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– मंत्री बोले : पानी पर हम राजनीति नहीं करते, पानी को पानी की आवश्यकता के रूप में देखते हैं
-दिल्ली में पानी की कमी केवल दिल्ली के आंतरिक कुप्रबंधन का कारण
-निर्धारित 719 क्यूसेक से अधिक 1050 क्यूसेक पानी दे रहे हैं
– राजनीतिक मंचों पर भ्रामक आंकड़े पेश करने का काम कर रही दिल्ली सरकार
नई दिल्ली 20 जून : हरियाणा के सिंचाई एवं जल संसाधान राज्य डॉ अभय सिंह यादव ने दिल्ली सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि हरियाणा दिल्ली को उसके हिस्से का पूरा पानी दे रहा है। दिल्ली में पानी की किल्लत केवल दिल्ली की आंतरिक खराब व्यवस्था के कारण है। हरियाणा पानी पर राजनीति नहीं करता क्योंकि हम पानी को पानी की आवश्यकता के रूप में देखते है। राष्ट्रीय राजधानी को पानी मिले यह सबकी जिम्मेवारी है और हम दिल्ली को पानी देने में कोई कमी नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि निर्धारित 719 क्यूसेक से अधिक 1050 क्यूसेक पानी हरियाणा दे रहा है।
हरियाणा के सिंचाई राज्य मंत्री डॉ अभय सिंह यादव ने दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में पत्रकारों को आकंड़ो के साथ हरियाणा द्वारा दिल्ली को दिए जा रहे जलापूर्ति की जानकारी दी। इस अवसर पर सिंचाई विभाग के आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल, ईआईसी वीरेन्द्र सिंह, अधीक्षक अभियंता वाईडब्ल्यूएस दिल्ली तरूण अग्रवाल व एक्सईएन दिल्ली मंजीत सिंह भी उपस्थित थे। पत्रकारवार्ता में सिंचाई राज्य मंत्री ने कहा कि पानी को लेकर दिल्ली सरकार राजनीतिक ड्रामेबाजी कर रही है। समय-समय पर अलग-अलग एजेंसियों की ओर से बार-बार वेरीफिकेशन हुई है। हरियाणा द्वारा दिया गया डाटा सही पाया गया है। एक भी एजेंसी यह नहीं कह सकती कि हरियाणा ने पानी कम दिया है। दिल्ली सरकार अपने कुप्रबंधन को ठीक करने की बजाय बार-बार हरियाणा पर आरोप लगा रही है। हरियाणा नियमित रूप से दिल्ली को पानी की पूर्ण अधिकृत हिस्सेदारी की आपूर्ति कर रहा है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली द्वारा 13 जून, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका का उत्तर देते हुए हरियाणा सरकार ने 23 मई से 12 जून, 2024 तक की अवधि के लिए दिल्ली संपर्क बिंदु, बवाना पर आपूर्ति किए गए पानी का डेटा प्रस्तुत किया है। जिसमें बताया गया कि हरियाणा मुनक हेड पर दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक पानी लगातार छोड़ रहा है और दिल्ली संपर्क बिंदु बवाना प्वाइंट पर यूवाईआरबी द्वारा तय 924 क्यूसेक से अधिक पानी दिया जा रहा है।
डॉ अभय सिंह यादव ने कहा कि दिल्ली सरकार आधिकारिक बैठकों में तो यह स्वीकार करती है कि उन्हें पानी की पूरी आपूर्ति मिल रही है, लेकिन राजनीतिक मंच पर मीडिया में भ्रामक व काल्पनिक आंकड़े पेश करते हैं। वास्तव में, वे 613 एमजीडी (1141 क्यूसेक) की मांग कर रहे हैं, जो कि अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) द्वारा अपनी रिपोर्ट में उल्लेखित आंकड़ों (मुनक में 1011 क्यूसेक और बवाना में 924 क्यूसेक) से अधिक है। यहां तक कि जल मंत्री, दिल्ली के डी.ओ. पत्र में भी यह स्वीकार किया गया है कि दिल्ली को 18 जून 2024 को 513 एमजीडी या 954 क्यूसेक पानी मिल रहा है, जो इस तथ्य की पुष्टि करता है कि हरियाणा ने हमेशा दिल्ली को पूरा पानी दिया है और दिल्ली में किसी भी प्रकार की पानी की कमी केवल दिल्ली के आंतरिक कुप्रबंधन के कारण है।
