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: अब्बू दस रूपये दे दो मैं चीज लेकर आता हॅूं। उसके बाद इरशाद आज तक घर वापस नहीं लौटा
: गांव के ही एक दबंग आदमी की लडकी से प्रेम करता था इरशाद
: किसी को मजदूरी ना देनी पड़े इसलिये इरशाद को ट्रक पर जाने से रोक लिया था
: राजनीतिक दवाब के चलते 9 महिने में पुलिस ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया
: पुलिस से भरोसा उठ गया है बस अब तो अदालत पर ही विश्वास रह गया है
यूनुस अलवी
मेवात: अगर मेरे पास जेक (राजनेतिक पहुंच), पैसा होता तो शायद बेटे के हत्यारे अब तक जेल कि सलाखों के पीछे होते। मेवात पुलिस 9 महिने में बेटे के दस में से एक भी हत्यारे को पकड नहीं सकी है। पुलिस से तो विश्वास उठ चुका है, बस अब तो अदालत ही उसका एक सहारा रह गई है। वही उसे इंसाफ दिला सकती है। ये कहना है कि गांव मालब निवासी पीडित शेरखां का। शेरखां के 16 साल के बेटे इरशाद कि करीब 9 महिने पहले दिनांक 4 जुलाई 2016 को प्रेम प्रसंग के चलते गांव के ही कुछ दबंगों ने निर्मम हत्या कर उसके शव को जंगल में फैंक दिया था।
गांव मालब निवासी शेरखां ने बताया कि वह गरीब आदमी है मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट भरता है। उसके तीन लडके और दो लडकियां हैं जिनमें से सबसे बडा बेटा इरशाद था। गरीबी के चलते वह इरशाद को पढा नहीं सका और ट्रक ड्राईवरी सिखाने के लिये उसे गांव के ही ट्रक चालकों के साथ भेज देता था। बच्चों का सिर छुपाने के लिये एक घर बना रहा था। किसी को मजदूरी ना देनी पडी इसलिये इरशाद को ट्रक पर जाने से रोक लिया था। घर बनाने के लिये 600 रूपये रोज के लिये एक राजमिस्त्री रख लिया, वह उसकी पत्नि और बेटा इरशाद मिस्ट्री का र्इंट्र मसाला पकडाने का काम करते। इसी तरह घर आधा बन चुका था।
शेरखां ने बताया कि 3 जुलाई 2016 कि बात है। शाम करीब साडे पांच बजे मिस्त्री काम छोड अपने घर चला गया था, बीवी खाना बनाने में जुट गई थी और इरशाद ने कहा अब्बू दस रूपये दे दो मैं चीज लेकर आता हॅूं। उसके बाद इरशाद आज तक घर वापिस नहीं लोटा।
पीडित ने बताया कि उस रात को इरशाद घर नहीं आया तो उसने समझा कि वह किसी ड्राईवर के घर सो गया होगा इस लिये उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। चार जुलाई को करीब 10 बजे गांव में शोर मचा कि एक लडके कि हत्या कर गांव में जंगल में फैंक रखा है, पर उसकी पहचान नहीं हो पा रही है। शेरखां के अनुसार एक तो उसको शक नहीं था कि कोई उसके बेटे कि ऐसे हत्या कर सकता है क्योंकि उसकी गांव में किसी से कोई रंजिश भी नहीं थी। दूसरे घर के काम पर राज मिस्त्री लगा हुआ था, अगर वह काम को छोड कर जाता तो फिजूल में राज मिस्त्री के 600 रूपये देने पडते। ये सोचकर वह जंगल में शव को देखने नहीं गया। वैसे उसके पडौसी देखने गये थे। पडौसियों ने बताया थ कि किसी बहार के नोजवान लडके को कोई मारकर उनके गांव जंगल में फैंककर चला गया है। इसलिये भी वह उसे देखने के लिये नहीं गया।
नूंह पुलिस ने शव को अज्ञात मानते हुऐ गांव के चौकीदार कि शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर शव कि पहचान के लिये नूंह अस्पताल में रखवा दिया। जब दो दिन तक इरशाद घर नहीं आया तो उसके दिल में बैचेनी होने लगी आखिरकार जब मन नहीं रूका तो वह नूंह कि अस्पताल में अज्ञात शव को देखने चला गया। जहां शव को देखते ही उसके हौश उड गये। वह उसके जिगर के टुकडे और बुढापे का सहारा 16 वर्षीय इरशाद ही था।
शेरखां का कहना है कि जब उसके पडौसियों ने उसके बेटे को देखा और उन्होने ही पुलिस के साथ मिलकर सारी कार्रवाई कराई और वे इरशाद को बच्पन से जानते थे तो फिर उन्होने उसे बताया क्यों नहीं। जो जंगल में शव मिला है वह उसके बेटे का है। शेरखां ने बताया कि उसका बेटा दबंग आदमी कि एक लडकी से प्रेम करता था वह अकसर उसके घर आता जाता था और जिस दिन इरशाद कि हत्या हुई उस दिन से आज तक वह लडकी भी गांव में नहीं हैं बल्कि बताया जा रहा है कि वह अपने मामाओं के यहां रहती है।
शेरखां ने बताया कि जब उनको पूरा यकीन हो गया कि उसके पडौसियों ने ही मिलकर उसके बेटे कि हत्या की तो उन्होने पुलिस को गांव के ही मकसूद, मंजूर, सद्दाम, मजहर, जमालू, साहिब, शाहिद, अरशद, मुबीन और हब्बी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करा दिया। शेरखां का कहना है कि वह गरीब और मजूदर आदमी है लेकिन आरोपी दबंग और लठमार हैं उनकी राजनेतिक पहुंच है। इस वजह से पिछले 9 महिने में पुलिस ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। वह पुलिस के पास जाते-जाते थक गया। आखिरकार उसने इंसाफ के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अब अदालत से उसको पूरा यकीन है कि उसे इंसाफ जरूर मिलेगा।
क्या कहता है पीडित का वकील ?
हाईकोर्ट में पीडित के वकील एमडी खान ने बताया कि यह मामला कि करीब 6 महिने से दूसरा वकील पेरवी कर रहा था। अदालत पिछले काफी से समय मेवात पुलिस से इसका जवाब मांग रही थी लेकिन पुलिस ने अदालत को कोई जवाब नहीं दिया। उसके बाद इस कैश को उसने नये सिरे से अदालत में डाला है जहां अदालत ने सख्ती दिखाते हुऐ पुलिस से पूछा है क्यों ना इस मामले को सीबीआई को भेज दिया जाऐ। फिलहाल अदालत ने पहली मई सुनवाई की रखी है।
क्या कहते है पुलिस कप्तान ?
मेवात पुलिस कप्तान कुलदीप सिंह ने बताया कि एफआईआर में किसी भी आरोपी के नाम नहीं हैं। पीडित पक्ष ने शक के आधार पर जिनके नाम दिये थे उनसे हर तरीके से पूछताछ कि जा चुकी है। वे सभी निर्दोश है। जो असली मुल्जिम हैं, उनकी तलाश कि जा रही है।