सरस मेले ने पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ा, 12 करोड़ से अधिक की हुई बिक्री

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गुरुग्राम, 29 अक्टूबर : ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित ‘सरस आजीविका मेला 2024’ के समापन के साथ ग्रामीण भारत के कला और कौशल का शानदार सफर आज समाप्त हुआ। इस वर्ष मेले ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 12 करोड़ से अधिक की बिक्री दर्ज की, जिससे पूरे भारत से आईं ‘लखपति दीदियों’ के हुनर और आत्मनिर्भरता को नई पहचान मिली। हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, कढ़ाईदार वस्त्र, हाथ से बनी ज्वेलरी, लोक कला पेंटिंग्स और खाद्य उत्पादों का यह मेला ग्रामीण उद्यमिता को नई ऊंचाई पर ले जाने में सफल रहा।

समापन समारोह में 17 दिनों की इस यादगार यात्रा को दर्शाने वाली एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण मंत्रालय से संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की डायरेक्टर राजेश्वरी एस एम, डिप्टी कमिश्नर निशांत कुमार यादव, ऐडीसी हितेश कुमार मीणा, और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के मार्केटिंग विभाग के अधिकारी चिरंजी लाल कटारिया सहित कई गणमान्य व्यक्ति, स्टेट कोऑर्डिनेटर एवं ‘लखपति दीदियाँ’ उपस्थित रहीं।

इस मौके पर पुरस्कार समारोह का भी आयोजन हुआ, जिसमें स्वयं सहायता समूह की लखपति दीदियों, स्टेट कॉर्डिनेटर्स, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम, अग्निशमन टीम, मेडिकल टीम, वॉलेंटियर्स और कुटुंबश्री एनआरओ आदि को सम्मानित किया गया। साथ ही, सभी दीदियों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।

संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, “मेक योर दिवाली ब्राइट, एंड इवन योर दीदी ब्राइटर।” उन्होंने सभी दीदियों से आग्रह किया कि वे अपनी सफलता में और दीदियों को भी शामिल करें। उन्होंने बताया कि इस मेले की तैयारियां पिछले छह महीने से चल रही थीं, और अब दीदियों को अपने उत्पादों की ब्रांड बिल्डिंग पर ध्यान देना चाहिए। डायरेक्टर राजेश्वरी एस एम ने सभी दीदियों को मेले को सफल बनाने में दिए योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

पिछले 17 दिनों में लाखों आगंतुकों ने इस मेले का आनंद लिया और ग्रामीण महिलाओं के उत्पादों में गहरी रुचि दिखाई। अंतिम दिन भी आगंतुकों ने इन अनोखे उत्पादों को खरीदने और इस अनुभव का हिस्सा बनने का भरपूर आनंद लिया। सरस मेला 2024 का यह सफर आने वाले वर्षों में ग्रामीण भारत की और अधिक महिलाओं को सशक्त करने और उनकी आर्थिक स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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