हिंसात्मक आन्दोलन ने औद्योगिक जगत को हिला कर रख दिया था
गुडग़ांव, (अशोक): वर्ष 2012 की 18 जुलाई को आईएमटी मानेेेसर स्थित मारुति सुजूकी कंपनी में घटित हुई हिंसात्मक घटना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। इस दिन श्रमिक जियालाल की शॉप सुपरवाईजर से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी। प्रबंधन समय रहते मामले को सुलझा नहीं पाई थी। इस मामले की जब श्रमिक यूनियन को जानकारी हुई तो उन्होंने मामले को सुलझाने का प्रयास शुरु किया था, लेकिन प्रयास सफल नहीं हो पाया। यह छोटी सी घटना इतना बड़ा रुप ले लेगी, जिसमें एचआर हैड अवनीश देव की मौत तक हो जाएगी, किसी को अंदाजा भी नहीं था। कंपनी में आग लगने की घटना घटित हो गई, जिसमें कंपनी का एक बड़ा हिस्सा भी आग की चपेट में आ गया था और कंपनी की संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ था। कंपनी प्रबंधन को पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी पड़ी थी। पुलिस ने 148 श्रमिकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। करीब साढ़े 3 साल बाद कुछ आरोपियों की जमानत होनी शुरु हुई थी। अदालत के फैसले के आने से कुछ माह पूर्व तक 148 आरोपियों में से 139 आरोपियों को जमानत मिल चुकी थी। सभी अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे थे।
सैंकड़ों श्रमिकों की चली गई नौकरी
इस घटना के बाद कंपनी प्रबंधन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 546 स्थायी श्रमिकों की नौकरी समाप्त कर दी थी और सैंकड़ों कैजुअल श्रमिकों को भी नौकरी से निकाल दिया था। ये सभी श्रमिक अपनी बहाली की आज तक भी मांग करते आ रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने दिया था आश्वासन
घटना घटित हो जाने के बाद कंपनी प्रबंधन ने असुरक्षा की भावना से कंपनी को लॉक आऊट कर दिया था। प्रदेश सरकार को आशंका थी कि मारुति प्रबंधन गुडग़ांव व मानेसर से प्लांट हटाकर गुजरात ले जाएगी। इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने प्रबंधन को आश्वस्त किया था कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी और आरोपियों को सजा दिलाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता की नियुक्ति की जाएगी और उनका खर्चा स्वयं प्रदेश सरकार वहन करेगी और यह हुआ भी। प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी एवं उनकी टीम को इस मामले की गुडग़ांव अदालत में पैरवी करने के लिए नियुक्त कर दिया था। केटीएस तुलसी व उनकी टीम एक पैशी की सरकार से करीब 14 लाख रुपए फीस के रुप में लेती थी। करीब 9 करोड़ का भुगतान प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न पेशियों पर केटीएस तुलसी को किया गया था। जब श्रमिक संगठनों व राजनैतिक दलों ने इसका विरोध करना शुरु किया तो प्रदेश की भाजपा सरकार ने केटीएस तुलसी को इस मामले की पैरवी करने से हटा दिया। कंपनी प्रबंधन द्वारा ही सर्वोच्च न्यायालय के कुछ अधिवक्ताओं को पैरवी के लिए नियुक्त किया गया था।
श्रमिक संगठनों की प्रतिक्रिया : अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में दी जाएगी चुनौती
श्रमिक संगठनों ने अदालत के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि आरोपियों व उनके परिजनों तथा श्रमिक संगठनों को अदालत से न्याय की पूरी आशा थी। श्रमिक संगठन सीटू के वरिष्ठ नेता कामरेड सतबीर का कहना है कि अदालत में यह साबित ही नहीं हो पाया है कि आग कैसे लगी और किसने लगाई? उसके बाद भी अदालत का जो फैसला आया है, उसको पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। इसी प्रकार श्रमिक संगठन एटक के जिला महासचिव कामरेड अनिल पंवार व सुरेश गौड तथा अन्य श्रमिक संगठनों का भी कहना है कि मारुति के श्रमिक पिछले कई वर्षों से संघर्ष करते आ रहे हैं। उनको यथासंभव सहयोग भी दिया गया है। अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया करते हुए श्रमिक नेताओं रामकुमार, श्रवण कुमार, बजीर सिंह आदि का कहना है कि इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। श्रमिक संगठनों को देश की न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। इन श्रमिकों को उच्च न्यायालय से अवश्य राहत मिलेगी।
दोषियों के परिजनों को फैसले से हुई निराशा
अदालत परिसर में जमानत पर आए आरोपियों व उनके परिजनों तथा जेल में बंद आरोपियों के परिजनों का प्रात: से ही अदालत परिसर में पहुंचना शुरु हो गया था। सभी को अदालत के फैसले का इंतजार था। जींद, रोहतक, सिरसा, भिवानी, सोनीपत, अंबाला, पानीपत, कालका, चंडीगढ व पंजाब के विभिन्न जिलों से भी आरोपियों के परिजन फैसला सुनने के लिए आए थे। श्रमिक यूनियन के पदाधिकारी सरबजीत को उनके साथियों के साथ जब दोषी करार दिया गया तो सरबजीत की बहन जो अदालत में मौजूद थी, उसने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब यह सिद्ध ही नहीं हो पाया कि आग कैसे लगी और किसने लगाई तो उसके भाई व अन्य साथियों को अदालत ने हत्या की धारा में दोषी करार दे दिया है। फैसले की प्रति मिल जाने के बाद उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। निराशापूर्ण अंदाज में उन्होंने कहा कि श्रमिकों को न्याय तो मिला है, लेकिन अधूरा मिला है। अन्य दोषियों के परिजनों ने भी इसी प्रकार के भाव व्यक्त किए। माहौल काफी गमगीन हो गया था।
बरी हुए आरोपियों की खुशी रह गई अधूरी
