभी अखाड़ों के दो-दो सदस्य शामिल हैं. कार्यकारिणी के सभी 26 सदस्य मिलकर फर्जी बाबाओं की सूची तैयार करेंगे जिसकी पहली सूची परिषद की आज की इलाहाबाद में हो रही बैठक में जारी की जाएगी. कहा जा रहा है कि लगातार कई सूचियां आएंगी. अखाड़ों का मानना है कि 7 अखाड़ों की स्थापना आदि-शंकराचार्य के द्वारा की गई थी. जिनमें महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अटल, आवाह्ऩ, अग्नि और आनंद अखाड़ा शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि मुगल काल और ब्रिटिश शासन काल के दौरान भी अखाड़े समय-समय पर अर्धकुंभ और कुंभ के दौरान इकट्ठा होकर हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए नीति निर्देशक के रूप में काम करते रहे हैं. अखाड़ों और नागा साधुओं का शाही स्नान विशेष आकर्षण का केंद्र होता है. करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु इस दौरान इनसे मिलने आते हैं.