गांव सोंख के सरकारी स्कूल में डीईएफ व एबीएस फाउंडेशन का जश्न-ए- आज़ादी पर शानदार प्रोग्राम

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‘स्व-तंत्र’ का मतलब है हम पर हमारा ही शासन : सीजेएम 

यूनुस अलवी

 
गांव सोंख के सरकारी स्कूल में डीईएफ व एबीएस फाउंडेशन का जश्न-ए- आज़ादी पर शानदार प्रोग्राम 2मेवात:   नरेंदर सिंह, चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट कम सचिव जिला विधिक सेवाए प्राधिकरण नुह ने आज जश्न-ए-आज़ादी के मोके पर आज़ादी के बारे में विस्तार से बताया की आज़ादी एक ऐसा शब्द है जो हममें सुकून, शांति , स्थिरता व सुरक्षा की भावना जाग्रत करता है। आज़ादी की बात करते हुए हम अक्सर मुल्क और हुकमरानों से इसका हिसाब माँगते हैं, पर प्रश्न यह उठता है कि क्या आज़ादी कोई बाहर से थोपी जाने वाली चीज़ है। जिसे आप जबरन किसी से ले ही लेंगे? मानते तो हम यही हैं पर असलियत में यह हमारे भीतर से ही आती है।
‘स्व-तंत्र’ का मतलब है हम पर हमारा ही शासन.’इन-डिपेंडेंस’ का भी मतलब है निर्भरता से मुक्ति. एक व्यक्ति के तौर पर हमारा खुद पर नियंत्रण हो और हम दूसरों के मोहताज न हों, तो यही स्वतंत्रता है, आज़ादी है. आज़ादी का सीधा तात्पर्य है हमारी ज़िंदगी से जुड़े सभी निर्णय लेने और विकल्प चुनने की पूरी आज़ादी . बाहर की दुनिया भांति-भांति के लोगों के संगम से बनी है. अलग-अलग लोग और आज़ादी को लेकर सबकी अलग-अलग धारणायें व सोच है,  हर कोई अपने ढंग से आज़ादी की व्याख्या करता है। 
 
सद्दीक अहमद मेव इतिहासकार मेवात ने कहा कि हमारा देश आजाद हुआ 15 अगस्त 1947 को, जरा याद करिये उन लम्हों को जब इस देश की आम-अवाम ने आजादी की पहली साँस ली होगी। कैसा सुंदर कितना मनोरम रहा होगा खुली हवा में अपने अरमानों के पंख फ़ैलाने का सुखद एहसास, हर तरफ बस आजादी का जयघोष होगा। न जाने कितने बरसों से ब्रिटिश सल्तनत की गुलामी को झेलते हुये आजादी का जो सपना हम देख रहे थे उसका अचानक सच हो जाना कितना आह्लादित कर देने वाला होगा। हमें अपने अनुसार सपने देखने की एवं सपनों का संसार रचने को हम पूर्णतया सवतंत्र हो चुके थे 7 हम गुलामी के जंजीरों से मुक्त हो चुके थे। अब हम देश का70वें साल का स्वतन्त्रता दिवस मनाने जा रहा है।
 