दिल्ली सरकार के आरोप गलत :
सिंचाई एवं जल संसाधन राज्य मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि दिल्ली सरकार पिछले कई वर्षों से हरियाणा से कम पानी मिलने के बारे में लगातार निराधार आरोप लगा रही है और हरियाणा ने हर बार ये साबित किया है कि दिल्ली द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में दिल्ली ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय (एससीआई) में रिट याचिका दायर की, जिसमें यही आरोप लगाया गया कि हरियाणा दिल्ली को कम पानी की आपूर्ति कर रहा है। एससीआई ने इस मामले की जांच जल शक्ति मंत्रालय से करवाई और भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया कि हरियाणा नियमित रूप से दिल्ली को पूरा अधिकृत हिस्से की आपूर्ति कर रहा है। इसके बाद एससीआई ने दिल्ली सरकार को बार-बार एक ही राहत मांगने के लिए फटकार लगाई, जिसे पहले के मौकों पर अस्वीकार कर दिया गया था। हालांकि, दिल्ली सरकार ने 2018 में भी यूवाईआरबी से संपर्क किया और यूवाईआरबी ने पूरी जांच के बाद उस समय भी यह बताया कि हरियाणा दिल्ली को पूरा हिस्सा आपूर्ति कर रहा था।
बवाना में औसत प्रवाह लगभग 948 क्यूसेक था जो कि बोर्ड 52वीं बैठक में लिए गए निर्णय 924 क्यूसेक से अधिक :
डॉ अभय सिंह यादव ने विस्तार से बताया कि इस वर्ष भी दिल्ली सरकार ने फिर से हरियाणा के ऊपर दिल्ली को कम पानी देने का आरोप लगाया। दिल्ली की जल मंत्री, जीएनसीटी ने 22 मई 2024 को हरियाणा के मुख्यमंत्री को एक डी.ओ. पत्र लिखा और बताया कि हरियाणा वजीराबाद में तालाब के स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी नहीं छोड़ रहा है। हरियाणा द्वारा इस पत्र का औपचारिक तौर पर उत्तर भेजने से पहले ही दिल्ली ने 31 मई, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर कर दी, जिसमें प्रार्थना की गई कि हरियाणा को वजीराबाद बैराज में तत्काल और निरंतर पानी छोड़ने के निर्देश जारी किए जाएं। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 3 जून, 2024 को इस मामले की सुनवाई करते हुए यूवाईआरबी को 5 जून 2024 को एक आपात बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। तदनुसार, यूवाईआरबी की 62वीं (आपातकालीन) बैठक आयोजित की गई जिसमें सभी भागीदार राज्यों द्वारा सहमति व्यक्त की गई कि मई, 2024 के महीने के दौरान दिल्ली संपर्क बिंदु, बवाना में औसत प्रवाह लगभग 948 क्यूसेक था जो कि बोर्ड द्वारा अपनी 52वीं बैठक में लिए गए निर्णय 924 क्यूसेक से अधिक है।
डॉ अभय सिंह यादव ने बताया कि यूवाईआरबी ने अपनी 52वीं बैठक में निर्णय लिया था कि दिल्ली को 924 क्यूसेक पानी की आपूर्ति के लिए, हरियाणा को दिल्ली के लिए मुनक में 1011 क्यूसेक पानी छोड़ना होगा। इसके विरुद्ध हरियाणा दिल्ली के लिए मुनक में नियमित रूप से 1050 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान, यूवाईआरबी ने 9 जून 2024 को दिल्ली संपर्क बिंदु, बवाना में निर्वहन को मापा और पाया कि दिल्ली को उस समय 961 क्यूसेक पानी मिल रहा था। लेकिन, उसी दिन यानि 9 जून 2024 को दिल्ली की जल मंत्री, जीएनसीटी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को एक और डी.