नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने आज नरेंद्र मोदी सरकार पर दर्जनों निजी कंपनी समूहों से इलेक्शन बांड के माध्यम से चंदा वसूलने के लिए कथित तौर पर चार अनैतिक रास्ते अपनाने का गंभीर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एस आई टी गठित कर विस्तृत जांच कराने की मांग की. पार्टी के महासचिव एवं मीडिया सेल के प्रभारी जयराम रमेश नेआज कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में चंदा दो धंधा लो प्रीपेड घूस , ठेका लो घूस दो पोस्ट पेड घूस, हफ्ता वसूली यानी पोस्ट पेड नहीं पोस्ट रेड घूस और फर्जी कंपनियों का चंदा वसूली करने में भरपूर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिस जानकारी को जारी करने में स्टेट बैंक को जून 2024 तक का समय चाहिए था वह केवल15 सेकंड में निकाली जा सकती थी. कांग्रेस महासचिव ने भाजपा को अलग-अलग कॉर्पोरेट समूह द्वारा विभिन्न तरीके से इलेक्शन बांड के माध्यम से दिए गए चंदे का विस्तृत व्योरा पत्रकारों के साथ साझा करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार यह जानकारी देश के सामने नहीं आने देना चाहती थी इसलिए ही स्टेट बैंक दबाव में अदालत से अनावश्यक समय मांग रहा था.
पत्रकारों को संबोधित करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इलेक्शन बांड के लिए लाये गए मनी बिल के विरोध में थी. इसके दुरुपयोग की आशंका पहले भी प्रमुखता से पार्टी के द्वारा जताई गई थी. कांग्रेस पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में भी इलेक्शन बांड को समाप्त करने का वायदा किया था. उन्होंने कहा कि मनी बिल के माध्यम से लाये गए इस प्रावधान का भारतीय जनता पार्टी सरकार ने जमकर दुरुपयोग किया. इसका खुलासा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की ओर से इलेक्शन कमीशन को दी गई जानकारी का विश्लेषण करने से स्पष्ट होता है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा सरकार ने “चंदा वसूली के लिए चंदा दो और धंधा लो यानी प्रीपेड घूस वसूलने का तरीका अपनाया. ” उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से कोडिंग के माध्यम से निकाली गई जानकारी से यह स्पष्ट हुआ है कि ” मोटे तौर पर 38 कारपोरेट समूहों को पिछले 6 साल में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान 179 बड़े कॉन्ट्रैक्ट दिए गए. ” लगभग चार लाख करोड रुपए के ये कॉन्ट्रैक्ट, , पुल रेलवे सड़क, एक्सप्रेस वे जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के हैं. इन्हीं कंपनी समूहों ने 6साल में कुल 2000 करोड रुपए के इलेक्शन बांड खरीदे और भारतीय जनता पार्टी को दिए हैं.
उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर निजी कंपनी समूह का भाजपा के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि तीन माह के अंदर ही 1 लाख 32000 करोड रुपए के प्रोजेक्ट जिन कंपनियों को दिए गए उन्होंने 511 करोड रुपए का चंदा भाजपा को दिया. कांग्रेस महासचिव ने बताया कि ” ठेका लो और घूस दो यानी पोस्टपेड घूस वसूली ” के तरीके से भी भाजपा को 600 करोड़ रुपए का इलेक्शन बांड मिला है. उनका कहना था कि49 कंपनियां ऐसी हैं जिनको 62000 करोड रुपए के प्रोजेक्ट भाजपा सरकार के कार्यकाल में मिले और इन्हीं कंपनियों ने 600 करोड रुपए की बांड खरीदे.
कांग्रेस नेता ने भाजपा सरकार पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि ” हफ्ता वसूली का तरीका भी इलेक्शन बांड लेने के लिए अपनाया गया है. ” उन्होंने आरोप लगाया कि41 कॉर्पोरेट समूह पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट, सीबीआई और इनकम टैक्स के या तो छापे मारे गए या उनके खिलाफ जांच शुरू की गई. इन कार्रवाई के तत्काल बाद ही इन कंपनियों ने 1853 करोड रुपए के इलेक्शन बांड खरीदे और भारतीय जनता पार्टी को दिए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा फर्जी कंपनियों को समाप्त करने का दावा करते रहे हैं लेकिन इलेक्शन बांड के मामले में भी फर्जी कंपनियों ने चौंकाने वाली भूमिका अदा की है. उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी सूचना से यह स्पष्ट होता है कि 16 फर्जी कंपनियों ने 419 करोड रुपए के इलेक्शन बॉन्ड खरीद कर भाजपा को दिए हैं.
पत्रकारों के सवाल पर कांग्रेस पार्टी के नेता ने दावा किया कि उनके सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट ने केवल 15 सेकंड में ही यह पूरी जानकारी उस सूची से निकाल ली जो स्टेट बैंक आफ इंडिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया को मुहैया कराई गई है. उन्होंने इस पूरे मामले की जांच देश के सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित एस आई टी से करवाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर इलेक्शन बांड मामले की जांच करवाई जाएगी.