नई दिल्ली : प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और स्थिरता (जीसीपीआरएस) पर आज प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन की शानदार शुरुआत हुई। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सचिव श्रीमती निवेदिता शुक्ला वर्मा ने इसका उद्घाटन किया। केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती मर्सी एपाओ ने सत्र में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया। अन्य प्रमुख लोगों में एआईपीएमए अध्यक्ष श्री मनीष देढिया, सीपीएमए अध्यक्ष श्री कमल नानावटी, एआईपीएमए गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष श्री अरविंद मेहता, जीसीपीआरएस 2024 के अध्यक्ष श्री हितेन भेड़ा, प्रणव कुमार (सीपीएमए), प्रो. (डॉ.) शिशिर सिन्हा (प्लास्टइंडिया फाउंडेशन), श्री रवीश कामथ (प्लास्टइंडिया) शामिल थे।
अपने उद्घाटन भाषण में निवेदिता शुक्ला वर्मा ने ऐसे समय में अत्यंत प्रासंगिक विषय पर सम्मेलन आयोजित करने के लिए एआईपीएमए और सीपीएमए के प्रयासों की सराहना की, जब वैश्विक स्तर पर उत्पन्न कुल प्लास्टिक कचरे का केवल दस प्रतिशत ही पुनर्चक्रित किया जाता है। उन्होंने कहा, “जो भी हो, एक अद्भुत वस्तु से आगे बढ़कर अपनी ही सफलता के भार से दब जाने वाली वस्तु के रूप में बदल जाने के बावजूद, प्लास्टिक उद्योग अर्थव्यवस्था में एक अग्रणी योगदानकर्ता है और वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।” उन्होंने हितधारकों को याद दिलाया कि विभिन्न क्षेत्रों में एक ठोस और सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक है।
श्रीमती निवेदिता ने आगे बताया कि सरकार ने प्लास्टिक प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए 2016 में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम पेश किए थे, जिसमें विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी को अनिवार्य किया गया था, सख्त पुनर्चक्रण पैकेज लागू किया गया था और विशिष्ट एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया था और इसके दायरे को व्यापक बनाने के लिए कई वर्षों के दौरान नियमों में विभिन्न संशोधन भी किए गए हैं। उन्होंने नियमों के दृढ़तापूर्वक कार्यान्वयन में सीआईपीईटी और डीसीपीसी की भूमिका पर भी जोर दिया।
इसके अलावा, उन्होंने इस क्षेत्र में उद्योग द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। हर दिन वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संबंधी नियम सख्त होते जा रहे हैं, इसलिए उन्होंने जल्द से जल्द एक स्थायी चक्रीय अर्थव्यवस्था बनने की आवश्यकता पर बल दिया।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती मर्सी एपाओ ने भी इस उद्देश्य के लिए एमएसएमई मंत्रालय का समर्थन व्यक्त किया, उन्होंने बताया कि प्लास्टिक उद्योग से बड़ी संख्या में उद्यम उनके विभाग के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने कहा कि निर्यात को दोगुना करने की दृष्टि से और अपने 100 दिनों के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, मंत्रालय ने हैदराबाद में एक अत्याधुनिक निर्यात केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने हितधारकों से मंत्रालय द्वारा दिए गए लाभों का उपयोग करने का भी आग्रह किया, उन्होंने कहा कि कई और प्रौद्योगिकी केन्द्र बनाए जा रहे हैं।
एआईपीएमए गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष श्री अरविंद मेहता ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, स्वच्छ भारत मिशन, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई मंत्रालय), और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय सहित केन्द्र सरकार के कई मंत्रालयों द्वारा इस आयोजन को दिए गए सहयोग पर प्रकाश डाला।
भारत का प्लास्टिक रीसाइक्लिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, और इसके 2033 तक 6.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकारी पहल और लगभग 60 प्रतिशत की मजबूत मौजूदा रीसाइक्लिंग दर प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करेगा।
सीपीएमए के अध्यक्ष श्री कमल नानावटी ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन एक वैश्विक मुद्दा है जिसके लिए सभी मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों और सरकार के बीच सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जीसीपीआरएस का उद्देश्य समाधान विकसित करने के लिए संवाद और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना है और भारतीय उद्योग सरकार के साथ सहयोग के माध्यम से प्लास्टिक सर्कुलेरेटी में सुधार और नियामक आवश्यकताओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
प्रौद्योगिकी और उद्यमिता केन्द्र (एएमटीईसी) के अध्यक्ष श्री अरविंद डी मेहता ने कहा कि वे भारत के तेजी से आगे बढ़ते प्लास्टिक उद्योग के लिए अत्यधिक कुशल व प्रतिभाशाली पेशेवरों को तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान की स्थापना प्लास्टिक निर्माण क्षेत्र के लिए असाधारण जनशक्ति और कौशल वृद्धि प्रदान करने के लिए की गई थी, और यह बहुत गर्व की बात है कि उन्होंने इसे हासिल किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए उपलब्धि साबित होगा और इस सम्मेलन के आयोजन से इस दिशा में नए रास्ते खुलने की उम्मीद है।
अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ (एआईपीएमए) और रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स निर्माता संघ (सीपीएमए) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग, पर्यावरण पर इसके प्रभाव और समाधान के लिए आवश्यक कदमों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश भर के विभिन्न व्यवसाय और विशेषज्ञ भाग लेंगे।
भारत के शून्य कचरा लक्ष्य के अनुरूप, जीसीपीआरएस अभिनव रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों, बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल प्लास्टिक जैसे स्थायी विकल्पों और कुशल कचरा प्रबंधन समाधानों को प्रदर्शित करता है। यह कार्यक्रम उद्योग के नेताओं, स्टार्टअप और पर्यावरण विशेषज्ञों के लिए अपनी नवीनतम प्रगति का प्रदर्शन करने और प्लास्टिक उद्योग में स्थिरता प्राप्त करने के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
यह सम्मेलन प्लास्टिक रीसाइक्लिंग उद्योग, मशीनरी निर्माताओं, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन व्यवसायों, बायोपॉलीमर और कम्पोस्टेबल उत्पाद निर्माताओं, कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं, स्टार्टअप उद्यमियों और परीक्षण और मानक विशेषज्ञों से जुड़े व्यवसायों व कंपनियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
प्लास्टिक कचरा पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकी पर प्रदर्शनी के साथ-साथ, जीसीपीआरएस 4 जुलाई को सीईओ स्तर की गोलमेज बैठक की मेजबानी करेगा। 5 और 6 जुलाई को पैनल चर्चा में ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे उद्योगों में प्लास्टिक अपशिष्ट पुनर्चक्रण को शामिल किया जाएगा।