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आवारा पशुओं पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटा जिला प्रशासन
पहली बार पशु पकड़े जाने पर 2100 रूपए जुर्माना
दूसरी बार पकड़े जाने पर 5100 रूपए भरना होगा जुर्माना
गुरुग्राम, 12 मई। जिला प्रशासन ने ऐसे पशुपालको को चेतावनी दी है जो दूध निकालकर अपने पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं। ऐसे पशुपालको को चतावनी दी गई है कि पहली बार पशु पकड़े जाने पर 2100 रूपए जुर्माना होगा और दूसरी बार पकड़े जाने पर 5100 रूपए जुर्माना तथा तीसरी बार यदि पशु आवारा घूमता हुआ पकड़ा गया तो उस पशु पालक के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।
यह निर्णय आज उपायुक्त हरदीप सिंह की अध्यक्षता में लघु सचिवालय में आयोजित पशुओं के विरूद्ध क्रुरता रोकने के लिए गठित समिति की बैठक में लिया गया।
उपायुक्त ने कहा कि गुरुग्राम जिला की सडक़ों को जुलाई माह के अंत तक आवारा पशुओं से मुक्त करवाने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में सभी विभागोंं को मिलकर कार्य करना है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर सडक़ों पर आवारा पशु के रूप में गाय या नंदी नजर आते हैं। जो गाय अपाहिज है या बिमार है अर्थात् वो पशुपालक के काम की नही रही, ऐसी गायों को जिला की विभिन्न गऊशालाओं में जगह की उपलब्धता के अनुसार भेजा जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी गायों के लिए कुछ गावों के समूहों के बीच एक गांव, जिसकी पंचायत के पास चरागाह की जमीन उपलब्ध है, में गऊ अभ्यारण्य बनाकर रखा जाएगा। वहां पर उन गायों के लिए छांव तथा पीने के पानी व चारे की व्यवस्था भी की जाएगी।
आज की बैठक में निर्णय लिया गया कि गुरुग्राम जिला के अलग-अलग उपमण्डलों में चरणबद्ध तरीके से अभियान चलाकर उपमण्डलों को आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाई जाएगी। पहला चरण 15 से 21 मई के बीच सोहना उपमण्डल में चलाया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र में निगम की टीमें पहले ही आवारों पशुओं को पकडऩे का कार्य करने में लगी हुई हैं। इसी तर्ज पर सोहना उपमण्डल में आवारा पशु पकडऩे के लिए टीम बनाई जाएगी जिसमें नगरपालिका के कर्मचारी तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। इसी प्रकार की टीमें जिला के अन्य उपमण्डलों मे भी बनाई जाएगी।
उपायुक्त ने कहा कि आवारा गायों को पकडऩे के बाद उनका टीकाकरण, पेट के कीड़े मारने की दवा देना तथा अन्य ईलाज करना पशुपालन विभाग का दायित्त्व है। उन्होंने अन्य विभागों को भी जिम्मेदारियों सौंपी और कहा कि गऊ अभ्यारण्य बनाने के लिए जगह की पहचान जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय द्वारा की जाएगी और किसानों से गायों के लिए चारा अर्थात् तूड़ा दान करवाने की पहल कृषि विभाग करेगा। उन्होंने जिला के किसानों से भी अपील की कि वे गऊ संवर्धन के लिए उदारता से तूड़ा दान करें और इच्छुक किसान अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारियों से संपर्क साधे।
गुरुग्राम पुलिस की तरफ से बताया गया कि जिला में एक गऊ संरक्षण सैल बनाया हुआ है जिसमें सहायक उप निरीक्षक तथा 7 सिपाहियों की एक टीम काम कर रही है। जहां भी गऊओं के संरक्षण की बात आती है यह टीम वहां पहुंच जाती है।
बैठक में सिलानी गांव के सरपंच ओम प्रकाश ने कहा कि उनकी पंचायत गायों के लिए जगह उपलब्ध करवाने को तैयार है और ग्राम पंचायत की लगभग 13 करोड़ रूपए की जमा राशि का ब्याज गऊओं के लिए देने की अनुमति मिल जाए तो पंचायत वह राशि भी देने को तैयार है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भी सिलानी गऊशाला में 500 और गाय वे लेने को तैयार हैं। इसी प्रकार दौलताबाद गऊशाला के प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि नगर निगम के सहयोग से उनकी गऊशाला मे एक शैड और बनवा दिया जाए तो लगभग 150 गाय रखने की क्षमता बढ़ सकती है। मानेसर गऊशाला में भी अतिरिक्त गऊओं के लिए जगह की उपलब्धता के बारे में बताया गया।
उपायुक्त ने कहा कि विभिन्न कंपनियां भी सीएसआर के तहत गायों के रखरखाव तथा चारे आदि के लिए काम कर सकती हैं।
बैठक में गुरुग्राम उत्तरी के एसडीएम भारत भूषण गोगिया, गुरुग्राम दक्षिणी के एसडीएम सतीश यादव, पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डा. पुनिता, मुख्यमंत्री की सुशासन सहयोगी सुरेखा यादव, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी दीपक कुमार यादव, वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. इकबाल दहिया, जिला रैडक्रॉस सोसायटी के सचिव श्याम सुंदर शर्मा सहित समिति के अन्य सदस्यगण तथा गऊशालाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।