ओ. पत्र लिखा, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि हरियाणा दिल्ली को कम पानी की आपूर्ति कर रहा है। सुनवाई के दौरान, हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि 137 क्यूसेक के अधिशेष/अतिरिक्त पानी की “उपलब्धता” के बारे में पहले दिया गया बयान सही नहीं था और उन्हें उस बयान को वापस लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। तदनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने 13 जून 2024 को रिट याचिका का निपटारा कर दिया और इस मुद्दे को यूवाईआरबी के विचारार्थ छोड़ दिया।
उन्होंने बताया कि 18 जून को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) और यूवाईआरबी अधिकारियों की एक टीम ने संपर्क बिंदु बवाना में दिल्ली द्वारा प्राप्त पानी को मापा और रिपोर्ट दी कि दिल्ली को उस समय 978 क्यूसेक पानी मिल रहा था। इन तथ्यों से यह साबित होता है कि हरियाणा की ओर से लगातार दिल्ली को 924 क्यूसेक पानी की आवश्यकता से अधिक पानी मिल रहा है।
दिल्ली सरकार भी दे सवालों के जवाब :
हरियाणा के सिंचाई मंत्री डॉ अभय सिंह यादव ने दिल्ली सरकार से भी सवाल पूछे है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार बताए कि हरियाणा लगातार दिल्ली के हिस्से का पूरा पानी दे रहा है या नहीं। उनका दूसरा सवाल 6 जून के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संबंधित रहा और पूछा कि हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के आदेश हुए थे, फिर दिल्ली सरकार हिमाचलउ प्रदेश से पानी क्यों नही मांग रही और हरियाणा से पानी क्यों मांग रही है।
पंजाब में आप पार्टी की सरकार एसवाईएल का भी समाधान करवाएं
हरियाणा के सिंचाई राज्य मंत्री डॉ अभय यादव ने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अपने हिस्से का पानी नहीं मिल रहा है क्योंकि पंजाब एसवाईएल से पानी नहीं दे रहा है। इसके अलावा, हांसी-बुटाना नहर के मुद्देक पर पंजाब सरकार ने स्टे लगवा रखा है। दिल्ली और पंजाब में आप पार्टी की सरकार है तो हरियाणा को पूरा पानी दिलाने के लिए इस मामले समाधान करवाएं। उन्होंने कहा कि हरियाणा को पंजाब और हिमाचल प्रदेश से पानी प्राप्त हो रहा है। हरियाणा को यमुना नदी व डब्ल्यू.जे.सी. नहर प्रणाली के माध्यम से पानी की प्राप्ति 10 से 15 प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि हमारे अपने जल स्त्रोत सीमित है, हरियाणा खुद पानी की कमी से जूझ रहा है। हरियाणा प्रदेश की पानी की कमी की पूर्ति करने के लिए सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए कई योजनाएं धरातल पर लागू कर चुका है।
राजनीतिक ड्रामेबाजी व अनशन नहीं समस्या का समाधान
डॉ अभय यादव ने कहा कि दिल्ली सरकार अधिकारिक बैठकों में स्वीकार करती रही है कि उन्हें अपने हिस्से का पूरा पानी मिल रहा है। लेकिन राजनीतिक मंचों व मीडिया में भ्रामक आंकड़े पेश करती है जो निराधार और तथ्यहीन है। दिल्ली सरकार राजनीतिक ड्रामेबाजी की बजाय पानी वितरण को लेकर अपनी आंतरिक व्यवस्था सुधारें। डॉ अभय यादव ने कहा कि दिल्ली सरकार को तो पानी के मुददे पर ड्रामेबाजी करने का रूटीन हो गया है और हरियाणा पानी के मुददे पर हमेशा से ही फेयर हैडलिंग और डीलिंग करता आया हैं। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सिंचाई राज्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली के पानी के हिस्से में हरियाणा क्षेत्र में कोइ अवैध लिफटींग नहीं हैं