फतेहाबाद में हड़प्पाकालीन नदी के प्रवाह की खुदाई शुरू

Font Size

पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की निगरानी में हो रही है खुदाई

खुदाई में 6000 साल पूर्व प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले 

चण्डीगढ़ :  हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती नदी को पुन: प्रवाहित करने के महत्वपूर्ण अभियान की कड़ी में आज से जिला फतेहाबाद के गांव कुनाल में हड़प्पाकालीन स्थल पर नदी के प्रवाह क्षेत्र के किनारों की खुदाई आरंभ हो गई है। मुख्यमंत्री  मनोहर लाल एवं हरियाणा के पुरातत्व और संग्राहलय मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा के निर्देशों पर प्रदेश के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की निगरानी में खुदाई का आरंभ किया गया है। खुदाई के लिए मंत्री रामबिलास शर्मा की मौजूदगी में दो दिन पहले ही हरियाणा राज्य पुरातत्व और संग्रहालय विभाग तथा भारतीय पुरातत्व समिति, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली के मध्य एक समझौता हुआ है।

 
इस संबंध में जानकारी देते हुए एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रीय संग्रहालय के महा निदेशक डॉ. बीआर मनी भारतीय पुरातत्व समिति, केंद्र सरकार की ओर से खुदाई कार्य के निदेशक के तौर पर तथा राज्य पुरातत्व और संग्रहालय हरियाणा की उप निदेशक, खुदाई कार्य की सह-निदेशक के तौर पर यहां कार्य कर रही है। गांव कुनाल में पुरातत्व विभाग के अनुभवी वैज्ञानिकों द्वारा मैपिंग के बाद आज कुशल श्रमिकों द्वारा शुरू करवाई गई खुदाई में निकली मिट्टी में मिले रेतीले कणों से यहां कभी नदी की मौजूदगी की संभावनाएं प्रबल हुई हैं लेकिन अभी इसकी पुष्टि होनी शेष है। हालांकि उपग्रह चित्रों से भी इस क्षेत्र में नदी प्रवाह के स्पष्ट संकेत मिल चुके हैं। यहां नदी की खुदाई व रिपोर्ट बनाने तक का काम केंद्रीय पुरातत्व विभाग देखेगा और काम पूरा होने के बाद खुदाई के दौरान मिलने वाले अवशेष व रिपोर्ट की प्रतिलिपि हरियाणा पुरातत्व विभाग को सुपुर्द कर दी जाएगी। अब तक यहां हरियाणा पुरातत्व विभाग के अधीन ही काम चल रहा था।
उन्होंने बताया कि हड़प्पाकाल के साक्षी गांव कुनाल में खुदाई के काम में दर्जनों मजदूर लगाए गए हैं। पूर्व में यहां हुई खुदाई में निकले महत्वपूर्ण अवशेषों से यह पुष्टि हुई है कि इस जगह हड़प्पाकाल में कोई सभ्यता रही होगी। हरसैक के वैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार कभी गांव कुनाल से सरस्वती नदी गुजरती थी।
प्रवक्ता ने बताया कि रतिया के गांव कुनाल प्राचीनतम हड़प्पाकालीन स्थलों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस खुदाई का उद्देश्य इस स्थल की प्राचीन भौतिक संस्कृति को उजागर करना है। जहां मुख्य अवस्थापित क्षेत्र तीन-चार एकड़ है, जबकि विस्तारित क्षेत्र नौ एकड़ है। उन्होंने बताया कि गांव कुनाल ने भारतीय उपमहाद्वीप में आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यहां खुदाई किए जाने से उत्कृष्टï हड़प्पा संस्कृति के उदय और इसके प्राचीन चरणों पर भविष्य में अनुसंधान के नए द्वार खुलेेंगे। इस स्थल पर पहले की गई खुदाई में विकसित जल निकासी प्रणाली के अवशेष मिले हैं। इस खुदाई का उद्देश्य इस स्थल की प्रारंभिक भौतिक संस्कृति को उजागर करना है और इससे हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता के इतिहास का पता चलेगा।
उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग द्वारा गांव कुनाल में शुरू की गई खुदाई के कार्य में प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है, जो 6000 साल पूर्व के है। यह सभ्यता अब तक की सबसे पुरानी सभ्यता हो सकती है। हड़प्पाकालीन सभ्यता करीब 3500 साल पुरानी है जबकि प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता तो 5 से 6 हजार वर्ष पुरानी है। खुदाई के दौरान टीम को आभूषण, मणके, हड्डियों के मोती मिले हैं। ये वस्तुएं बेसकीमती है और पुरातत्व विभाग इन्हें अपने संग्रहालय में सहज कर रखेगा।

 
उल्लेखनीय है कि यहां पर सन् 1985 में भी खुदाई का काम शुरू हुआ था। उस दौरान यहां 24 कैरेट सोने के हार व चांदी के मुकुट भी मिले थे, जो पहले हरियाणा से कहीं नहीं मिले, जिससे यह सभ्यता हड़प्पाकालीन सभ्यता से पूर्व की सभ्यता सिद्ध हो रही है। यहां पर आभूषण पिघालने की भट्टी भी मिली थी, जिससे यह स्पष्ट लग रहा है कि लोग आभूषण ढालने का काम किसी भट्टी द्वारा करते थे। उन्होंने बताया कि खुदाई में मिले आभूषण, चुडियां, मणके व पूरे रहस्य को जाना जाएगा। खुदाई के दौरान यहां पर गोलाकार घर भी मिले हैं, जो हड़प्पाकालीन संस्कृति से भी पूर्व की संस्कृति के प्रमाण सिद्ध हो रहे हैं। करीब 5 से 6 हजार साल पहले लोग ऐसे मकान नदियों के किनारे बनाते थे। हड़प्पाकालीन सभ्यता के लोग घरों को चौरस बनाते थे। कुनाल में मिट्टी के गोलाकार मकान मिले हैं। कहीं पर भी ईंट और पत्थरों का इस्तेमाल नहीं किया गया है जो दृशा रहा है कि प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष है।

 
उन्होंने बताया कि रतिया के गांव कुनाल प्राचीनतम हड़प्पाकालीन स्थलों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस खुदाई का उद्देश्य इस स्थल की प्राचीन भौतिक संस्कृति को उजागर करना है। जहां मुख्य अवस्थापित क्षेत्र तीन-चार एकड़ है, जबकि विस्तारित क्षेत्र नौ एकड़ है। उन्होंने बताया कि गांव कुनाल ने भारतीय उपमहाद्वीप में आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यहां खुदाई किए जाने से उत्कृष्टï हड़प्पा संस्कृति के उदय और इसके प्राचीन चरणों पर भविष्य में अनुसंधान के नए द्वार खुलेेंगे।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

You cannot copy content of this page