दीन मोहम्मद मामलिका ने कहा की शिक्षा से ही मेवात में बदलाव लाया जा सकता है जो मेवात के लिए जरुरी है तभी लोग सही मायने में शिक्षा के मायने  समझ पाएंगे 7 आज का मेवात बदलाव का मेवात है मेवात के सामाजिक संगठन इस पर लगातार काम कर रहे है 
मो. आरिफ टाई डिजिटल एम्पावरमेंट फाउंडेशन ने कहा की आज आज़ादी के इतने वर्षों के बाद भी लोगों की सोच, स्थितियों में ज्यादा सुधार नहीं आया. विकृ्त , संकीर्ण मानसिकता का अंत हो चुका है  7 यह कहना स्वंय को धोखा देना होगा. हमारे आधुनिक समाज में, हमारे आज़ाद भारत में आज भी जेंडर डिसक्रिमिनेशन, बाल शोषण, सेक्शुअल हैरसमेंट, मॉलेसटेशन,भ्रष्टाचार, महंगाई, अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, बलात्कार, दहेज हत्या, अंधविश्वास, आतंकवाद, पर्यावरण समस्याऎं,कन्या भ्रूण हत्या, आनर किलिंग आदि परेशानियाँ विद्यमान हैं. और आज़ाद होने के बावजूद हम हमारे समाज को निरंतर खोखला करने वाले इन मुद्दों के खिलाफ कुछ नहीं कर पा रहे हैं ,बस मूक दर्शक बने बैठे हैं. कारण वही है कि हम सोचते हैं कि हमारी आज़ादी हमें कोई और देगा …हमारी आज़ादी की चाभी किसी और के पास है. कभी एक दिन ऐसा आएगा जब इन परेशानियों से हमारा समाज मुक्त होगा , आज़ाद हो जाएगा….. पर प्रश्न यह है कि आखिर वो दिन कब आएगा? इसका उत्तर साफ है….निसंदेह तब तक तो बिल्कुल नहीं जब तक हर व्यक्ति आज़ादी के सही मायनों को समझे, समाज की बंदिशों से , विकारों से मुक्त होने का स्वत: प्रयास नहीं करेगा.
 
एक इंसान के तौर पर हमें हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत होना चाहिये. व्यवस्था को तो बहुत कोस लिया हमने , अब वक्त है कि जागरुक होकर हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें .
 
 
नवीन लाठर एबीएस फाउंडेशन ने कहा कि इसके अलावा जब बात आज़ादी कि हो रही है तो कुछ बातों को समझना बहुत जरुरी हो जाता है. … स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में बहुत अंतर होता है 7 आज़ाद होकर किसी कार्य को अंजाम देने पर हमें अधिकार प्राप्त होता है इसके विपरीत स्वच्छंदता से कार्य करने पर हमसे अधिकार छीन लिया जाता है 7 स्वतंत्रता का आधार नियम व अनुशासन में रहना है 7 आत्म अनुशासन का पालन करते हुए खुद अपनी स्वतंत्रता की सीमाएं निर्धारित करें, तभी व्यक्ति के साथ देश व समाज का भी विकास संभव होगा. 
याद रखिये,
 
                  “सुधारेंगे खुद को तो सुधरेगा तंत्र,
                      देश में बदलाव का बस यही है मंत्र.”
 
इस मोके पर जिला सलाहकार पब्लिक हेल्थ , नरेंदर भरद्वाजने कहा की देश में आज़ादी आपके विचारो पर निर्भर करता है 7
इन अहम मुद्दों के अलावा आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उस नामचीन शख्सियत की यदि बात नहीं की तो खुद से बेईमानी करने जैसा होगा 7 मैं बात कर रहा हूँ सिनेमा जगत के मशहूर सितारे  हमारे भरत कुमार,श्री मनोज कुमार जी की. फिल्म ‘शहीद’ में मनोज कुमार ने जिस शिद्दत से भगत सिंह के किरदार को जीवंत किया , उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता. 1967 में आई फिल्म ‘उपकार’ में उन्होंने हमारे देश के जवानों व किसानों के संघर्षों को दर्शाया जिसका गीत ‘ मेरे देश की धरती सोना उगले.उगले हीरे मोती’ आज भी हमारे देश की गौरवशाली खूबियों व संस्कृ्ति की याद दिलाती है. मनोज कुमार ने सिल्वर स्क्रीन के जरिये  हमारे देश के गौरवशाली इतिहास व आज़ादी की लड़ाई में क्रांतिकारियों व जवानों की भूमिका व बलिदान को जन-जन तक पहुंचाया है ….. वे सही मायनों में भरत कुमार हैं 7 इस मास्टर हामिद ने कहा की हमने गाँव के इस सोंख स्कूल में ऐसाबदलाव किया है जो मेवात ही नहीं हरियाणा में ही अनोखा है यहाँ की सुन्दरता, सिक्षा सब अनोखा है सभी इस पर लगन के साथ काम कर रहे है  व् अन्य सभी गणमान्य अध्यापक व् अध्यापिकाएव् सामुदायिक सुचना संसाधन केंदर टाईसे साबिर हुसैन मोजूद थे7

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