महिला सुरक्षा के लिए गुरुग्राम आईकन बने : महापात्रा

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आईएमटी मानेसर में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडऩ निषेध विषय पर कार्यशाला

 
गुरुग्राम, 17 अगस्त। गुरुग्राम के आईएमटी मानेसर में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडऩ (निवारण, प्रतिषेध तथा प्रतितोष) अधिनियम-2013 पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के महापात्रा थे.  श्री महापात्रा ने कहा कि यदि किसी संस्थान में महिला यौन उत्पीडऩ की शिकायतों की सुनवाई करने के लिए आंतरिक शिकायत समिति नहीं होगी तो ऐसे मामलों में शिकायत सीधी जिला स्तर पर बनी स्थानीय शिकायत समिति में आएगी। 
 
आज की इस कार्यशाला में आईएमटी मानेसर स्थित विभिन्न कंपनियों के मानव संसाधन संभागों के प्रतिनिधियों तथा उनमे गठित आंतरिक शिकायत समितियों के सदस्यों ने भाग लिया। यह कार्यशाला एचएसआईआईडीसी के ऑडिटोरियम में आयोजित की गई थी। कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक श्रीमति रेनू फुलिया भी चण्डीगढ से विशेष रूप से पहुंची थी। 
 
कार्यशाला में श्री महापात्रा ने कहा कि लोग आमतौर पर अच्छे होते हैं, बहुत कम लोग ही खराब पाए जाते हैं। यदि सभी संस्थान अथवा कंपनियां अपने यहां इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन करवाएंगे तो वे खराब व्यक्ति कोई भी गलत काम अथवा महिलाओं से बदसुलुकी या छेड़छाड़ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला महिलाओं को भी उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने में सहायक होगी। उन्होंने कंपनियों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे इस कानून की वजह से यह भावना ना बनाए कि महिलाओं को नौकरी ही ना दी जाए बल्कि अपने कार्यालयों में यह संदेश दें कि सभी कर्मचारियों को काम करने के लिए रखा गया है, इसलिए वे निष्ठा से काम करें। इससे कंपनी की साख बढ़ेगी और उत्पादन भी अच्छा रहेगा। 
 
उन्होंने कहा कि गुरुग्राम हरियाणा का आईकन है और देश-विदेश में इस शहर की ख्याति है। इसलिए आईएमटी मानेसर से एक संदेश पूरे देश में जाए कि यहां कि औद्योगिक एसोसिएशनों ने संकल्प लिया है कि उनके यहां महिलाओं को पूरा सम्मान दिया जाता है तथा यह क्षेत्र कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडऩ से मुक्त है। इससे पूरे देश में इस क्षेत्र का नाम होगा। श्री महापात्रा ने कहा कि जो व्यवहार हम अपने घर में अपनी पत्नी या बेटियों के साथ नहीं होने देना चाहते, वैसा अन्य महिलाओं के साथ क्यों किया जाए। यह भावना जब हर व्यक्ति में होगी तो इस कानून की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमें गुरुग्राम और हरियाणा को महिलाओं के लिए एक सुरक्षित जगह बनाना है, इसके लिए सभी संकल्प लें। 
 
 
इससे पहले महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक श्रीमति रेनू फुलिया ने कंपनियों के प्रतिनिधियों से कहा कि कार्यस्थल पर अपनी इज्जत का स्वयं ध्यान रखें और सभी कर्मचारियों को सद्भावपूर्ण वातावरण में काम करना सिखाएं जिसमें सभी एक-दूसरे का सम्मान करते हों। उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए बताया कि इस अधिनियम के तहत स्थानीय शिकायत समिति का अध्यक्ष पुरूष नही हो सकता। महिला को अध्यक्ष बनाने का विशेष महत्त्व है। उन्होंने बताया कि हर कंपनी तथा संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति का होना जरूरी है जो साल में अपने रिपोर्ट अतिरिक्त उपायुक्त एवं जिला अधिकारी को देगी। उन्होंने यह भी बताया कि गुरुग्राम में स्थानीय शिकायत समिति का  गठन होने के बाद लगभग 3 हजार वार्षिक रिपोर्ट आई हैं अर्थात् 3 हजार कंपनियां इसके साथ जुड़ गई हैं .
 
स्थानीय शिकायत समिति की अध्यक्ष अनुराधा शर्मा ने कहा कि इस कानून का मूल आधार यह है कि ऐसी कोई बात या प्रक्रिया जिसको कोई महिला स्वीकार नहीं करती है, वो यौन उत्पीडऩ की श्रेणी में आता है। उन्होंने यह भी कहा कि अपराध का संबंध व्यक्ति की मानसिक प्रवृत्ति और वातावरण पर निर्भर करता है। समिति की सदस्य डा. सुरभि धींगड़ा ने विस्तार से इस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के बारे में समझाया और श्रोताओं की तरफ से पूछे गए सवालों का जवाब दिया। अतिरिक्त उपायुक्त एवं जिला अधिकारी प्रदीप दहिया ने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य सभी संबंधित पक्षों को इस कानून के बारे में अवगत करवाना तथा महिला सम्मान के प्रति संवेदनशील बनाना था। कार्यशाला में मानेसर की तहसीलदार नीतू धनखड़, समेकित बाल विकास सेवाएं की जिला परियोजना अधिकारी सुनीता शर्मा भी उपस्थित थे।

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