नई दिल्ली : 18 वीं लोकसभा के स्पीकर पद पर चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि इस पद के लिए अब चुनाव होना लगभग तय है. खबर है कि एनडीए ने ओम बिरला का नाम इस पद के लिए एक बार फिर प्रस्तावित किया है. दूसरी तरफ उपाध्यक्ष पद विपक्ष नहीं दिए जाने के कारण इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस सांसद अध्यक्ष पद के लिए के सुरेश को उम्मीदवार बनाने का निर्णय ले लिया. दोनों ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन फाइल कर दिया है. संभावना है कि 26 जून यानी बुधवार को 11 बजे स्पीकर पद के लिए मतदान कराया जा सकता है. एनडीए की ओर से ओम बिरला और विपक्ष की ओर से कांग्रेस के के सुरेश ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि ऐसी स्थिति लोकसभा में पहले भी उत्पन्न हो चुकी है. पहली लोकसभा में 1952 में भी लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव कराया गया था. कांग्रेस पार्टी को बहुमत हासिल था इसलिए यह औपचारिकता बन क्र रह गई थी . कांग्रेस की ओर से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने जी वी मावलंकर का नाम स्पीकर पद के लिए प्रस्तावित किया था. श्री मावलंकर 1946 से सैंट्रल लेजेस्लेटिव एंसेबली के स्पीकर थे.
संसदीय कार्य मंत्री सत्यनारायण सिन्हा ने इसका समर्थन किया. वहीं ए के गोपालन ने शंकर शांताराम मोरे का नाम स्पीकर पद के लिए प्रस्तावित किया था और टी के चौधरी ने इसका अनुमोदन किया था. इसके लिए मत विभाजन कराया गया था जिसमें जी वी मावलंकर को 394 वोट मिले थे जबकि विरोध में 55 वोट पड़े थे.
इस चुनाव में ख़ास बात यह रही थी कि शंकर शांताराम मोरे ने भी मावलंकर के पक्ष में वोट डाला. उन्होंने कहा कि यह संसद की परंपरा के अनुकूल होगा कि दो उम्मीदवार जो एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं वो एक-दूसरे को ही वोट दे रहे हैं. मैं इस परंपरा के अनुरूप आपको वोट देता हूं. दूसरी बार 1976 में आपातकाल के समय भी स्पीकर के लिए चुनाव हुआ था, तब बलीराम भगत और जगन्नाथ राव के बीच मुकाबला हुआ था. इसमें बलीराम भगत की जीत हुई थी. इस तरह स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह तीसरी बार है जब स्पीकर पद के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने होगा .
पिछली बार ओम बिरला ही लोकसभा के स्पीकर थे, जबकि के. सुरेश आठ बार के सांसद रह चुके हैं। केवल स्पीकर पद को लेकर ही नहीं इससे पहले प्रोटेम स्पीकर के पद को लेकर भी सरकार और विपक्ष के बीच विवाद देखा गया था। जब सरकार ने भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बना दिया था। विपक्ष का आरोप था कि सरकार ने के. सुरेश की वरिष्ठता को नजरअंदाज किया है। के. सुरेश लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसदों में से एक हैं। के. सुरेश साल 1989 में पहली बार नौवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और उसके बाद से हालिया 2024 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करके वे आठवीं बार संसद पहुंचे हैं.
ओम बिरला राजस्थान के कोटा से सांसद हैं. ओम बिरला का राजनीतिक करियर 40 साल से ज्यादा समय का रहा है. उन्होंने विधायक से लोकसभा अध्यक्ष तक का सफर तय किया है. उनकी गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती है. ओम बिरला इससे पहले 17वीं लोकसभा के स्पीकर थे. ओम बिरला का स्पीकर बनना तय माना जा रहा है. ओम बिरला अगर स्पीकर बन जाते हैं तो लगातार दूसरी बार स्पीकर बनने वाले वह चौथे नेता होंगे. इससे पहले एमए अयेंगर, गुरदयाल सिंह ढीलो और बलराम जाखड़ के नाम यह तगमा दर्ज है .
लोकसभा अध्यक्ष पद पर चुनाव को लेकर भाजपा नेता व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से संपर्क किया था. खरगे ने राजनाथ सिंह से स्पीकर के लिए समर्थन करने के लिए परम्परा के अनुसार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की मांग की. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मिडिया को बताया कि ” कल शाम राजनाथ सिंह जी ने कांग्रेस अध्यक्ष श्री खरगे जी को फोन किया था। राजनाथ सिंह जी ने उनसे अनुरोध किया कि आप हमारे स्पीकर को समर्थन दें। खरगे जी ने पूरे विपक्ष की तरफ से कहा कि हम स्पीकर को समर्थन देंगे, लेकिन डिप्टी स्पीकर विपक्ष का हो। लेकिन अभी तक राजनाथ सिंह जी ने खरगे जी को कोई जवाब नहीं दिया है। नरेंद्र मोदी विपक्ष से सहयोग की बात करते हैं, लेकिन अब हमारे नेता का अपमान किया जा रहा है। ये दिखाता है कि BJP की नीयत साफ नहीं है।”
राहुल गांधी ने कहा कि ” पीएम नरेंद्र मोदी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। ये इनकी रणनीति है, लेकिन इन्हें इसे बदलना ही पड़ेगा। क्योंकि पूरा देश जानता है कि PM मोदी के शब्दों का कोई मतलब नहीं है। ”
दूसरी तरफ राहुल गांधी के बयान पर राजनाथ सिंह ने कहा कि ” खरगे हमारे वरिष्ठ नेता हैं. कल से अब तक 3 बार फोन पर बातचीत कर चुकी है . उन्होंने कहा की झूठ पर कब तक राजनीति चलती रहेगी “