हरियाणा अदालत में ई- वेट्टिंग’ व ‘ई-कस्टडी’ ऑनलाईन साफ्टवेयर शुरू

Font Size

इस व्यवस्था को लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य बना 

चंडीगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति वजीफदार ने किया उद्घाटन 

चण्डीगढ़ :  एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करके हरियाणा अदालत में फाईल की जाने वाली रिप्लाई की ई-वेट्टिंग प्रणाली शुरू  के साथ-साथ आनलाईन कस्टडी सर्टिफिकेट्स सृजित कर वितरित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। 
 प्रदेश ने ‘ई- वेट्टिंग’ और ‘ई-कस्टडी’ ऑनलाईन साफ्टवेयर का शुभारंभ किया है, जो रिप्लाई वेट्टिंग करने और सम्बंधित विभागों को कस्टडी सर्टिफिकेट्स वितरित करने में होने वाली अनावश्यक देरी में कमी लाने में न केवल सहायता करेगा बल्कि इसके परिणामस्वरूप समय, यात्रा और धन की बचत भी करेगा।  
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  न्यायामूर्ति शिवाक्स जे. वजीफदार द्वारा आज यहां पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की कम्प्यूटर कमेटी के चैयरमैन  न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, अन्य न्यायाधीश, महाधिवक्ता  बलदेव राज महाजन, लॉ आफिसर और अधिवक्ताओं की उपस्थिति में इस ऑनलाईन साफ्टवेयर का शुभारंभ किया गया। 
  बलदेव राज महाजन ने ऑनलाईन साफ्टवेयर की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ‘ई- वेट्टिंग प्रणाली’ को महाधिवक्ता कार्यालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया । प्रथम चरण में इस प्रणाली को पुलिस और जेल विभागों में क्रियान्वित किया जाएगा। इसके सफल क्रियान्वयन के उपरांत इस नई ऑनलाईन प्रणाली, जो धन और समय दोनों की बचत करने वाली है, को अन्य विभागों में क्रियान्वित किया जाएगा। 
    सम्बंधित अधिकारियों को बिना किसी देरी के समय पर रिप्लाई या ऑनलाईन शपथ-पत्र दायर करवाने में सहायता प्रदान करने हेतु इस ई-वेट्टिंग प्रणाली को डिजाइन किया गया। इसके क्रियान्वयन के उपरांत नोडल अधिकारी यूजर आईडी और पासवर्ड के साथ लॉग-ईन करके पीडीएफ फॉरमेट में वेट्टिंग के उपरांत अपनी रिप्लाई अपलोड करेंगे, जिसे सम्बंधित लॉ अधिकारियों द्वारा वेट किया जाएगा और उसे अदालत में फाईल किया जाएगा। इसे एसएमएस और ई-मेल अलर्ट के साथ भी जोड़ा जाएगा। महाधिवक्ता के कार्यालय में प्रति वर्ष रिप्लाई वेट्ट करवाने के लिए लगभग 21000 अधिकारी/कर्मचारी आते हैं। इस ऑनलाईन प्रणाली के क्रियान्वयन के उपरांत ये दौरे 80 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे, जिससे 85 लाख रुपये से अधिक की राशि का वार्षिक खर्च कम होगा।  

  
    श्री महाजन ने कहा कि इस ‘ई-कस्टडी’ प्रणाली को जेल विभाग द्वारा इनवेडर टैक्नोलोजिस प्राईवेट लिमिटेड के सहयोग से डिजाइन किया गया है। प्रथम चरण में इस प्रणाली को भौंडसी जेल, गुरुग्राम में पॉयलट परियोजना के रूप में लागू किया जा रहा है। बाद में दूसरे चरण के दौरान इसे प्रदेश की अन्य जेलों में भी लागू किया जाएगा। 
    ‘ई-कस्टडी’ प्रणाली की विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश की विभिन्न जेलों से कस्टडी सर्टिफिकेट के ऑनलाईन वितरण के प्रबन्धन हेतु इस प्रणाली को विकसित किया गया है। क्रियान्वयन उपरांत जेल विभाग के कम से 50 कर्मचारी अन्य काम कर सकेंगे, जो इस समय मैन्यूवलि रूप से कस्टडी सर्टिफिकेट वितरित करने के कार्य में लगे हुए हैं। इससे जेल विभाग को खर्चे में 30 लाख रुपये की वार्षिक की बचत करने में सहायता मिलेगी। 
    बाद में अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री परवेन्द्र सिंह चौहान और श्री दीपक सभरवाल, जो आईटी विभाग के नोडल अधिकारी भी हैं, ने संयुक्त रूप से प्रैस सम्मेलन को सम्बोंधित किया और ‘ई-वेट्टिंग’ और ‘ई-कस्टडी’ साफ्टवेयर के बारे में विस्तृत जानकारी सांझा की। 
    उन्होंने कहा कि ‘ई-कस्टडी’ साफ्टवेयर एक कैदी अमित मिश्रा की अवधारणा है। जेल से रिहा होने के उपरांत उसने अपनी कम्पनी के माध्यम से इस साफ्टवेयर को विकसित किया, जिसे केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायायल द्वारा स्वीकार किया गया है। महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा इस साफ्टवेयर को अन्य राज्यों में भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा। 

You cannot copy content of this page