अदालत ने 117 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। इससे बरी हुए आरोपियों व उनके परिजनों में थोड़ा उत्साह तो अवश्य दिखाई दिया, लेकिन उनको यह उम्मीद नहीं थी कि उनके 31 साथी दोषी करार दे दिए जाएंगे। माहौल कहीं खुशी व कहीं गम जैसा बना रहा। आरोपियों व उनके परिजनों का कहना था कि खुशी मिली तो अवश्य है लेकिन पूरी खुशी तब होती जब जेल में बंद सभी निर्दोष साथियों को बेकसूर साबित कर रिहा कर दिया जाता। परिजनों के चेहरों पर रौनक गायब होती दिखाई दे रही थी।
सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के वकीलों ने की थी आरोपियों की पैरवी
इस मामले की पैरवी आरोपियों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं रेवेका जोन व वृंदा ग्रोवर तथा पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा व रोहतक के वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. आरएस हुड्डा तथा स्थानीय अदालत के अधिवक्ताओं राजेंद्र पाठक, एसएस चौहान, राजकुमार, मोनू, संजीत वत्स आदि ने की थी। उन्होंने अदालत में आरोपियों को निर्दोष साबित करने के लिए दलीलें भी दी थी, जिनका परिणाम है कि 117 आरोपी बरी हो गए। इन अधिवक्ताओं का कहना है कि उन्होंने आरोपियों को निर्दोष साबित करने के लिए काफी प्रयास किए थे। अदालत का फैसला की प्रति मिल जाने के बाद पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। वहां से दोषियों को राहत अवश्य मिलेगी।
उद्यमी संगठनों ने भी जताया अदालत के फैसले पर संतोष
उद्यमियों का प्रतिनिधित्व करने वाली कई उद्योग संगठनों ने मारुति प्रकरण में आए अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एनसीआर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एचपी यादव का कहना है कि अदालत ने जो 31 आरोपी श्रमिकों को दोषी करार दिया है। अदालत के इस फैसले से उद्योगों को क्षति पहुंचाने वाले नकारात्मक प्रवृति के श्रमिकों में एक कठोर संदेश जाएगा। वे इस प्रकार की गतिविधियां करने से पहले सौ बार सोचेंगे। औद्योगिक सुरक्षा की दृष्टि से भी यह फैसला सकारात्मक होगा। उनका कहना है कि उद्योगों में तोडफ़ोड़ व आगजनी की घटना को अंजाम देना किसी समस्या का हल नहीं है। अदालत के इस फैसले से इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी। कंपनियों में भी इस फैसले से औद्योगिक सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकेगा। हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के संस्थापक महासचिव केके कपूर का कहना है कि जब तक उद्योगों की सुरक्षा की गारंटी प्रदेश सरकार द्वारा नहीं दी जाएगी, तब तक उद्योग फल-फूल नहीं सकेंगे। उन्होंने अदालत के आदेश की सराहना करते हुए कहा कि मारुति में जो घटना घटित हुई थी, वह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण थी। अदालत ने सबूतों व गवाहों के आधार पर ही अपना फैसला दिया है। इस फैसले से उद्योगपतियों में नई आशा का संचार होगा। उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव व अन्य उद्यमियों का भी कहना है कि उद्योग समाज व प्रदेश की रीढ़ होते हैं। यदि उन्हें नुकसान पहुंचाया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम ही होते हैं। यदि समय रहते समस्या का समाधान कर लिया जाए तो मारुति प्रकरण जैसी घटनाएं ही घटित नहीं होती। उन्होंने कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधानों में संशोधन की मांग भी की है। अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि श्रमिक कोई गलत काम करने से पहले कई बार सोचेंगे। हालांकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति होनी ही नहीं चाहिए।
भारी पुलिस बल किया गया था तैनात
जिला व पुलिस प्रशासन की पूरे दिन सांसे फूली रही। जिला प्रशासन ने मारुति सुजूकी प्रकरण में आने वाले फैसले को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध पहले से ही कर लिए थे। आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजूकी प्लांट की जहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी, वहीं अदालत की ओर जाने वाली सडक़ों पर बेरिकेट्स लगाकर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया था। कमांडो व महिला सुरक्षाकर्मी भी अदालत के बाहर तथा अदालत परिसर में बड़ी संख्या में लगा दिए गए थे, ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना घटित न हो सके। अदालत परिसर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की विभिन्न गेटों पर मैंटल डिटेक्टर द्वारा जांच की जा रही थी। जिला प्रशासन का खूफिया विभाग भी पल-पल की खबर जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों को दे रहा था।
जब अदालत ने अपना फैसला सुनाया तो न्यायाधीश की अदालत के बाहर बड़ी संख्या में कमांडो तैनात कर दिए गए थे, ताकि आरोपियों व उनके परिजन किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न कर सकें, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। परिजनों ने संयम से काम लेते हुए किसी प्रकार का कोई विरोध सार्वजनिक रुप से प्रकट नहीं किया। जब परिजन व रिहा हुए आरोपी अदालत परिसर से चले गए तो जिला व पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली। उधर श्रमिक संगठनों ने कमला नेहरु पार्क में सायं बैठक का आयोजन करने की घोषणा की हुई थी। सभी रिहा हुए आरोपी व उनके परिजन इस बैठक में शामिल हुए। यहां पर भी भारी सुरक्षा व्यवस्था देखी गई।